लाइव न्यूज़ :

लोकसभा चुनाव 2019: टिहरी सीट पर लगभग हर चुनाव में रहा है शाही परिवार का दबदबा!

By भाषा | Published: April 07, 2019 2:14 PM

टिहरी रियासत पर 1803 से 1948 तक पंवार राजपूत वंश का शासन रहा है। हालांकि लगभग हर चुनाव में टिहरी सीट पर शाही परिवार का दबदबा रहा है । वर्ष 1991 से पहले टिहरी राजघराने के सदस्य कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतते रहे । इस बार भी भाजपा ने वर्तमान सांसद और टिहरी राजघराने की बहू महारानी माला राज्यलक्ष्मी शाह पर ही सुरक्षित दांव खेला है ।

Open in App
ठळक मुद्दे1957 से लेकर 2004 तक शाह ने तीन बार कांग्रेस और पांच बार भाजपा के प्रत्याशी के तौर पर जीत दर्ज की। टिहरी रियासत का जब 1948 में भारत में विलय हुआ, उस समय यहां 1946 में महाराजा की कुर्सी संभालने वाले शाह का ही शासन था ।

उत्तराखंड में सत्तारूढ भाजपा के लिये पिछले तीन दशकों से टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट पर राजसी परिवार की चमक सोना साबित होती रही है । नब्बे के दशक में चली प्रचंड रामलहर के दौरान टिहरी गढ़वाल के कांग्रेसी किले में सेंध लगी और इसके बाद से (केवल 2007 उपचुनाव व 2009 चुनाव को छोड़कर) इस क्षेत्र से शाही परिवार के सदस्य भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर संसद पहुंचते रहे हैं ।

टिहरी रियासत पर 1803 से 1948 तक पंवार राजपूत वंश का शासन रहा है। हालांकि लगभग हर चुनाव में टिहरी सीट पर शाही परिवार का दबदबा रहा है । वर्ष 1991 से पहले टिहरी राजघराने के सदस्य कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतते रहे । इस बार भी भाजपा ने वर्तमान सांसद और टिहरी राजघराने की बहू महारानी माला राज्यलक्ष्मी शाह पर ही सुरक्षित दांव खेला है ।

टिहरी में उनका मुकाबला उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और चकराता से विधायक प्रीतम सिंह से है जो पहली बार संसदीय चुनाव मैदान में उतरे हैं । उत्तराखंड से भाजपा की अकेली महिला सांसद माला राज्यलक्ष्मी इस सीट पर लगातार दो बार जीत चुकी हैं ।

पहली बार वह 2012 में तत्कालीन कांग्रेस सांसद विजय बहुगुणा के प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद खाली हुई सीट पर उपचुनाव जीत कर संसद पहुंचीं थीं और दूसरी जीत उन्हें 2014 के आम चुनावों में मिली । पिछले आम चुनावों में मोदी लहर के चलते माला को कांग्रेस के अपने प्रतिद्वंद्वी और पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के पुत्र साकेत पर लगभग दो लाख मतों से जीत मिली थी ।

शाह के ससुर महाराजा मानवेंद्र शाह टिहरी सीट से आठ बार निर्वाचित हुए थे । 1957 से लेकर 2004 तक शाह ने तीन बार कांग्रेस और पांच बार भाजपा के प्रत्याशी के तौर पर जीत दर्ज की। दरअसल टिहरी रियासत का जब 1948 में भारत में विलय हुआ, उस समय यहां 1946 में महाराजा की कुर्सी संभालने वाले शाह का ही शासन था । लेकिन 2007 में मानवेंद्र शाह की मृत्यु के बाद सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने उनके पुत्र महाराजा मनुजेंद्र शाह पर दांव खेला । उन्हें तत्कालीन कांग्रेस नेता विजय बहुगुणा के हाथों पराजय का सामना करना पडा और इसके साथ ही यह सीट भी टिहरी राजपरिवार के हाथ से निकल गयी।

उधर, कांग्रेस प्रत्याशी सिंह टिहरी लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली चकराता विधानसभा से राज्य बनने के बाद से अब तक चार बार विधायक का चुनाव जीत चुके हैं । सिंह ने प्रदेश में 2002 में पहले विधानसभा चुनावों में भी विजय हासिल की थी । माला राज्यलक्ष्मी का दावा है कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा क्षेत्र में किये गये विकास कार्यों की बदौलत चुनाव में उनकी जीत तय है ।

