Pitru Paksha 2023: हिंदू धर्म में व्रत-त्योहारों के साथ ही पितरों को समर्पित पितृ पक्ष का खास महत्व है। स्वर्गवास हुए पूर्वजों को समर्पित इस माह से जुड़े कई नियम और कर्मकांड है जिनका पालन हर हिंदू करता है।
इस साल पितृ पक्ष या श्राद्ध की पवित्र अवधि इस वर्ष 29 सितंबर (शुक्रवार) से शुरू होगी और अगले 16 दिनों तक जारी रहेगी। पितृ पक्ष या श्राद्ध एक शुभ अवधि है जब हमारे पूर्वज पृथ्वी पर आते हैं और उनका आशीर्वाद पाने के लिए उपाय करना महत्वपूर्ण माना जाता है।
यह हर साल पूर्णिमा से अगली अमावस्या तिथि तक मनाया जाता है, जो पूरे 16 दिन होते हैं। श्राद्ध से जुड़ी कई मान्यताएं हैं जैसे लोगों को किसी भी उत्सव का हिस्सा बनने से बचना चाहिए, नई चीजें खरीदना प्रतिबंधित है और पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान जैसे अनुष्ठान करने चाहिए।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार एक प्रमुख मान्यता यह है कि जो लोग अपने पूर्वजों के लिए तर्पण और पिंडदान करते हैं। उन्हें श्राद्ध की इस पवित्र अवधि के दौरान कुछ खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों से परहेज करते हुए सख्त आहार पर रहना चाहिए। यहां उन खाद्य पदार्थों की सूची दी गई है जिनसे आपको श्राद्ध के इन 16 दिनों के दौरान बचना चाहिए।
पितृ पक्ष के दौरान इन चीजों का सेवन वर्जित
1- प्याज और लहसुन
आयुर्वेद लहसुन को राजसिक और प्याज को तामसिक की श्रेणी में रखता है क्योंकि ये शरीर में गर्मी पैदा करते हैं। इसलिए श्राद्ध काल में प्याज और लहसुन से परहेज करना चाहिए।
2- गेहूं और दालें
श्राद्ध के दौरान कच्चा अनाज, दालें या चावल सख्त वर्जित हैं। इसलिए, इन खाद्य पदार्थों के बिना भोजन बनाने का ध्यान रखें।
3- शराब का सेवन
श्राद्ध के 16 दिनों तक ध्यान रहे कि आप शराब हो हाथ भी न लगाएं। मादक पेय पदार्थों के सेवन से बचें। पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के लिए अनुष्ठान करना और भगवान की पूजा करना एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान माना जाता है।
4- मांसाहारी भोजन
श्राद्ध के दौरान सबसे महत्वपूर्ण बात जो ध्यान में रखनी चाहिए वह है मांसाहारी भोजन का सेवन करने से बचना। मांस, चिकन, अंडे और अन्य जैसे मांसाहारी खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए क्योंकि श्राद्ध को एक पवित्र काल माना जाता है।
5- इन सब्जियों का सेवन वर्जित
पितृ पक्ष के दौरान काला नमक, खीरा, बैंगन और जीरा जैसे खाद्य पदार्थों से भी परहेज करना चाहिए। पान, सुपारी, शराब एवं तम्बाकू पूर्णतया वर्जित है।
जानकारी के अनुसार, पितृ पक्ष के आखिरी दिन को सर्वपितृ अमावस्या या महालया अमावस्या के नाम से जाना जाता है। महालया अमावस्या पितृ पक्ष का सबसे महत्वपूर्ण दिन है। यदि कोई श्राद्ध अनुष्ठान करने में असमर्थ है, तो वे अपने पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के लिए पितृ पक्ष के अंतिम दिन अनुष्ठान कर सकते हैं।
(नोट: यहां दी गई जानकारी सामान्य ज्ञान पर आधारित है और इसका कोई प्रमाणिक साक्ष्य नहीं है। दी गई जानकारियों को मानने से पहले किसी विशेषज्ञ की सलाह लें क्योंकि लोकमत हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है।)