लाइव न्यूज़ :

यूपी के डिप्टी सीएम ने सीता माता को बताया 'टेस्ट ट्यूब बेबी', जानिए क्या है ये आधुनिक तकनीक

By उस्मान | Published: June 01, 2018 5:15 PM

रामायण काल में टेस्ट ट्यूब बेबी का कॉन्सेप्ट था या नहीं यह एक बहस का मुद्दा है लेकिन आज के दौर में टेस्ट ट्यूब बेबी का कॉन्सेप्ट मौजूद है। सबसे अच्छी बात कि इस कॉन्सेप्ट का लाखों निसंतान कपल्स लाभ भी ले रहे हैं।

Open in App

भारतीय राजनीति के नेता आए दिन अपने अजीबोगरीब बयानों को लेकर चर्चा का विषय बनें रहते हैं। ताजा विवादित बयान उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा का है। दिनेश शर्मा ने टेक्नोलॉजी का हवाला देते हुए सीता को टेस्ट ट्यूब बेबी बता दिया। उन्होंने कहा, 'सीता जी का जन्म घड़े की मदद से हुआ था, जो उस वक्त टेस्ट ट्यूब से बच्चे पैदा करने का एक तरीका था। इसका मतलब साफ है कि रामायण काल में टेस्ट ट्यूब बेबी का कॉन्सेप्ट था।' 

खैर, दिनेश शर्मा के इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हो रही है। रामायण काल में टेस्ट ट्यूब बेबी का कॉन्सेप्ट था यह उनका अपना निजी बयान है लेकिन आज के दौर में टेस्ट ट्यूब बेबी का कॉन्सेप्ट जरूर मौजूद है। सबसे अच्छी बात कि इस कॉन्सेप्ट का लाखों निसंतान कपल्स लाभ भी ले रहे हैं। चलिए जानते हैं कि टेस्ट ट्यूब बेबी क्या होता है। 

आईवीएफ (In vitro fertilisation) ट्रीटमेंट ने ऐसे बहुत से कपल्स को बच्चा दिया है, जो प्रजनन समस्याओं से पीड़ित हैं। जैसे स्पर्म की क्वालिटी खराब होना, एग्स की क्वालिटी में गिरावट होना आदि। जब सारी गर्भ धारण के सारे तरीके असफल हो जाए, तब आइवीएफ का उपयोग करना चाहिए। आईवीएफ ट्रीटमेंट में पुरुष के स्पर्म और महिला के अंडे को बाहर निकालकर मिलाया जाता है और बाहर ही भ्रूण को तैयार किया जाता है। इसलिए इसे 'टेस्ट ट्यूब बेबी' के नाम से भी जाना जाता है। बहुत से लोग टेस्ट ट्यूब और सरोगेसी को एक प्रक्रिया समझ लेते हैं। लेकिन इन दोनों के बीच अंतर होता है।

 

टेस्ट ट्यूब बेबी क्या है?

टेस्ट ट्यूब बेबी वह प्रक्रिया है जिसमें गर्भाशय से बाहर, अर्थात इन-विट्रो यानी कृत्रिम परिवेश में, शुक्राणुओं द्वारा अंड कोशिकाओं का निषेचन किया जाता है। इसे दोबारा महिला के गर्भाशय में डाल दिया जाता है। इसे आसान भाषा में ऐसे समझा जा सकता है-आईवीएफ ट्रीटमेंट के पुरुष (पिता) के शुक्राणुओं और महिला (माता) के अंड को बाहर निकालकर मिलाया जाता है और बाहर ही भ्रूण को तैयार किया जाता है और जो सबसे अच्छा भ्रूण होता है उसे दोबारा महिला गर्भाशय में डाल दिया जाता है। यह पूरी प्रक्रिया एक प्रयोगशाला में की जाती है। इसे आईवीएफ ट्रीटमेंट है। इसे आम बोलचाल की भाषा में टेस्ट ट्यूब बेबी के नाम से जानते हैं। आज आईवीएफ का दुनियाभर में इस्तेमाल हो रहा है और इस तकनीक से 50 लाख से अधिक बच्चों का जन्म हो चुका है।

टेस्ट ट्यूब बेबी का खर्च

दिल्ली के एडवांस फर्टिलिटी एंड गैनाकोलोजी सेंटर में क्लिनिकल डायरेक्टर डॉक्टर बनर्जी के अनुसार, पिछले कुछ सालों में आईवीएफ ट्रीटमेंट की मांग भी बढ़ रही है। भारत में इसका खर्च  2 से 3 लाख रुपये है।  

(पिक्साबे) 

टॅग्स :दिनेश शर्माउत्तर प्रदेशरामायणहेल्थ टिप्सआईवीएफ तकनीक
Open in App

संबंधित खबरें

भारतLokmat Parliamentary Awards 2023: उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा नाम प्रो. रामगोपाल यादव को मिला लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड

कारोबारUP Budget 2024 Live updates: प्रभु श्रीराम लोकमंगल के पर्याय हैं, सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा-उत्तर प्रदेश का बजट श्रीराम को समर्पित

कारोबारUP Budget 2024: स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकार का बड़ा कदम, NHM के अंतर्गत 7350 करोड़ रुपए आवंटित

क्राइम अलर्टKanpur Dehat Road Accident: कार के गहरे नाले में गिरने से दो सगे भाइयों सहित छह लोगों की मौत, भिंड में ‘तिलक’ समारोह में भाग लेने के बाद गांव लौट रहे थे...

कारोबारUP Budget 2024 Live Updates: ‘राज्य कृषि विकास योजना’ के लिए 200 करोड़ रुपये, मुख्यमंत्री खेत सुरक्षा योजना की शुरुआत, जानें मुख्य बातें

स्वास्थ्य अधिक खबरें

भारतMadhya Pradesh: पटाखा फैक्ट्री में ब्लास्ट, 12 की मौत और 200 घायल, मृतकों को 2 लाख, घायलों को 50 हजार मुआवजे का ऐलान

भारतउत्तराखंड सरकार के यूसीसी बिल पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने जताई आपत्ति, कहा- "हम यूसीसी के जरिये लागू किये जा रहे समान नागरिक संहिता से सहमत नहीं हैं"

भारतLokmat Parliamentary Awards 2023: आठ अलग-अलग श्रेणियों में पुरस्कार, यहां देखें विजेताओं की सूची

भारतLokmat Parliamentary Awards 2023: जॉन ब्रिटास: मीडिया में करीब 3 दशक की बड़ी पारी खेलने के बाद साल 2021 में राजनीति में कदम रखा, सर्वश्रेष्ठ नवोदित सांसद का अवार्ड मिला

भारतLokmat Parliamentary Awards 2023: सांसद कुंवर दानिश अली को मिला 'नवोदित सांसद' का पुरस्कार, जानिए उनका सियासी सफर