उन्होंने कहा, ' टिहरी से लेकर देहरादून तक हुए विकास कार्यों को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है । हम देहरादून और मसूरी के बीच रोपवे और पनबिजली परियोजनायें बना रहे हैं । टिहरी झील में भी हमने साहसिक पर्यटन से जुड़ी बड़ी परियोजनायें शुरू की हैं ।'

उत्तराखंड की पांचों सीटों पर पहले चरण में 11 अप्रैल को चुनाव होना है और प्रचार की सरगर्मियों के बीच कांग्रेस प्रत्याशी सिंह भी माला राज्यलक्ष्मी की तरह चुनाव जीतने तथा राजशाही के तिलिस्म को तोडने को लेकर आश्वस्त नजर आ रहे हैं । सिंह ने कहा, ' वर्ष 2007 में हम :कांग्रेस: यह सीट जीत चुके हैं । केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारों की गलत नीतियां और कारगुजारियां इस बार केसरिया ब्रिगेड के लिये मुश्किलें ले कर आयेंगी ।'

वर्ष 1948 में टिहरी रियासत को भारत में शामिल हुए एक लंबा अरसा बीत जाने के बावजूद यहां की जनता का राजपरिवार से भावनात्मक नाता नहीं टूटा है और ऐसे लोगों की अच्छी—खासी तादाद है जो उन्हें अब भी वैसा ही आदर और सम्मान देते हैं जो करीब 70 साल पहले दिया जाता था ।

टिहरी के शमशेर सिंह ने कहा, 'टिहरी राजपरिवार के लोग बोलांद बदरी :बदरीनाथ में स्थापित भगवान विष्णु का बोलता स्वरूप: हैं और टिहरी के लोगों में उनके प्रति अगाध श्रद्धा और सम्मान है ।' इसके अलावा, टिहरी सीट पर गोरखाली समाज के लोगों की बडी संख्या होना भी माला राज्यलक्ष्मी के पक्ष में जा रहा है । गौरतलब है कि माला नेपाल के शाही घराने से ताल्लुक रखती हैं । 

टॅग्स :लोकसभा चुनावउत्तराखंड लोकसभा चुनाव 2019भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)कांग्रेस
Open in App

संबंधित खबरें

भारतLok Sabha Elections 2024: "नवनीत राणा की जगह मैंने विवादित बयान दिया होता तो अब तक सलाखों के पीछे होता", वारिस पठान ने नवनीत के '15 सेकंड लगेंगे' वाले पर कथन पर कहा

भारतब्लॉग: उनकी तू-तू मैं-मैं, हिंसा पीड़ित बचपन और हीटवेव का हाहाकार

भारतLok Sabha Elections 2024: "नरेंद्र मोदी बताएं पीएम केयर का पैसा कहां है, चुनावी बांड का पैसा किस बैंक में है?", ओवैसी का प्रधानमंत्री पर जबरदस्त हमला

भारतLok Sabha Elections 2024: "कांग्रेस मानती है कि भारत आक्रमणकारियों की भूमि है, इसलिए पीएम मोदी 'कांग्रेस मुक्त भारत' की बात कहते हैं", तमिलनाडु भाजपा प्रमुख अन्नामलाई ने कहा

भारतLok Sabha Elections 2024: "नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव के नतीजों को लेकर घबराहट में हैं, इसलिए लोगों को गुमराह कर रहे हैं", अधीर रंजन चौधरी का प्रधानमंत्री पर हमला

भारत अधिक खबरें

भारतAsaduddin Owaisi Navnit Rana: 'भारत के मुसलमान पाकिस्तानी हैं', नवनीत राणा के 15 सेकंड वाले बयान पर असदुद्दीन ओवैसी का जवाब

भारतAssam Board Class 12 Results: 12वीं के नतीजे जारी, शीर्ष पर रहा बक्सा जिला, शिक्षा मंत्री ने भी दी बधाई

भारतKarnataka SSLC Result 2024: रिजल्ट आउट, 73 फीसदी छात्र पास, ऐसे करें अपने-अपने रिजल्ट चेक

भारतLok Sabha Elections 2024: "करोड़ों देशवासी आपको पूजते हैं, आप हमारी सर्वमान्य नेता हैं, आपका आदेश सिर माथे पे", आकाश आनंद ने मायावती द्वारा 'राजनीतिक उत्तराधिकारी' पद से हटाए जाने के बाद कहा

भारतNavneet Rana On Owaisi Brothers: '15 सेकंड के लिए पुलिस हटा लो, ओवैसी ब्रदर्स को पता नहीं लगेगा कि वो कहां से आए और किधर गए', बीजेपी नेता नवनीत राणा ने कहा