बेंगलुरु, 05 मई 2018ः कर्नाटक में कुछ ऐसे राजनेता हैं जिनका वर्चस्व अपने विधानसभा क्षेत्र में पार्टी से भी ऊपर है। प्रदेश में किसी भी तरह की राजनीतिक उठा-पटक और समीकरण का असर इनके चुनाव पर नहीं पड़ता। ये ना सिर्फ जीत दर्ज करते हैं बल्कि कोई प्रतिद्वंदी आस-पास भी नहीं फटकता। इन नेताओं को किसी पार्टी की नहीं बल्कि पार्टी को इन नेताओं की जरूरत होती है। इनकी राजनीतिक विरासत, नेतृत्व और व्यक्तित्व किसी भी चुनावी खेल में बढ़त दिलाता है। कर्नाटक की क्षेत्रीय भाषा में इन्हें 'वार्चाज' (Varchas) कहा जाता है। इस आर्टिकल में बात कर्नाटक के ऐसे ही 11 दिग्गज नेताओं (Varchas) की। (कर्नाटक विधानसभा चुनाव से जुड़ी सभी खबरों के लिए यहां क्लिक कीजिए)
1. उमेश विश्वनाथ कट्टी (Umesh Vishwanath Katti)
उमेश विश्वनाथ कट्टी साल 1985 से विधायक हैं। फिलहाल वो हुक्केरी सीट से विधायक हैं। अपने राजनीतिक करियर में इन्होंने आठ चुनाव लड़े हैं जिसमें से सात में जीत दर्ज की है। कट्टी पार्टी लाइन से हटकर भी क्षेत्रीय मुद्दों के लिए संघर्ष करते रहते हैं। 1985 में उन्होंने जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था, 1989, 1994 और 2008 में जनता दल सेकुलर, और 2013 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। उन्हें सिर्फ 2004 में हार का सामना करना पड़ा जब वो कांग्रेस के प्रत्याशी थे। उन्हें बीजेपी की शशिकांत नायिका ने 820 मतों से हराया था।
2. यूटी खादेर ( UT Khader)
यूटी खादेर के पिता यूटी फरीद मंगलुरु सीट से चार बार विधायक रहे- 1972, 1978, 1999 और 2004। अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाते हुए 2007 से जूनियर खादेर भी विधायक हैं। उन्होंने 2007 उप-चुनाव, 2008 विधानसभा चुनाव और 2013 के चुनाव में धमाकेदार जीत दर्ज की। इस वक्त कर्नाटक सरकार में खाद्य एवं प्रसंस्करण मंत्री हैं। अपने विधानसभा क्षेत्र में इनकी मजबूत पकड़ है।
3. तनवीर सैत (Tanveer Sait)
इस सीट पर भी पिता-पुत्र की विरासत चल रही है। नरसिम्हा राजा सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता अजीज सैत का तीन दशकों तक दबदबा रहा है। अब उन्हीं के बेटे तनवीर सैत यहां से विधायक हैं। हालांकि जेडीएस और एसडीपीआई जैसी विपक्षी पार्टियों ने तनवीर सैत को हराने की कोशिशों में नाकामयाब रहे। इलाके में सैत परिवार समाज सुधारक माने जाते हैं।
4. दिनेश गुंडु राव (Dinesh Gundu Rao)
दिनेश गुंडु राव के पिता कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री आर. गुंडु राव हैं। उन्हें हाल ही में कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। दिनेश गुंडु राव पांचवी बार कर्नाटक की गांधीनगर सीट से चुनाव लड़ेंगे। यहां से वो 1999 से लगातार से चुनाव जीत रहे हैं। पुराने कांग्रेसी होने के नाते कांग्रेस का बेस वोटर खूब सपोर्ट करता है।
5. जगदीश शेट्टर (Jagdish Shettar)
भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व अंतरिम मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टर छठवीं बार हुबली-धारवाड़ सेंट्रल से चुनाव लड़ेंगे। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद वो मुख्यधारा की राजनीति में सक्रिय हुए। उन्हें 2005 में कर्नाटक बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। 2008-09 में कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर नियुक्त हुए। उन्होंने लिंगायतों का खूब समर्थन है। भ्रष्टाचार मुक्त छवि है।
6. बी रामंथा राय (B. Ramanatha Rai)
बी. रामंथा राय साल 1985 से बांटवाल सीट से कांग्रेस पार्टी का चेहरा हैं। राय ने सात चुनाव लड़े हैं जिसमें से सिर्फ एकबार उन्हें हार का सामना करना पड़ा है। 2004 में बीजेपी के नागराज शेट्टी ने उन्हें हराया था। 2013 चुनावों में उन्होंने बड़े अंतर से जीत दर्ज की। क्षेत्रीय लोगों में उनकी मजबूत पकड़ है। सेकुलर और साफ-सुधरी छवि मानी जाती है। उन्होंने क्षेत्र में विकास कार्य भी किया है। विपक्ष भी उनका सम्मान करता है। इस वक्त कर्नाटक सरकार में मंत्री हैं।
7. बीएस येदियुरप्पा (BS Yeddyurappa)
कर्नाटक में बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री पद का चेहरा बीएस येदियुरप्पा आठवीं बार विधायक बनने के लिए तैयार हैं। वो अपने गृह नगर शिकारीपुरा से चुनाव लड़ते रहे हैं। उन्हें सिर्फ 1983 में एकबार हार का मुंह देखना पड़ा है। राज्य में पार्टी को फर्श से अर्श तक पहुंचाने का क्रेडिट जाता है। 2013 में बीजेपी ने येदियुरप्पा के बिना चुनाव में जाने का फैसला किया और उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था। भ्रष्टाचार के तमाम आरोपों के बावजूद लिंगायत वोटरों का समर्थन है। येदियुरप्पा ने बूथ लेवेल कैडर का मजबूत आधार बना लिया है।
8. आरवी देशपांडे (RV Deshpande)
कांग्रेस के दिग्गज नेता रघुनाथ विश्वनाथ देशपांडे हलियाल सीट से आठवीं बार चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने राजनीति की शुरुआत 1983 में जनता पार्टी से की थी। उसके बाद 1989 में जनता दल सेकुलर में चले गए। 1999 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी ज्वॉइन कर ली। उन्हें विजनरी नेता माना जाता है। उनके विचारों का कांग्रेस पार्टी की नीतियों पर प्रभाव दिखता है। ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए। अपनी जाति के वोटर में गहरी पैठ है।
9. सतीश जरकीहोली (Satish Jarkiholi)
10. रमेश जरकीहोली ( Ramesh Jarkiholi)
11. बालाचंद्र जरकीहोली (Balachandra Jarkiholi)
कर्नाटक की सत्ता कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। चुनाव दर चुनाव हार का सामना कर रही कांग्रेस पार्टी के लिए दक्षिण के एक राज्य में अपनी सत्ता बचाने की चुनौती है वहीं बीजेपी कर्नाटक के जरिए दक्षिण में सेंधमारी करना चाहती है। इस जंग में कर्नाटक के ये 11 वार्चाज एक बड़ी भूमिका निभाएंगे।
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