Patna High Court PFI-SIMI: बड़ी साजिश प्लानिंग करने का आरोप, पीएफआई और सिमी को झटका, जमानत याचिका खारिज, पढ़िए कोर्ट ने क्या-क्या कहा...

By एस पी सिन्हा | Published: May 8, 2024 05:20 PM2024-05-08T17:20:11+5:302024-05-08T17:21:57+5:30

Patna High Court PFI and SIMI: कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि साजिश के तहत पीएफआई और सिमी के बैनर तले लोगों को संगठित कर पूरे देश में धार्मिक उन्माद चार चरणों में फैलाना था ताकि इस्लामी राज्य को स्थापित किया जा सके।

Patna High Court PFI and SIMI Allegations planning big conspiracy shock bail plea rejected read what court said | Patna High Court PFI-SIMI: बड़ी साजिश प्लानिंग करने का आरोप, पीएफआई और सिमी को झटका, जमानत याचिका खारिज, पढ़िए कोर्ट ने क्या-क्या कहा...

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Highlightsसभी प्रतिबंधित संगठन पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के सदस्य हैं।न्यायाधीश विपुल एम. पंचोली एवं न्यायाधीश रमेश चंद मालवीय की खंडपीठ ने मंजर आलम एवं चार अन्य आरोपियों की आपराधिक अपीलों को खारिज कर दिया।तीसरे चरण में एससी-एसटी के साथ मिलकर हिंदुओं में विभाजन करना था।

Patna High CourtPFI and SIMI: पीएफआई और सिमी से जुड़े लोगों की पटना हाईकोर्ट ने सभी की जमानत याचिका खारिज कर दी है। हाईकोर्ट के इस फैसले से इनकी मुश्किलें और बढ़ने वाली है। इन सभी पर 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पटना में आयोजित कार्यक्रम के दौरान गड़बड़ी फैलाने की प्लानिंग करने का आरोप है। मंजर आलम और चार दूसरे आरोपियों की आपराधिक अपील पर एक साथ सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट ने माना है कि एनआईए ने इस साजिश की जांच में अब तक पर्याप्त सबूत जुटा लिए हैं। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि साजिश के तहत पीएफआई और सिमी के बैनर तले लोगों को संगठित कर पूरे देश में धार्मिक उन्माद चार चरणों में फैलाना था ताकि इस्लामी राज्य को स्थापित किया जा सके।

न्यायाधीश विपुल एम. पंचोली एवं न्यायाधीश रमेश चंद मालवीय की खंडपीठ ने मंजर आलम एवं चार अन्य आरोपियों की आपराधिक अपीलों को खारिज कर दिया। वे सभी प्रतिबंधित संगठन पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के सदस्य हैं।

कोर्ट ने बताया है कि इस्लामिक साजिश के तहत जिन चार चरणों के तहत जो प्लानिंग की गई थी उसके अनुसार, सबसे पहले भारत के मुसलमान को संगठित कर हथियारों का प्रशिक्षण देना था दूसरा चुने गए जगह पर दूसरे धर्म के लोगों को निशाना बनाकर हमला कर दहशत फैलाना था। तीसरे चरण में एससी-एसटी के साथ मिलकर हिंदुओं में विभाजन करना था।

आखिरी चरण में देश की पुलिस, फौज और न्यायपालिका में घुसना था। इन सबूतों के आधार पर केंद्र सरकार के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने जमानत का कड़ा विरोध किया। पटना हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह पाया कि इन सारी साजिशों को पूरा करने के लिए आरोपियों ने जिन डिजिटल उपकरणों का इस्तेमाल किया उनकी बरामदगी के बाद एजेंसी ने सरकारी तकनीकी लैब में उसका परीक्षण करवाया।

इस परीक्षण में हजारों ऐसे वीडियो मिले जिसमें इन साजिशों के बारे में बताया गया है। इन सभी साजिशों में आरोपियों की भी संलिप्त के आम सबूत भी हासिल हुए हैं। खंडपीठ ने पाया कि आरोपियों के विरुद्ध राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को इस षड्यंत्र में पर्याप्त साक्ष्य मिले हैं।

एजेंसी ने कई संवेदनशील साक्ष्यों का हवाला देते हुए उस षड्यंत्र के दो मुख्य आरोपियों मोहम्मद जलालुद्दीन और अतहर परवेज के विरुद्ध आरोप पत्र दायर किया था। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पटना के कार्यक्रम में गड़बड़ी फैलाने की साजिश की सूचना पर पुलिस ने 11 जुलाई 2022 को फुलवारी में मोहम्मद जलालुद्दीन के घर छापा मार कर उसके किराएदार जाहिद परवेज के पास से जब्त दस्तावेज और उपकरण बरामद किया था। देश में सांप्रदायिक तनाव और देश के अखंडता के खिलाफ साजिश रचने का मामला फुलवारी थाने में रजिस्टर्ड किया गया था।

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