Parliament: ‘मॉब लिचिंग पर सात साल या आजीवन कारावास या मृत्युदंड, पहली बार शादी, रोजगार और पदोन्नति के झूठे वादे करके महिलाओं से यौन संबंध अपराध की श्रेणी, IPC में होंगे कई बदलाव

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 11, 2023 06:11 PM2023-08-11T18:11:27+5:302023-08-11T18:13:22+5:30

Parliament monsoon session: सदन में भारतीय न्याय संहिता, 2023; भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 को पेश करते हुए कहा कि देश में गुलामी की सभी निशानियों को समाप्त करने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के पांच प्रण के अनुरूप इन विधेयकों को लाया गया है जो जनता के लिए न्याय प्रणाली को सुगम और सरल बनाएंगे।

Parliament monsoon session Bills to replace IPC, CrPC, Indian Evidence Act Seven years or life imprisonment or death penalty mob lynching sex with women first time by making false promises of marriage, employment and promotion, many changes ipc | Parliament: ‘मॉब लिचिंग पर सात साल या आजीवन कारावास या मृत्युदंड, पहली बार शादी, रोजगार और पदोन्नति के झूठे वादे करके महिलाओं से यौन संबंध अपराध की श्रेणी, IPC में होंगे कई बदलाव

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Highlights अब राजद्रोह के कानून को पूरी तरह समाप्त किया जा रहा है। ‘‘यह लोकतंत्र है, सभी को बोलने का अधिकार है।’’मुकदमा चलाने का ऐतिहासिक निर्णय भी लिया गया है।

Parliament monsoon session: गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में ब्रिटिश कालीन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने के लिए तीन नये विधेयक पेश किये और कहा कि अब राजद्रोह के कानून को पूरी तरह समाप्त किया जा रहा है।

शाह ने सदन में भारतीय न्याय संहिता, 2023; भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 को पेश करते हुए कहा कि देश में गुलामी की सभी निशानियों को समाप्त करने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के पांच प्रण के अनुरूप इन विधेयकों को लाया गया है जो जनता के लिए न्याय प्रणाली को सुगम और सरल बनाएंगे।

गृह मंत्री के प्रस्ताव पर तीनों विधेयकों को संसदीय स्थायी समिति को भेजा जाएगा ताकि इन पर व्यापक विचार-विमर्श हो सके। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने राजद्रोह पर कानून बनाया था लेकिन हम राजद्रोह के कानून को पूरी तरह समाप्त करने जा रहे हैं। शाह ने कहा, ‘‘यह लोकतंत्र है, सभी को बोलने का अधिकार है।’’

शाह ने कहा कि भगोड़े आरोपियों की अनुपस्थिति में उन पर मुकदमा चलाने का ऐतिहासिक निर्णय भी लिया गया है। उन्होंने कहा कि कई मामलों में दाऊद इब्राहिम वांछित है, वह देश छोड़कर भाग गया, लेकिन उस पर मुकदमा नहीं चल सकता। शाह ने कहा, ‘‘ आज हमने तय किया है कि सत्र अदालत जिसे भगोड़ा घोषित करेगी, उसकी अनुपस्थिति में मुकदमा चलेगा और सजा सुनाई जाएगी।’’

उन्होंने कहा कि ‘मॉब लिचिंग (भीड़ द्वारा पीट पीटकर हत्या करना)’ के लिए सात साल या आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रावधान होगा। उन्होंने कहा कि नाबालिगों से दुष्कर्म के मामले में अधिकतम मृत्युदंड का प्रावधान भी है। उन्होंने कहा कि पहले आतंकवाद की कोई परिभाषा नहीं थी और पहली बार आतंकवाद को परिभाषित किया जा रहा है।

गृह मंत्री ने कहा कि नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार ‘शून्य प्राथमिकी’ की प्रणाली ला रही है जिसके तहत देश में कहीं भी अपराध हो, उसकी प्राथमिकी ‘‘हिमालय की चोटी से कन्याकुमारी के सागर तक कहीं से भी दर्ज कराई जा सकती है।’’ उन्होंने कहा कि संबंधित थाने को 15 दिन के अंदर शिकायत भेजी जाएगी।

