Chhattisgarh : BJP के वो बढ़े चहरे जिनको अभी तक नहीं मीली कोई जिम्मेदारी अब चर्चा में

By स्वाति कौशिक | Published: December 27, 2023 04:53 PM2023-12-27T16:53:36+5:302023-12-27T17:09:37+5:30

छत्तीसगढ़ मंत्री मंडल विस्तार के बाद प्रदेश के कई बड़े चहरे नाराज ! जिनको नहीं मिली जगह,  कई बड़े पदों की उम्मीद में तो कोई निराश।

Many big faces of the state angry after Chhattisgarh cabinet expansion | Chhattisgarh : BJP के वो बढ़े चहरे जिनको अभी तक नहीं मीली कोई जिम्मेदारी अब चर्चा में

Chhattisgarh : BJP के वो बढ़े चहरे जिनको अभी तक नहीं मीली कोई जिम्मेदारी अब चर्चा में

Highlightsछत्तीसगढ़ में वो बढ़े चहरे चर्चा में हैं जिनको अभी तक जिम्मेदारी नहीं मिलीवरिष्ठ नेता, कई बार के मंत्री और राज्य मंत्री जैसे पदों पर रहने वालों को नहीं मिली जिम्मेदारी

रायपुर। छत्तीसगढ़ में बीजेपी जीत के बाद भी जुझ रही कई सम्सयाओं से । छत्तीसगढ़ में वो बढ़े चहरे चर्चा में हैं जिनको अभी तक जिम्मेदारी नहीं मिली है। एक रिपोर्ट में ।

छत्तीसगढ़ में महीने भर पहले बीजेपी की सरकार आ चुकी है। जिसके बाद पहले मुख्यमंत्री का पद और उसके बाद मंत्रिमंडल का पद, लगातार इन पदों पर दर्जनों नाम चर्चाओं में रहे । इसके बाद भी एक पद कैबिनेट मंत्री का रिक्त है । प्रदेश में मुख्यमंत्री सहित 13 मंत्रियों के पद हैं । जिसमें अभी तक 12 पर नाम की घोषणा हुई है, पर अभी भी एक पद खाली है। इस दौरान अगर हम चर्चा करें नामों की तो लगभग एक दर्जन वरिष्ठ नेता, बड़े चेहरे, कई बार के मंत्री और राज्य मंत्री जैसे पदों पर रहने वालों को पार्टी ने अभी का कोई जिम्मेदारी नहीं दी है।

छत्तीसगढ़ में परिणाम के बाद से ही बीजेपी में लगभग आधा दर्जन से ज्यादा नामों पर सीएम पद के लिए चर्चा हुई। लगभग दो दर्जन से ज्यादा नाम मंत्री पदों के लिए चर्चा में रहे। पर भाजपा ने पहले सीएम के चहरे पर फिर मंत्रियों के नामों को लेकर चौकाया। प्रदेश में अब चर्चा का विषय वो लोग ज्यादा हो गए जिनके चहरे बड़े है पर उनको पद नही मिला है।

ऐसे नाम का जिक्र करें तो रेणुका सिंह, गोमती साय, लता उसेंडी, अजय चंद्राकर, राजेश मूणत, धरमलाल कौशिक, विक्रम उसेंडी, अमर अग्रवाल, पुन्नी लाल मोहले शामिल हैं।

रेणुका सिंह

बात करें पहले नाम की तो रेणुका सिंह केंद्रीय राज्य मंत्री का पद छोड़कर आई है। साल 2003 में पहली बार प्रेम नगर सीट से विधायक चुनी गई थी 2008 में दूसरी बार विधायक और महिला एवं बाल विकास मंत्री बनी 2019 में सरगुजा सीट से लोकसभा सांसद चुनी गई मोदी मंत्रिमंडल में अनुसूचित जनजाति विकास राज्य मंत्री रही।

गोमती साय

दूसरा सबसे बड़ा नाम गोमती साय का है, लो प्रोफाइल रहने वाली गोमती साय लोकसभा से इस्तीफा देकर विधानसभा के टॉफ फाइट में उतरी। जानने वाले बताते हैं कि रायगढ़ लोकसभा के अंतर्गत आने वाली जितनी भी विधानसभा सिट हैं उनमें इनका खासा दबदबा रहा। गोमती साय 2005 में पहली बार जिला पंचायत सदस्य बनी थी 2015 में जिला पंचायत अध्यक्ष जयपुर 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के विष्णु देव साय की जगह गोमती टिकट दिया गया।

