बागपत: उत्तर प्रदेश में बकरीद के मौके पर जहां हर तरफ जानवरों की कुर्बानी की चर्चा रही, वहीं बागपत में इसी से जुड़ी एक ऐसा वाकया हुआ, जो काफी चर्चा में बना हुआ है। जी हां, बागपत में जैन समाज ने अहिंसा परमो धर्मः के सिद्धांत को जीवंत करते हुए कुर्बानी के लिए लाये गये 250 बकरों के जीवन की रक्षा की। खबरों के अनुसार बीते 28 मई को जैन समुदाय के सदस्यों ने 250 उन बकरों को जीवनदान दिया, जिन्हें बकरीद के मौके पर कुर्बानी के लिए बाजार में बेचने के लिए लाया गया था।
जैन समाज ने उन बकरों को खरीदकर उनके आश्रय स्थल जीव दया 'बकरशाला' में भेज दिया। बताया जा रहा है कि जैन समाज ने साल 2016 में बकरीद पर बकरों को कुर्बानी से बचाने के लिए अमीनगर सराय में जीव दया नाम की संस्थान स्थापित की थी। यह संस्था भगवान महावीर के 'जियो और जीने दो' के सिद्धांत को मानवीय जीवन के वास्तविक धरातल पर उतारने का काम करती है। फिलहाल इस आश्रय स्थल में करीब 450 बकरे हैं।
बकरीद पर 250 बकरों को जीवनदान देने वाले पशु प्रेमी दिनेश जैन ने इस संबंध में कहा, "जैन संतों ने करीब सात साल पहले बेजुबान बकरों की प्राणों की रक्षा के लिए जीव दया बकरी आश्रय स्थल बनाने के लिए प्रेरित किया था। साल 2016 में जब जीव दया संस्था शुरू हुई तो उस वक्त आश्रय में केवल 40-45 बकरियां थीं। लेकिन कई दानदाताओं ने हमारा समर्थन किया और अब हमारे साथ लगभग 500 बकरियां हैं।"
उन्होंने बताया कि बुधवार को खरीदे गये सभी बकरों के गले में लाल धागे बांधे गये हैं। आश्रय स्थल में लाये गये बकरियों की अच्छी देखभाल की जाती है और डॉक्टर नियमित रूप से बकरियों को दिए जाने वाले भोजन, पानी, चारे और दवाओं की जांच करते हैं। ऐसे आश्रय स्थल राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश में भी संचालित होते हैं। इसके साथ ही दिनेश जैन ने कहा कि अब जैन समाज की अगली योजना पक्षियों के लिए 45 मंजिला टावर बनाने की है।
बकरीद पर कुर्बानी से बचाये गये बकरों के मामले में दिनेश जैन ने कहा, "हमारी इस मुहिम का समर्थन मुस्लिम समाज के लोग भी करते हैं और वो इन बकरियों की सुरक्षा के विचार के विरोधी नहीं हैं। हमारे इलाके में बहुत सारे मुसलमान रहते हैं लेकिन कभी किसी मुस्लिम ने कभी इस पर आपत्ति नहीं जताई। अच्छे और समझदार मुसलमान तो हमारे इस कार्य की बेहद तारीफ करते हैं।