शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जारी प्रदर्शन पर दक्षिण पूर्व दिल्ली डीसीपी, चिन्मय बिस्वाल का एक बयान आया है..जिसने बैचैनी बढ़ा दी है..बिस्वाल ने कहा हम प्रदर्शन कर रहे लोगों से अपील कर रहे हैं कि किसी दूसरी जगह प्रदर्शन करें..चिन्मय बिस्वाल ने प्रदर्शन करने वालों को कोर्ट के फैसले का पालन करने की सलाह दे डाली..और कहा कि हम कोई कड़ा एक्शन नहीं लेना चाहते मतलब थोड़ी सी धमकी भी है..डीसीपी ने कहा कि बिना सड़क रोके प्रदर्शन शांतिपूवर्क भी हो सकता..हम लगातार प्रदर्शन करने वाले लोगों से बात कर रहे हैं..डीसीपी ने कहा कि शाहीन बाग-कांलिंदी कुंज सड़क बंद होने से लोगों की रोजमर्रा के काम नहीं हो पा रहे हैं..दरअसल आज हाई कोर्ट ने सरिता विहार आरडब्ल्यूए की एक याचिका पर दिल्ली पुलिस को मामले को देखने का निर्देश दिया है..इस याचिका में कालिंदी कुंज-शाहीन बाग रोड के बंद होने से बच्चों की बोर्ड की परीक्षाओं में हो रही परेशानी की बात कही गयी. दिल्ली पुलिस के इस रिक्वेस्ट और धमकी की जड़ें 10 दिन पुरानी है..दरअसल उपराज्यपाल अनिल बैजल ने 10 जनवरी को एक अधिसूचना जारी कर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानि रासुका के तहत दिल्ली पुलिस कमिश्नर को किसी व्यक्ति को हिरासत में लेने का अधिकार प्रदान किया है.. रासुका ऐसे व्यक्ति को एहतियातन महीनों तक हिरासत में रखने का अधिकार देता है, जिससे प्रशासन को राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून व्यवस्था के लिए खतरा महसूस हो.. अधिसूचना के मुताबिक उपराज्यपाल ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून 1980 की धारा तीन की उपधारा (3) का इस्तेमाल करते हुए 19 जनवरी से 18 अप्रैल तक दिल्ली पुलिस आयुक्त को किसी व्यक्ति को हिरासत में लेने का अधिकार दिया.. लेकिन अब इस फैसले पर सवाल उठ रहे हैं ..ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि इसका सहारा लेकर कई 19 जनवरी की रात कई गिरफ्तारिया हो सकती हैं..इस सवाल उठने की वजह इसकी टाइमिंग है..क्यों कि ये लागू भी 19 जनवरी से ही हो रहा है..यह फैसला ऐसे समय आया है जब दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं.. हालांकि, इस नोटिफिकेशन के सवाल उठने के बाद दिल्ली पुलिस का कहना है कि यह एक रुटीन प्रकिया है.. ऐसा नोटिफिकेशन हर तीन महीने पर जारी किया जाता है और मौजूदा परिस्थितियों यानि नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के विरोध प्रदर्शन से इसका कोई लेना देना नहीं है.