MP CM Mohan Yadav full interview: मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में इस बार कितनी सीटें भाजपा को मिलेगी और क्या 2019 के चुनाव परिणाम का रिकॉर्ड टूटेगा? रोजगार,पेपर लीक और धर्म की राजनीति जैसे तमाम मुद्दों पर प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से लोकमत समूह के संपादकीय निदेशक ऋषि दर्डा और वरिष्ठ संवाददाता अनुराग श्रीवास्तव ने बातचीत की. पढ़िए उनसे साक्षात्कार के खास अंश..
2019 में भाजपा को 28 सीटें मिली थीं और कांग्रेस एक सीट पर सिमट गई थी. डॉ. मोहन यादव अपनी पहली परीक्षा में कितने सफल रहेंगे?
प्रधानमंत्री मोदी ने सरकार के नेतृत्व के तौर पर 10 वर्षों में इतनी मेहनत की है और निजी तौर भी देशभर में सक्रीय रहे. उनके काम करने के स्टाइल ही ऐसा है कि पहले दिन से चुनाव की तैयारी जैसा माहौल होता है. इसलिए हमें कम मेहनत करनी पड़ रही है. हम आश्वस्त हैं कि प्रदेश में भाजपा का परिणाम शत प्रतिशत रहेगा. हम सभी 29 लोकसभा सीट जीतने जा रहे हैं.
आपके नाम के साथ जुड़ा यादव सरनेम सिर्फ मध्यप्रदेश ही नहीं, उत्तर प्रदेश और बिहार में भी भाजपा के काम आता है, ताकि यादव वोटर्स को प्रभावित किया जाए?
मेरे परिवार से कोई सांसद, मंत्री या विधायक नहीं रहा. लेकिन मुझे शिक्षा मंत्री और अब मुख्यमंत्री बनाया गया, तो पार्टी जो भी जवाबदारी देगी वह निष्ठा पूर्वक निभाता रहूंगा. लेकिन इसे यूपी-बिहार से मत जोड़िए. मैं आठ राज्यों का स्टार प्रचारक हूं. पार्टी के आदेश अनुसार जहां भेजा जाता है, वहां पहुंच जाता हूं. वहां भी जाना चाहिए जहां का मैं स्टार प्रचारक नहीं भी हूं. एक छोटे कार्यकर्ता को भी मुख्यमंत्री के पद तक पहुंचने का मौका मिला, ये सिर्फ भाजपा में ही संभव है.
मुझे वो क्षण बताइए जब आपके नाम की घोषणा बतौर सीएम हुई, किसके साथ बैठे थे?
अब वो पुरानी बात हो गई, मैं अपने ऐसे कई रहस्यों को बता सकता हूं. जब मैं 2003 में भाजपा की संसदीय समिति से टिकट लेकर आया था. उज्जैन के अंदर मैंने वो जिम्मेदारी किसी और को दे दी. मैं उस क्षण का भी साक्षी रहा हूं. जब 10000 लोगों की भीड़ मेरे साथ जुलूस निकालकर पर्चा भरने जा रही थी, तभी मैं दूसरों को लिख देता हूं कि वो चुनाव लड़ें, मैंने वो वक्त भी देखा है.
छिंदवाड़ा सीट को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता है, उसे लेकर क्या संभावनाएं हैं?
मैंने कहा था कि कांग्रेस का गढ़ नहीं कांग्रेस की गड़बड़ है और यह सिद्ध भी हो गया है. कमलनाथ अभी तो कांग्रेस की तरफ से खड़े हैं, उनका मन बदलेगा और हो सकता है कि हार के बाद इस तरफ आ जाएं. फिलहाल अभी हमने उनको हराने के लिए लड़ाई लड़ी है.
मंडला और राजगढ़ को लेकर आपकी रणनीति कैसी रहेगी?
हमारी रणनीति बहुत साफ है. हम कभी भी पीठ पीछे रणनीति नहीं बनाते. कोई छल नहीं, कोई फरेब नहीं, कोई झूठ नहीं, कोई हथकंडा नहीं. अपने काम के बलबूते पर प्रधानमंत्री मोदी ने साख कायम की है. मध्यप्रदेश वह राज्य है, जो जनसंघ के जमाने से हमारी ताकत रहा है. जनता के बीच में भाजपा की बहुत अच्छी गुडविल है और कांग्रेस ने अपनी विश्वसनीयता खो दी है. कांग्रेस के प्रत्याशी टिकट वापस कर रहे हैं. इंदौर जैसी जगह पर कांग्रेस का उम्मीदवार सरेंडर कर रहा है और वह कहते हैं कि सब भाजपावाले करा रहे हैं. अरे! भाजपावाले भला कैसे करा सकते हैं? आप में दम हो तो आप हमारा तोड़ के बता दो.क्या कमलनाथ भी भाजपा में आ सकते हैं? फिलहाल ‘कमल’ हमारे साथ है. मैं कमलनाथ की नहीं कह रहा हूं, कमल हमारा चुनाव चिन्ह है.
दिग्विजय सिंह कह रहे हैं कि यह उनका आखिरी चुनाव है? इसे कैसे देखते हैं?