उन्होंने कहा कि यह सरकार ई-प्राथमिकी की व्यवस्था शुरू करेगी। उन्होंने कहा कि अब प्रत्येक जिले में एक पुलिस अधिकारी नामित होगा जो हिरासत में लिये गये आरोपियों के परिजनों को इस बात का प्रमाणपत्र देगा कि ‘‘आपके परिजन हमारी गिरफ्त में हैं’’। शाह ने कहा कि अब पुलिस को परिजनों को ऑनलाइन और व्यक्तिगत सूचना देनी होगी।

उन्होंने कहा कि यौन हिंसा और उत्पीड़न के मामले में पीड़िता का बयान और उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य होगी। शाह ने कहा कि अदालतों में लंबित मामलों की संख्या कम करने और सुनवाई में देरी रोकने के लिए तीन साल से कम कारावास वाले मामलों में ‘त्वरित सुनवाई’ (समरी ट्रायल) की प्रणाली शुरू की जाएगी जिससे सत्र अदालतों में 40 प्रतिशत तक मामले कम हो जाएंगे।

उन्होंने कहा कि अब पुलिस को 90 दिन के अंदर आरोप पत्र दायर करना होगा जिसे अदालत 90 दिन और बढ़ा सकती है। शाह ने कहा कि पुलिस को अधिकतम 180 दिन में जांच समाप्त करनी होगी। उन्होंने कहा कि अदालतें अब फैसलों को सालों तक लंबित नहीं रख सकतीं, सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत को 30 दिन के अंदर फैसला सुनाना होगा और इसे एक सप्ताह के अंदर ऑनलाइन अपलोड करना होगा।

शाह ने कहा कि सात साल या अधिक कारावास की सजा वाले अपराध के मामले में पीड़ित का पक्ष सुने बिना कोई सरकार मामले को वापस नहीं ले सकेगी। उन्होंने कहा कि इससे नागरिकों के अधिकारों की रक्षा होगी। उन्होंने कहा कि नये कानूनों के तहत यह सरकार पहली बार शादी, रोजगार और पदोन्नति के झूठे वादे करके महिलाओं से यौन संबंध बनाने को अपराध की श्रेणी में ला रही है।

शाह ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2019 में ही हम सबका मार्गदर्शन किया था कि अंग्रेजों के बनाए हुए जितने भी कानून हैं उन पर सोच-विचार और चर्चा करके उन्हें आज के समय के अनुरूप और भारतीय समाज के हित में बनाया जाना चाहिए। वहीं से ये प्रक्रिया शुरू हुई।’’ शाह ने कहा कि ये कानून अंग्रेज शासन को मजबूत करने एवं उनकी रक्षा के लिए उन्होंने बनाये थे।

उन्होंने कहा कि इनका उद्देश्य दंड देना था, न्याय देना नहीं था। गृह मंत्री ने कहा कि सरकार लंबे विचार-विमर्श और मंथन के बाद तीनों नये विधेयक लेकर आई है और इनके माध्यम से भारत के नागरिकों को संविधान में प्रदत्त सारे अधिकारों का संरक्षण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आईपीसी में मनुष्य की हत्या से संबंधित अपराध धारा 302 के तहत दर्ज था, जबकि शासन के अधिकारी पर हमला, खजाने की लूट जैसे अपराधों को पहले दर्ज किया गया था। शाह ने कहा, ‘‘हम इस सोच को बदल रहे हैं।

नये कानून में सबसे पहला अध्याय महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध से संबंधित होगा और दूसरे अध्याय में मनुष्य हत्या के अपराध से जुड़े प्रावधान होंगे।’’ विधेयकों को पेश किये जाने के दौरान कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने सदन से वॉकआउट किया।

विधेयक पेश किये जाने पर खुशी जताते हुए बीजू जनता दल के सांसद बी महताब ने कहा, ‘‘यह अच्छी शुरुआत है और मुझे खुशी है कि मैं और मेरी पार्टी के अन्य सदस्य यहां इतिहास बनते देख रहे हैं।’’ शाह ने कहा कि 2027 तक देश की सभी अदालतों को कम्प्यूटराइज्ड किया जाएगा, प्राथमिकी से लेकर निर्णय लेने तक की प्रक्रिया को डिजिटल बनाया जाएगा, अदालतों की समस्त कार्यवाही प्रौद्योगिकी के माध्यम से होगी और आरोपियों की पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंस से होगी।

