Uttar Pradesh Lok Sabha Election 2024 Phase 4: बीते तीन चरणों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस से से उत्तर प्रदेश में कड़ी चुनौती मिली है. ऐसे में अब भाजपा नेताओं पर चौथे चरण की 13 सीटों पर पुराने प्रदर्शन को दोहराने का दबाव है. बीते लोकसभा चुनाव में भाजपा चौथे चरण की सभी 13 सीटों पर जीती थी. चुनाव चुनावी आंकड़े के चलते ही सपा मुखिया अखिलेश यादव ने अवध, तराई और सेंट्रल यूपी के 13 जिलों में होनेवाले चौथे चरण के चुनाव को इस बार अपनी प्रतिष्ठा का मुददा बना लिया है.
उन्होंने तय किया हैं इस बार भाजपा को किसी भी सूरत में सभी 13 सीटों जीतने नहीं देंगे. अपने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए अखिलेश यादव ने बहुत सोंच विचार कर हर सीट के जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए बीते लोकसभा चुनावों की तुलना में नए लड़ाके चुनाव मैदान में उतारे हैं. इस चौथे चरण में शाहजहांपुर (सुरक्षित), खीरी, धौरहरा, सीतापुर, हरदोई (सुरक्षित), मिश्रिख (सुरक्षित), उन्नाव, फर्रुखाबाद, इटावा (सुरक्षित), कन्नौज, कानपुर, अकबरपुर और बहराइच (सुरक्षित) में 13 मई को मतदान होना है.
बीते लोकसभा चुनाव इस चरण की इन सभी 13 सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी, ऐसे में फिर इस बार मोदी-योगी के इकबाल की परीक्षा होनी है. वही दूसरी तरफ सपा मुखिया अखिलेश यादव ने इस बार कन्नौज सीट से चुनाव मैदान में उतर कर सीधे भाजपा को चुनौती दे दी है. बीते लोकसभा चुनाव में कन्नौज सीट से भाजपा के सुब्रत पाठक ने अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव को हराया था.
लेकिन अब कन्नौज ही नहीं इस चरण की कई सीटों पर सपा के उम्मीदवारों से भाजपा को कड़ी चुनौती मिल रही है और भाजपा उम्मीदवार अपनी स्थिति को बेहतर करने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी तथा सीएम योगी आदित्यनाथ के चुनावी सभा पाने क्षेत्र में कराये जाने की मांग कर रहे हैं. ऐसे मांग करने वालो में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी भी शामिल हैं.
फिलहाल अखिलेश यादव इस चरण की शहरी, कस्बाई व दलित बहुल इलाकों को समाहित करने वाली सीटों सामाजिक समीकरणों को कसने हुए भाजपा उम्मीदवारों के लिए संकट खड़ा कर रहे हैं. इस चौथे चरण में 13 मई को 13 लोकसभा सीटों के साथ ही शाहजहांपुर की ददरौल विधानसभा क्षेत्र का उपचुनाव होना है.
यह सीट भाजपा विधायक मानवेंद्र सिंह के निधन के चलते खाली हुई है. इस सीट पर भी सपा उम्मीदवार भाजपा के सामने अवरोध बने हुए हैं. फिलहाल इस चरण की सभी सीटों पर भाजपा की सपा और कांग्रेस से ही सीधी लड़ाई हो रही है, जिसे बसपा त्रिकोणीय बनाने में लगी है. वहीं, भाजपा मोदी की गारंटी और पिछले दो चुनावों में वोट बैंक के जमीनी विस्तार के भरोसे फिर क्लीन स्वीप का ख्वाब देख रही है.
इस चरण में सबसे रोचक मुक़ाबला लखीमपुर खीरी सीट पर देखने को मिल रहा हैं. केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी इस सीट से हैट्रिक लगाने की मंशा से चुनाव मैदान में हैं. किसान आंदोलन के दौरान हुए विरोध प्रदर्शन में यहां जीप से कुचलकर किसानों की हुई मौत के मामले में टेनी के बेटे आशीष मिश्रा आरोपित हैं. इस कारण विपक्ष ने टेनी की उम्मीदवारी को किसान बेल्ट में मुद्दा बनाया हुआ.
सपा ने यहां से इस बार नए चेहरे उत्कर्ष वर्मा को टिकट दिया है, जो टेनी को गांव-गांव में प्रचार करने जाने के लिए मजबूर किए हुए हैं. इसी प्रकार खीरी से सटी धौरहरा सीट पर भाजपा सांसद रेखा वर्मा को सपा के आनंद भदौरिया और बसपा के श्याम किशोर अवस्थी से तगड़ी चुनौती मिल रही हैं.
अकबरपुर में भाजपा के देवेंद्र सिंह भोले सपा के राजाराम पाल और बसपा के राजेश कुमार द्विवेदी से मुकाबला कर रहे हैं. फर्रुखाबाद में भाजपा के मुकेश राजपूत के सामने भी बसपा के नए लड़ाके मनोज अग्रवाल मैदान में हैं. इसी प्रकार सीतापुर में भाजपा के राजेश वर्मा को कांग्रेस-सपा गठबंधन ने नए लड़के राकेश राठौर और बसपा ने महेंद्र यादव से जूझना पड़ रहा है.
हरदोई में भाजपा के जयप्रकाश रावत के मुकाबले सपा ने ऊषा वर्मा को रिपीट किया है. इटावा सीट पर भाजपा के रामशंकर कठेरिया का मुकाबला करने के लिए सपा ने नए लड़ाके जितेंद्र दोहरे को और बसपा ने सारिका सिंह बघेल को उतारा है. कानपुर और बहराइच में भी भाजपा और विपक्ष ने इस बार अपने प्रत्याशी बदले हैं.
कानपुर में भाजपा के रमेश अवस्थी के मुकाबले श्रीप्रकाश जायसवाल की जगह कांग्रेस ने आलोक मिश्रा को उतारा है. इसी तरह बहराइच भाजपा ने यहां अक्षयवर लाल गोंड के बेटे डा. अरविंद गोंड को उतारा है. इस बार बहराइच में अरविंद का मुकाबला सपा के रमेश गौतम और बसपा के बृजेश कुमार सोनकर से हो रहा है.