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7 घंटे से कम सोने से बढ़ता है टाइप-2 डायबिटीज का खतरा, भूलकर भी न करें ये काम

By मनाली रस्तोगी | Published: May 02, 2024 2:44 PM

डायबिटीज टाइप 2 का जोखिम आपके नींद चक्र से निकटता से संबंधित है। कई शोधों से पता चला है कि हर दिन 7-8 घंटे की नींद लेने से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा कम हो जाता है।

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ठळक मुद्देयूके बायोबैंक के शोध से पता चला है कि डायबिटीज टाइप 2 का संबंध आपकी नींद से भी है। यह बायोबैंक डेटा एकत्र करता है जिसके आधार पर चिकित्सा अनुसंधान किया जाता है।इस नए शोध से पता चला है कि नींद और डायबिटीज के बीच गहरा संबंध है।

खराब जीवनशैली के कारण भारत समेत पूरी दुनिया में डायबिटीज का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। सिर्फ युवा ही नहीं बल्कि बच्चे भी डायबिटीज का शिकार हो रहे हैं। खाने-पीने में लापरवाही और कुछ गलत आदतें लोगों को डायबिटीज की ओर धकेल रही हैं। अब यूके बायोबैंक के शोध से पता चला है कि डायबिटीज टाइप 2 का संबंध आपकी नींद से भी है। 

यह बायोबैंक डेटा एकत्र करता है जिसके आधार पर चिकित्सा अनुसंधान किया जाता है। इस नए शोध से पता चला है कि नींद और डायबिटीज के बीच गहरा संबंध है। जी हां, अगर आप रोजाना कम से कम 7 घंटे नहीं सोते हैं तो टाइप 2 डायबिटीज का खतरा तेजी से बढ़ जाता है। 

यह शोध करीब 2,47,867 युवाओं पर 10 साल से अधिक समय तक किया गया है, जिसमें आपके सोने के समय और टाइप 2 डायबिटीज के बीच संबंध को समझने की कोशिश की गई है। क्या सिर्फ स्वस्थ खान-पान से डायबिटीज के खतरे को कम किया जा सकता है? भले ही व्यक्ति कम समय सो रहा हो। शोध में सामान्य नींद का समय 7-8 घंटे के बीच माना गया है, जबकि 6 घंटे, 5 घंटे और 3-4 घंटे की नींद को इससे कम माना गया है।

कम नींद से डायबिटीज टाइप 2 का खतरा बढ़ जाता है

इस शोध के समय लगभग 3.2 प्रतिशत लोग डायबिटीज टाइप 2 से पीड़ित पाए गए। जबकि ये लोग स्वस्थ आहार ले रहे थे और जब उनकी नींद दिन में 6 घंटे से भी कम हो गई, तो जो लोग कम सोते थे। सामान्य रूप से सोने वालों की तुलना में टाइप 2 डायबिटीज का खतरा अधिक होता है। जो लोग दिन में केवल 5 घंटे सोते थे उनमें डायबिटीज का खतरा 16 प्रतिशत अधिक पाया गया।

जो लोग केवल 3-4 घंटे की नींद ले रहे थे उनमें डायबिटीज टाइप 2 का खतरा 41 प्रतिशत अधिक पाया गया। यह अध्ययन स्वस्थ आहार के साथ किया गया था, जिसमें फल, सब्जियां, लाल मांस और मछली शामिल थे। शोध में पाया गया कि जो लोग स्वस्थ आहार के बाद भी कम सोते हैं उनमें डायबिटीज टाइप 2 का खतरा अधिक होता है।

टाइप दो डाइबिटीज क्या होती है?

टाइप 2 डायबिटीज में शरीर अग्न्याशय में पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन करने में सक्षम नहीं होता है या शरीर उत्पादित इंसुलिन का ठीक से उपयोग नहीं कर पाता है। इंसुलिन रक्त में भोजन से प्राप्त ग्लूकोज को संतुलित करता है और इसे कोशिकाओं तक पहुंचाता है। इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है. पिछले शोध से यह भी पता चला है कि जो लोग कम सोते हैं उनके रक्त में फैटी एसिड की मात्रा अधिक होती है, जो इंसुलिन फ़ंक्शन को प्रभावित करती है। ऐसे में शरीर ग्लूकोज लेवल को नियंत्रित नहीं कर पाता और खून में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है। इससे टाइप 2 डायबिटीज का खतरा पैदा होता है।

टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को कैसे कम करें?

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, स्वस्थ जीवनशैली से टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को काफी कम किया जा सकता है। इसमें सबसे अहम है आपका आहार और नींद। नियमित रूप से 7-8 घंटे की नींद लेने से डायबिटीज के खतरे को कम किया जा सकता है। इसके अलावा हाई-इंटेंसिटी एक्सरसाइज और वजन नियंत्रित रखने से भी डायबिटीज का खतरा कम होता है।

टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण

टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण लंबे समय तक महसूस नहीं होते हैं। कई बार लोग समझ ही नहीं पाते कि वे डायबिटीज के शिकार हैं। यही कारण है कि लोग लंबे समय तक डायबिटीज का इलाज नहीं करा पाते हैं। जब कोई डायबिटीज से पीड़ित होता है तो उसे बहुत अधिक प्यास लगती है। भूख लगना और बार-बार पेशाब आना। पूरे दिन थकान और कमजोरी महसूस होती है। अगर कोई घायल हो जाए तो घाव भरने में काफी समय लग जाता है।

भारत पर टाइप 2 डायबिटीज का खतरा मंडरा रहा है

विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 18 वर्ष से अधिक उम्र के लगभग 77 मिलियन लोग डायबिटीज (टाइप 2) से पीड़ित हैं। लगभग 25 मिलियन लोग प्रीडायबिटिक हैं और 50 प्रतिशत से अधिक लोगों को पता नहीं है कि उन्हें डायबिटीज है। भारत में 20 से 30 साल के युवाओं में डायबिटीज का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। डायबिटीज से पीड़ित युवाओं में दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा 2-3 गुना बढ़ जाता है।

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियों की Lokmat Hindi News पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले या इसके बारे में अधिक जानकारी लेने के लिए डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।)

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