शाह ने कहा कि न्याय प्रक्रिया में लोगों के कम होते विश्वास के मद्देनजर यह कदम बहुत जरूरी और महत्वपूर्ण है और इसलिए न्याय प्रणाली में आधुनिक से आधुनिक तकनीक को समाहित करने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि अब ईमेल, एसएमएस, लैपटॉप, कम्प्यूटर समेत अनेक प्रौद्योगिकियों को साक्ष्य बनाने की वैधता मिलेगी।

उन्होंने कहा कि इन कानूनों का उद्देश्य अदालतों में दोषसिद्धि की दर को 90 प्रतिशत से ऊपर लेकर जाना है। शाह ने कहा कि नौकरशाहों के खिलाफ शिकायत दायर करने के लिए संबंधित अधिकारियों को 120 दिन के अंदर अनुमति देनी होगी या उससे इनकार करना होगा। यदि कोई उत्तर प्राप्त नहीं होता तो इसे ‘हां’ माना जाएगा।

उन्होंने यह भी कहा कि घोषित अपराधियों की संपत्ति को जब्त करके मुआवजे का प्रावधान किया गया है और राजनीतिक रसूख वाले अपराधियों को भी किसी तरह छोड़ा नहीं जाएगा। गृह मंत्री ने कहा कि अगस्त 2019 में देश के सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों, विधि विश्वविद्यालयों को पत्र भेजकर नये कानूनों के संबंध में सुझाव मांगे गये थे।

उन्होंने कहा कि 2020 में इस दिशा में कुछ आधार तैयार होने के बाद सभी सांसदों, विधायकों, मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों को पत्र लिखा गया। शाह ने कहा कि चार साल तक गहन विचार-विमर्श के बाद ये विधेयक लाये गये हैं। उन्होंने कहा कि इन पर मंथन के लिए हुईं 158 बैठकों में वह स्वयं उपस्थित रहे।

शाह ने कहा कि आईपीसी और सीआरपीसी समेत तीनों कानून गुलामी के निशान से भरे हैं जिनमें ब्रिटेन की संसद, लंदन के राजपत्र, ज्यूरी और बैरिस्टर और राष्ट्रमंडल के प्रस्ताव आदि का उल्लेख है। उन्होंने कहा कि अब नये कानूनों के लागू होने के बाद तलाशी और जब्ती में वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी तथा पुलिस द्वारा ऐसी रिकार्डिंग के बिना दर्ज आरोप पत्र मान्य नहीं होगा।

शाह ने कहा कि सरकार फोरेंसिक विज्ञान को बढ़ावा देगी और हर साल देश में 33 हजार फोंरिसक विशेषज्ञ तैयार होंगे। उन्होंने कहा कि सात वर्ष या उससे अधिक कारावास की सजा वाली धाराओं में अपराध स्थल पर फोंरसिक दल का दौरा अनिवार्य होगा। उन्होंने कहा कि भविष्य में हर जिले में तीन चल फोरेंसिक दल तैनात करने का विचार है।

विधेयकों का उल्लेख करते हुए गृह मंत्री ने बताया कि भारतीय दंड संहिता 1860 में बनाई गयी थी, वहीं दंड प्रक्रिया संहिता 1898 में बनाई गयी। भारतीय साक्ष्य संहिता 1872 में बनी थी। उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता 1860 की जगह अब भारतीय न्याय संहिता, 2023 स्थापित होगी। दंड प्रक्रिया संहिता 1898 की जगह अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता स्थापित होगी। भारतीय साक्ष्य संहिता 1872 की जगह अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम स्थापित किया जाएगा।

Web Title: Parliament monsoon session Bills to replace IPC, CrPC, Indian Evidence Act Seven years or life imprisonment or death penalty mob lynching sex with women first time by making false promises of marriage, employment and promotion, many changes ipc

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