वे जिस तरह से कह रहे हैं, यह एक हारे हुए कार्यकर्ता की निशानी है. चुनाव को चुनाव की तरह लड़ा जाना चाहिए. आप तो बड़े बहादुर हैं, आप तो आतंकवादियों को भी जी लगाते हैं, देश की सीमाओं के बाहर जाकर सेना शौर्य पराक्रम दिखाती है, तो आप उसके प्रमाण मांगते हैं, भगवान राम के मंदिर का भी विरोध करते हैं. आप ऐसा क्यों कह रहे हो साहब! आप चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं, लेकिन भगवान राम के धाम जाने की बात पर शर्मा रहे हैं. महात्मा गांधी ने हे राम! बोला. ये तो राम भी नहीं बोल पा रहे हैं.
आपको नहीं लगता कि पूरा का पूरा चुनाव राम मंदिर, धर्म और तुष्टिकरण के इर्द-गिर्द घूम रहा है?
यह कांग्रेस का किया धरा है, हमने नहीं किया. कांग्रेस ने घोषणापत्र में डालकर यूटर्न लिया है. कांग्रेस को मालूम था कि विकास पर वो बात नहीं कर पाएंगे, पीएम मोदी को रोक नहीं पाएंगे, आर्थिक क्षेत्र की उपलब्धियों में पार नहीं पा पाएंगे. हम देश को 11वें से 5वें नंबर पर ले आए हैं. प्रधानमंत्री मोदी गरीबों की मदद में, कोविड में, विकास में, रूस-यूक्रेन युद्ध से विद्यार्थियों को बचाने में तमाम मामलों में बहुत आगे निकल गए हैं. राहुल गांधी कहते हैं कि भाजपा सत्ता में आई तो संविधान बदल देगी? भाजपा गई कहां है. 10 वर्षों से तो हम सत्ता में ही हैं. 55 वर्ष तो उन्होंने सरकार चलाई. इतने वर्षों में वे गरीबी दूर नहीं कर पाए, तो गरीब का ‘ग’ तक तो इन्हें आता नहीं है.
विरोधी पक्ष का आरोप है, ईडी-सीबीआई का डर दिखा बड़े-बड़े नेताओं को भाजपा में जोड़ा गया?
एक भी प्रमाण दिखा दीजिए. ये आप गलत प्रकरण ला रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि अभिषेक बम के खिलाफ धारा बढ़ाओ. कोर्ट में धारा बढ़ी है, तो न्यायालय कुछ भी कह सकता है. न्यायालय के लिए हम क्या करेंगे? वो हमारे कहने पे नहीं बढ़ाई गई है. लेकिन कांग्रेस का प्रत्याशी कांग्रेस का टिकट लौटा रहा है, तो उसमें भाजपा क्या करेगी. क्या हमारा अंडमान निकोबार से लेकर देश के सारे राज्यों में तमिलनाडु जैसी जगह में कोई टिकट नहीं लौटा रहा है और इनके लोग यहां लौटा रहे हैं, जहां इनकी दशकों तक सरकार रही. ये उस तरह की ट्रेन में बैठ गए हैं, जिस ट्रेन के आगे इंजन है ना पीछे. तो ऐसे डब्बे में सफर कैसे करेंगे? इसलिए इनके यात्री ट्रेन छोड़-छोड़कर जा रहे हैं.
आप उच्च शिक्षा मंत्री भी रहे हैं, तो आप छात्रों के लिए कौनसे मुद्दों को सामने लेकर जा रहे हैं? क्या बदलाव लाना चाहेंगे?
कई बदलाव किए जैसे, नई शिक्षा नीति का नया प्रारूप 2020 लागू किया. सबसे पहले देश में लागू करने के लिए कोई स्टेट आगे बढ़ा तो मध्यप्रदेश. जिसने उसको आगे आकर अंगीकार किया और हमने कोशिश की कि हमारी शिक्षा वाकई में उच्च स्तरीय बने. अत: पाठ्यक्रम में बदलाव भी किया. बीए, बीकॉम, बीएससी के दायरे से जो शिक्षा होती थी उसके पैटर्न को बदला है. व्यक्ति की इच्छा पर छोड़ दिया कि वो क्या पढ़ना चाहता है. बेटा-पोता सब पढ़ना चाहें तो सबको एडमिशन मिलेगा. डबल डिग्री किसी उम्र में भी पा सकते हैं. हमने अपने पाठ्यक्रम में पवित्र ग्रंथों को भी शामिल किया. इनमें रामायण, गीता, महाभारत के सुंदर प्रसंग जोड़े गए हैं.
मध्य प्रदेश में जैसे ही आपने कुर्सी संभाली, कई बड़े फैसले लिए. लाउड स्पीकर बैन, खुले में मांस की बिक्री. लेकिन आगे का विजन क्या है?
ये बिलकुल स्पष्ट है कि हम अपने प्रदेश की विशेषताओं को समझते हुए भविष्य के विकास के सपने बुनना जरूरी मानते हैं और उस दिशा में काफी काम भी किया है. मध्यप्रदेश की भौगोलिक स्थिति ऐसी है की यह देश का मध्य है. उत्तर-दक्षिण-पूर्व-पश्चिम कहीं भी आने-जाने के लिए यहां से सरलता होती है.