6 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में इस घुटन को ऑक्सीजन दिया है। सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ ने आईपीसी की धारा-377 के उस प्रावधान को रद्द कर दिया जिसमें समलैंगिक संबंध को अपराध माना था। सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले के बाद सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक इंद्रधनुषी रंग बिखर गए। एलजीबीटी समुदाय ने जमकर जश्न मनाया। लेकिन इस ऐतिहासिक फैसले में हमारी सरकार, कथित सांस्कृतिक संगठन और बड़बोले राजनेता कहां खड़े हैं? इसी का पोस्टमार्टम करने के लिए आइए शुरू करते हैं आज का पॉलिटिकल नौटंकी....