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जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: भारत के रिकॉर्ड निर्यात परिदृश्य पर नई चुनौतियां

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: May 09, 2024 11:22 AM

गौरतलब है कि हाल ही में वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में भारत से माल एवं सेवाओं का कुल निर्यात 776.68 अरब डॉलर रहा, जो वित्त वर्ष 2022-23 में 776.40 अरब डॉलर रहा था.

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ठळक मुद्देजहां पिछले वर्ष में कुल आयात 854.80 अरब डॉलर का रहा, वहीं वर्ष 22-23 में कुल आयात 898 अरब डॉलर मूल्य का रहा था.ऐसे में पिछले वर्ष आयात में कमी से कुल व्यापार घाटे में 36 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है.पिछले वर्ष में आयात में गिरावट की बड़ी वजह तेल का कम आयात था.

यह कोई छोटी बात नहीं है कि पिछले दो वर्षों से रूस-यूक्रेन युद्ध और भू-राजनीतिक चुनौतियों के कारण लाल सागर व्यवधान, पनामा रूट पर आवागमन मुश्किलों, घटते हुए वैश्विक व्यापार और घटते हुए वैश्विक निर्यात के बीच भारत से लगातार रिकॉर्ड निर्यात हुए हैं.

लेकिन अब भीषण होते हुए इजराइल-ईरान टकराव से गहराती हुई नई वैश्विक व्यापार चुनौतियों के बीच भारत को निर्यात बढ़ाने व आयात घटाने की विशेष रणनीति के साथ आगे आना होगा. 

खासतौर से हाल ही में 28 अप्रैल को प्रकाशित आर्थिक टैंक ग्लोबल ट्रेड एंड रिसर्च इनिशिएटिव की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के वस्तु आयात में चीन की जो हिस्सेदारी बढ़कर 30 फीसदी के चिंताजनक स्तर पर पहुंचते हुए 101 अरब डॉलर की ऊंचाई पर पहुंच गई है, उसे आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया अभियानों से नियंत्रित करना होगा.

गौरतलब है कि हाल ही में वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में भारत से माल एवं सेवाओं का कुल निर्यात 776.68 अरब डॉलर रहा, जो वित्त वर्ष 2022-23 में 776.40 अरब डॉलर रहा था. ऐसे में गत वित्त वर्ष में सेवा निर्यात 3.5 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी के साथ 339.62 अरब डॉलर का रहा, जबकि वस्तु निर्यात 3.11 प्रतिशत की गिरावट के साथ 437.06 अरब डॉलर रहा. 

जहां पिछले वर्ष में कुल आयात 854.80 अरब डॉलर का रहा, वहीं वर्ष 22-23 में कुल आयात 898 अरब डॉलर मूल्य का रहा था. ऐसे में पिछले वर्ष आयात में कमी से कुल व्यापार घाटे में 36 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है. पिछले वर्ष में आयात में गिरावट की बड़ी वजह तेल का कम आयात था. कच्चे तेल की कीमतें कम रहने से बीते वर्ष में तेल के आयात पर करीब 16 फीसदी कम खर्च हुआ.

निश्चित रूप से बीते कुछ वर्षों में भारत के निर्यात का एक चमकदार पहलू सेवा निर्यात है. भारत डिजिटल माध्यम से मुहैया कराई गई सेवाओं के निर्यात में वैश्विक बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रहा है. 

डिजिटल माध्यम से सेवा निर्यात के तहत कम्प्यूटर नेटवर्क का इस्तेमाल कर शिक्षा, मेडिकल ट्रांसक्रिप्शन, गेमिंग, मनोरंजन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आदि के लिए दक्ष ऑपरेटर, कुशल प्रोग्रामर और कोडिंग विशेषज्ञ द्वारा दी जाने वाली सेवाएं शामिल हैं. 

भारत में बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (जीसीसी) की तेजी से नई स्थापनाओं के कारण भी सेवा निर्यात बढ़ रहा है.इसमें कोई दोमत नहीं हैं कि युद्ध जनित आर्थिक चुनौतियों के बीच भारत के लिए वैश्विक व्यापार और निर्यात बढ़ाने हेतु मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) की अहमियत और बढ़ गई है. 

भारत ने अब तक तीन एफटीए किए हैं. भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच मई 2022 में लागू द्विपक्षीय कारोबार में पिछले दो वर्षों में 15 फीसदी की बढ़ोत्तरी देखने को मिली है. यूएई भारत का दूसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य, तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार और चौथा सबसे बड़ा निवेशक देश है. इसी तरह ऑस्ट्रेलिया के साथ भी हुए एफटीए से भारत का ऑस्ट्रेलिया के साथ द्विपक्षीय व्यापार बढ़ा है.

निश्चित रूप से जिस तरह से ईरान-इजराइल के बीच टकराव और दुनिया में भू राजनीतिक मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं, उससे कच्चे तेल के दाम के साथ-साथ आपूर्ति संकट बढ़ने की चिंताएं मुंह बाए खड़ी हैं. इससे भारत के वैश्विक व्यापार व निर्यात पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. ऐसे में भारत को निर्यात बढ़ाने व चीन से आयात घटाने की नई रणनीति के साथ आगे बढ़ना होगा. 

देश में उच्च ब्याज दरों और मांग में कमी के कारण निर्यात के मोर्चे पर जूझ रहे छोटे निर्यातकों को कम ब्याज दरों पर ऋण मुहैया कराने व बैंक को इसके बदले सरकार से मुआवजा दिए जाने के लिए लागू की गई इंटरेस्ट इक्वलाइजेशन स्कीम (आईईएस) की जो अवधि 30 जून 2024 को समाप्त हो रही है, उसे एक वर्ष के लिए और आगे बढ़ाया जाना लाभप्रद होगा. 

जिस तरह विकसित अर्थव्यवस्था वाले कई देश लम्बे समुद्री आवागमन से पहुंचने वाले दूरदराज के देशों की बजाय अपने तट के आसपास के देशों में कारोबार पर जोर दे रहे हैं, वैसी रणनीति पर भारत को भी ध्यान देना होगा. यद्यपि भारत को दूरसंचार और सूचना प्रौद्योगिकी सेवा निर्यात में तुलनात्मक रूप से बढ़त हासिल है लेकिन यह बात ध्यान में रखी जानी होगी कि अब सेवा निर्यात के क्षेत्र में भी लगातार प्रतिस्पर्धा भी बढ़ रही है. 

ऐसी स्थिति में भारत से डिजिटल सेवा निर्यात में तेजी से वृद्धि के लिए सेवाओं की गुणवत्ता, दक्षता, उत्कृष्टता तथा सुरक्षा को लेकर और अधिक प्रयास करना होंगे. भारत को अपने निर्यात में विविधता लाने और अन्य उभरते क्षेत्रों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है. 

चूंकि भारत को निर्यात बढ़ाने में एफटीए से बढ़ी मदद मिली है, ऐसे में भारत के द्वारा ओमान, ब्रिटेन, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका, इजराइल, भारत गल्फ कंट्रीज काउंसिल और यूरोपीय संघ के साथ भी एफटीए को शीघ्रतापूर्वक अंतिम रूप देने की डगर पर आगे बढ़ना होगा. निश्चित रूप से ऐसे रणनीतिक प्रयासों से नई वैश्विक व्यापार और निर्यात चुनौतियों से होने वाले प्रतिकूल प्रभावों से भारत के बढ़ते हुए निर्यात को बहुत कुछ बचाया जा सकेगा.

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