कलाकार : अक्षय कुमार,विद्या बालन,सोनाक्षी सिन्हा,तापसी पन्नू,कीर्ति कुल्हारी,शरमन जोशी,नित्या मेनन,संजय कपूर,जीशान अयूब निर्देशक: जगन शक्ति मूवी टाइप: ड्रामाअवधि: 2 घंटा 13 मिनटरेटिंग: 3.5/5
अक्षय कुमार की फिल्म मिशन मंगल बड़े पर्दे पर आज रिलीज हो गई है। साधारण लोगों के मंगल ग्रह तक पहुंचने की इस असाधरण कहानी को पर्दे पर देखना अपने आप में फील गुड करा जाता है। 15 अगस्त आजादी के दिन देश के इस एतिहासिक जीत को देखकर आपको गर्व महसूस होगा। दर्शकों के इसी नब्ज को पकड़ कर रिलीज की गई इस फिल्म को दर्शकों का रिस्पॉन्स भी अच्छा मिल रहा है। चलिए बताते हैं कैसी है फिल्म और क्या है फिल्म में खास
क्या है कहानी
मिशन मंगल की कहानी है इसरो के मार्स प्रॉजेक्ट की। 24 सितंबर 2014 को इसरो (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन) ने कई महिला साइंटिस्टों की मदद से मंगल गृह की कक्षा में सैटलाइट लॉन्च किया था। इस ऐतिहासिक कारनामे के बाद पूरी दुनिया ने भारत को सलाम किया था। इसी के साथ ही भारत विश्वभर में पहला ऐसा देश बना, जो काफी कम बजट में अपने पहले ही प्रयास में इस मिशन में सफल रहा।
फिल्म की बात करें तो वह शुरु होती है साल 2010 से। इस समय इसरो के जाने-माने साइंटिस्ट और मिशन डायरेक्टर राकेश धवन (अक्षय कुमार) इसरो की ही साइंटिस्ट और प्रॉजेक्ट डायरेक्टर तारा शिंदे (विद्या बालन) के साथ मिलकर एक जीएसएलवी सी-39 नामक मिशन के अंतर्गत रॉकेट लॉन्च करते हैं। लेकिन उनका ये मिशन नाकामियाब साबित होता है।
इसके बाद उन्हें एक ऐसे प्रोजेक्ट का हेड बना दिया जाता है जिसकी होने की कल्पना भी लोग नहीं कर सकते थे। राकेश को इसरो के मार्स प्रॉजेक्ट वाले विभाग में भेज दिया जाता है। इस प्रॉजेक्ट के लिए इसरो के हेड विक्रम गोखले को आश्वस्त किया जाता है। अब समस्या तब खड़ी होती है जब इस प्रोजेक्ट के लिए कुछ नौसेखिये साइंटिस्ट की टीम उनको दे दी जाती है।
इन साइंटिस्टों में ऐका गांधी (सोनाक्षी सिन्हा), कृतिका अग्रवाल (तापसी पन्नू), वर्षा पिल्ले (नित्या मेनन), परमेश्वर नायडू (शरमन जोशी) और एचजी दत्तात्रेय (अनंत अय्यर) होते हैं। जो खुदी की पर्सनल लाइफ की समस्याओं में उलझे रहते हैं। तारा शिंदे उनकी सोच को बदलकर उन्हें मिशन मंगल पर जी-जान से जुटने को प्रेरित करती है। इसके बाद कैसे और किस तरह ये टीम भारत को मंगल पर पहुंचाती है यही है फिल्म की कहानी।
डायरेक्श जबरदस्त
इस फिल्म से जगन शक्ति ने डायरेक्शन में अपना डेब्यू किया है। सच्ची और ऐतिहासिक इस कहानी को बड़े पर्दे पर दिखाने में, प्रभावी तरीके से दिखाने में सफल हुए हैं। बतौर डायरेक्टर उन्होंने दर्शकों के इमोशन को मजबूती से पकड़ा है।
क्रिस्प है कहानी
फिल्म की कहानी बेहद क्रिस्प है। सधी हुई होने के कारण आप इससे कनेक्ट कर पाते हो। फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर काफी अच्छा है। अंत तक आप फिल्म से जुड़े हुए महसूस करेंगे। होमसाइंस और दूसरे साइंटिफिक तथ्यों के आधार पर मंगलयान मिशन के सफर को समझाने की कोशिश की है, मगर स्पेशल इफेक्ट्स के मामले में वह कमजोर साबित हुए हैं। वीएफएक्स इफेक्ट्स दमदार होते तो स्पेस वाले दृश्य बेहतरीन बन सकते थे।
एक्टिंग है जबरदस्त
सभी कलाकारों ने अपने अभिनय को जीया है। अक्षय कुमार के राकेश धवन के किरदार से आपको कुछ अलग ही लगाव हो जाएगा। वहीं विद्या बालन भी काफी स्ट्रॉग रोल में नजर आई हैं। मां और बीवी के साथ उनकी साइंटिस्ट की भूमिका में विद्या बिल्कुल परफेक्ट हैं।
ओवरऑल फिल्म को देशभक्ति के नजरिए से देखिये, इंटरटेनमेंट के नजरिए से देखिए या साइंस के नजरिए से देखिए फिल्म आपके दिल को छू जाएगी।