Bihar LS polls 2024: बिहार में अल्पसंख्यक बहुल सीमांचल में केवल एक सीट किशनगंज में एआईएमआईएम के द्वारा चुनाव लडने के बाद अचानक से अन्य 9 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का फैसला सबको चौंका रहा है। उल्लेखनीय है कि सीमांचल के जिन इलाकों में चुनाव संपन्न हुआ है, उसमें कटिहार, पूर्णिया दो ऐसी सीटें रही जहां अल्पसंख्यक मतदाताओं की तादाद 40 फीसदी से ज्यादा मानी जाती है। इसी तरह अररिया में करीब 42 प्रतिशत अल्पसंख्यक मतदाताओं के बावजूद एआईएमआईएम ने यहां प्रत्याशी नहीं दिया।
कटिहार में तो एआईएमआईएम ने आदिल हसन को प्रत्याशी तक घोषित कर दिया था, लेकिन नामांकन से चंद घंटों पूर्व पार्टी का फैसला आया कि यहां से वह चुनाव नहीं लड़ेगी। इसी तरह अररिया में पूर्व सांसद तसलीमुद्दीन के बड़े पुत्र सरफराज आलम का टिकट काटकर लालू ने उनके छोटे भाई शाहनवाज को उम्मीदवार बना दिया।
इससे सरफराज नाराज हुए और उन्हें उम्मीद थी कि शायद एआईएमआईएम से उन्हें अररिया से उम्मीदवार बनाया जायगा। लेकिन ओवैसी की पार्टी ने अररिया से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया। इसके बाद अचानक से शिवहर, गोपालगंज, पाटलिपुत्र, महाराजगंज, मुजफ्फरपुर, मधुबनी, जहानाबाद, काराकाट, वाल्मीकिनगर और मोतिहारी लोकसभा सीट पर प्रत्याशी उतारने के निर्णय से सभी अचंभित हैं।
असदुद्दीन ओवैसी के द्वारा शिवहर से राजपूत प्रत्याशी देना सियासी तौर पर एक खास रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। शिवहर से राणा रणजीत सिंह को एआईएमआईएम उम्मीदवार बनाने से लवली आनंद को नुकसान हो सकता है तो यह राजद के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है। यहां मुख्य मुकाबला जदयू की लवली आनंद और राजद की रितु जायसवाल के बीच है।
लवली आनंद राजपूत जाति से आती हैं। ऐसे में यहां राजपूत जाति से आने वाले राणा रणजीत सिंह को अपना प्रत्याशी बनाए जाने से कहा जा रहा है कि ओवैसी ने जानबूझकर ऐसा किया है ताकि राजपूत वोटों में बंटवारा हो जाए। अगरा राजपूत वोट बंटता है तो यह लवली आनंद के लिए बड़ा झटका हो सकता है।
यहां अल्पसंख्यक मतदाताओं की संख्या महज 16 प्रतिशत है। ऐसे में अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि शेष जिन सीटों से एआईएमआईएम किसे उम्मीदवार बनाती है। असदुद्दीन ओवैसी बिहार में किसका खेल खराब करेंगे?