पटनाःबिहार में कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए इस बार श्रावण मास में पूजा-पाठ को लेकर सतर्कता बरती जा रही है। दरअसल, दूसरी लहर के लगभग शांत होने के बाद अब संभावित तीसरी लहर को देखते हुए बिहार सरकार कोई लापरवाही नहीं बरतना चाहती है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा एक बार फिर से कोरोना के खतरे को देखते हुए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। इन आदेशों के मुताबिक, सरकार ने बकरीद के अवसर पर सामूहिक नमाज और मंदिर में सावन पूजा पर रोक लगा दी है। बकरीद की नमाज ईदगाह और मस्जिद में नहीं बल्कि घरों में ही पढ़ी जाएगी।
इन अवसरों पर काफी भारी संख्या में भीड़ उमड़ती है, जिसके कारण कोरोना का खतरा भी काफी बढ़ सकता है। जिसके मद्देनजर सरकार ने यह आदेश जारी किया है। इस बार भी प्रदेश में श्रावणी मेला और सावन के दौरान मंदिरों में जाकर पूजा-पाठ करने की अनुमति नहीं दी गई है। श्रावण माह का पहला सोमवार 26 जुलाई 2021 को है। शिवभक्तों के बीच मंदिर जाकर महादेव के पूजन को लेकर काफी उत्साह रहता है, लेकिन सरकार कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार भी इसकी अनुमति नहीं दी है।
सरकार ने अगस्त महीने तक प्रदेश में किसी भी तरीके के धार्मिक आयोजन पर रोक लगाई है। सावन महोत्सव से जुड़े किसी भी कार्यक्रम पर पूरी तरीके से प्रतिबंध लगा दिया गया है। बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड ने भी श्रद्धालुओं से यह अपील की है कि वो अपने घरों में रहकर ही पूजा-पाठ करें। मंदिर में आमजनों को प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा। मंदिर के पुजारियों को अंदर आने की इजाजत होगी जो दैनिक पूजन करेंगे।
इस बार भी सावन मेला-कावड़ यात्रा के लिए भागलपुर और सुल्तानगंज में श्रद्धालु नहीं जमा होंगे। झारखंड के देवघर स्थित बैद्यनाथ धाम और बासुकीनाथ मंदिर में भी श्रावणी मेले को रद्द कर दिया गया है। देवघर बैद्यनाथ धाम मंदिर में बिहार के सुल्तानगंज से जल लेकर कांवरिया जाते हैं। वहीं बड़ी तादाद में श्रद्धालु भागलपुर गंगा घाट से जल भरकर बासुकीनाथ मंदिर में जाते हैं। इस बार दोनों तरफ श्रद्धालुओं के जुटने पर पाबंदी है। देवघर मंदिर में ऑनलाइन दर्शन की व्यवस्था की जा सकती है। वहीं कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए सूबे में सख्ती से कोरोना गाइडलाइंस का पालन कराया जाएगा।