अजय चंद्राकर

अजय चंद्राकर की बात करें तो 1998 और फिर 2003 में कुरुद विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुनकर आए। जिसके पास 2008 में उन्हें एक बार हार का सामना भी करना पड़ा, लेकिन फिर 2013 और 18 में विधानसभा क्षेत्र से विजय हुए 2023 में पांचवीं बार विधायक चुनकर आए हैं और रमन सरकार में मंत्री भी रहे हैं प्रदेश में बड़ा ओबीसी चेहरा होने के कारण इन्हें पूरी उम्मीद थी कि पार्टी इन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देगी पर ऐसा होता नहीं दिख रहा।

राजेश मूणत

अगले बड़े नाम का जिक्र करे तो राजेश मूणत को पार्टी के कद्दावर चेहरे के रूप में जाना जाता है। राजेश अपने बेहतरीन मैनेजमेंट और राष्ट्रीय स्तर पर तालमेल के लिए भी जाने जाते हैं राष्ट्रीय स्तर पर कोई नेता आने वाला होता है प्रदेश में या किसी रैली का आयोजन करना होता है तमाम जिम्मेदारियां ज्यादातर राजेश मूणत के हाथ में ही दी जाती है । राजेश मूणत 2003, 2008 और 2013 में विधायक चुनकर आए इसके बाद उन्हें लगातार मंत्री भी बनाया गया। पर 2018 में करारी हार भी राजेश मूणत को झेलनी पड़ी 2023 में एक बार फिर भारी बहुमत के साथ रायपुर के पश्चिम विधानसभा से राजेश मूणत ने जीत हासिल की है। इसके बाद उन्हें भी किसी बड़े पद का इंतजार अभी तक है।

पुन्नू लाल मोहले

अगले नाम की चर्चा करें तो है पुन्नू लाल मोहले का, पुन्नू लाल मोहले पिछले लगभग 45 वर्षों से सक्रिय राजनीति में है तीन बार मंत्री और चार बार सांसद रह चुके हैं सातवीं बार विधायक चुने गए हैं। 1985, 1990, 1994, 2008,2013, 2023 में विधायक चुने गए। 1996, 98, 99, और 2004 में लोकसभा के लिए चुने गए रमन सरकार में 2008, 2013 में मंत्री रहे, पर इस बार सत्ता में होने के बाद भी सिर्फ विधायक के से काम चलाना पड़ रहा है।

विक्रम उसेंडी

अगला बड़ा नाम विक्रम उसेंडी का है। विक्रम प्रदेश का एक बड़ा आदिवासी चेहरा है 1993 में पहली बार अविभाजित मध्य प्रदेश के बस्तर में नारायणपुर से पहली बार विधायक चुने गए थे। 2003, 200 8 और 2013 में लगातार जीत हासिल हुई। उसके बाद 2023 में भी जीत हासिल की है। 2014 में कांकेर से लोकसभा सांसद चुने गए। विक्रम सांसद रहने के साथ ही छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। बड़े आदिवासी चेहरा होने के साथी बड़ी जिम्मेदारी की उम्मीद भी हैं।

लता उसेंडी

कोंडागांव विधानसभा क्षेत्र से विधायक लता उसेंडी रमन सिंह की बहुत नजदीकी मानी जाती हैं। लता उसेंडी पहली बार 2003 में कोंडागांव से विधायक बनी 2005 से 2013 तक रमन सरकार में महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री भी रही 2013 और 18 में चुनाव हार गई 2023 में पांचवीं बार विधायक चुनकर क्षेत्र से आए हैं।

धरमलाल कौशिक

छत्तीसगढ़ के भाजपा सरकार में धरमलाल कौशिक कई बड़ी जिम्मेदारियां निभा चुके हैं। 1998 में पहली बार बिल्हा से विधायक चुने गए 2008 में 2018 और अब 2023 में चौथी बार विधायक चुनकर आ रहे हैं। 2006 से 2008 तक महामंत्री भाजपा प्रवक्ता के रूप में भी प्रदेश में उन्होंने काम किया। 16 अगस्त 2014 को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए 2019 से 21 तक नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में भी रहे। पर अब नई सरकारों से उम्मीदें पूरी होती कम दिख रहे हैं।

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