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ब्लॉग: उन्होंने देखा था भगत सिंह की चिता को जलते हुए

By विवेक शुक्ला | Published: March 23, 2022 9:35 AM

भगत सिंह और उनके दो साथियों राजगुरु और सुखदेव को 23 मार्च, 1931 को फांसी पर लटका दिया गया था.

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आपको शायद ही कोई शख्स मिला हो जिसने भगत सिंह की चिता को जलते हुए देखा हो. भगत सिंह और उनके दोनों साथियों राजगुरु और सुखदेव को 23 मार्च, 1931 को फांसी पर लटका दिया गया था लाहौर में. उसके बाद उनका 24 मार्च, 1931 को अंतिम संस्कार किया गया रात के वक्त. 

भगत सिंह की चिता को सतलज नदी के करीब जलते हुए देखा था पूर्व प्रधानमंत्री इंद्रकुमार गुजराल ने. वे तब 11-12 साल के थे. यह जानकारी गुजराल साहब ने इस लेखक को अपने राजधानी के 6 जनपथ के सरकारी आवास में दी थी. साल था 2006. उन्हें प्रधानमंत्री पद से मुक्त होने के बाद 6 जनपथ का बंगला आवंटित हुआ था.

गुजराल साहब अपने माता-पिता और कुछ पड़ोसियों के साथ लाहौर से बसों में भगत सिंह की अंत्येष्टि में शामिल होने के लिए गए थे. उनके साथ स्वाधीनता सेनानी सत्यवती जी भी थीं. वे पूर्व उपराष्ट्रपति कृष्णकांत की मां थीं. तब आज की तरह न तो खबरिया चैनल थे और न ही ट्विटर. ले-देकर अखबारों से लोग अपनी खबरों की प्यास बुझाते थे. पर जनता को पता चल गया था कि गोरी ब्रिटिश सरकार ने भगत सिंह को उनके साथियों के साथ फांसी पर लटका दिया है और उनका अंतिम संस्कार भी कर दिया है.

गुजराल साहब ने बताया था, ‘मेरे पिता और कांग्रेस के नेता अवतार नारायण गुजराल को पता चला कि भगत सिंह को फांसी पर लटकाने के बाद उनका अंतिम संस्कार भी कर दिया गया है, तो वे अंत्येष्टि स्थल पर जाने के लिए तैयार होने लगे. तब तक हमारे कई पड़ोसी भी उनके साथ अंत्येष्टि स्थल पर जाने के लिए आग्रह करने लगे. मैं हालांकि तब बहुत छोटा था, फिर भी पिताजी मुझे भगत सिंह की अंत्येष्टि में ले जाने के लिए तैयार थे. मैं भी उनके साथ गया बस में बैठकर. बस से अंत्येष्टि स्थल पहुंचने में करीब पौन घंटा लगा था. मेरा छोटा भाई सतीश (चित्रकार सतीश गुजराल) घर में ही रहा. हम जब वहां पर पहुंचे तो पहले से ही काफी लोग उधर पहुंच चुके थे. भगत सिंह की चिता जल रही थी. हालांकि वो कमजोर पड़ गई थी. दिन था 25 मार्च, 1931.’

गुजराल साहब को याद था कि किस तरह से सैकड़ों लोग शहीदों की चिताओं के पास बिलख-बिलख कर रो रहे थे. कई दिनों तक गुजराल साहब के घर में चूल्हा नहीं जला था. सारे देश में मातम था.

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