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Shivpal Yadav Interview: भाजपा के सारे दावे खोखले, जनता ने बाहर करने की ठानी, शिवपाल सिंह यादव बोले- भाजपा का सभी 80 सीटें जीतने का सपना तोड़ा, बदायूं में क्या होगा?

By राजेंद्र कुमार | Published: May 24, 2024 11:33 AM

Shivpal Yadav Interview: मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद जब अखिलेश यादव को शिवपाल सिंह यादव के सहारे के जरूरत पड़ी तो ना सिर्फ उन्होने अखिलेश यादव ने अपनी नाराजगी को ताक पर रखा.

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ठळक मुद्देShivpal Yadav Interview: शिवपाल सिंह यादव ने पर्चे बांटने तक का काम किया था. Shivpal Yadav Interview: नेताओं की रैलियों का आयोजन करने का जिम्मा अपने कंधों पर संभाला था.Shivpal Yadav Interview: डिंपल यादव को जीतने की रणनीति तैयार कर डिंपल यादव को संसद में पहुंचाया.

Shivpal Yadav Interview: समाजवादी पार्टी (सपा) में एक ऐसे नेता हैं शिवपाल सिंह यादव जो पिछले कई दशकों से राजनीति में सक्रिय हैं. सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई और राइट हैंड माने वाले वाले शिवपाल सिंह यादव ने अपनी पहचान खुद बनाई है. मुलायम सिंह यादव का भाई होने के बावजूद राजनीति में अपने शुरुआती सालों के दौरान शिवपाल सिंह यादव ने पर्चे बांटने तक का काम किया था. इसके बाद उन्होने वर्षों तक पार्टी के तमाम दिग्गज नेताओं की रैलियों का आयोजन करने का जिम्मा अपने कंधों पर संभाला था.

यहीं नहीं अखिलेश यादव से हुए विवाद के बाद जब उन्होने सपा से दूरी बनाई तब भी उन्होंने परिवार के सदस्यों के साथ नाता नहीं तोड़ा. मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद जब अखिलेश यादव को शिवपाल सिंह यादव के सहारे के जरूरत पड़ी तो ना सिर्फ उन्होने अखिलेश यादव ने अपनी नाराजगी को ताक पर रखा.

बल्कि मुलायम सिंह यादव के निधन से रिक्त हुई मैनपुरी सीट से डिंपल यादव को जीतने की रणनीति तैयार कर डिंपल यादव को संसद में पहुंचाया. इस चुनाव में भी सपा के राष्ट्रीय महासचिव और जसवंतनगर सीट से विधायक शिवपाल सिंह यादव अपने पुत्र आदित्य यादव को संभल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ाने के साथ ही मुलायम परिवार के अन्य सदस्यों के चुनाव प्रबंधन का कार्य कर रहे हैं. वर्तमान में वह आजमगढ़ में धर्मेंद्र यादव को चुनाव जिताने के लिए चुनाव प्रचार करने में जुटे हैं. शुक्रवार को शिवपाल बलिया, गाजीपुर, घोसी, चंदौली मिर्जापुर और बांसगांव सीट पर इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों के लिए चुनाव करने जाएंगे.

अपने व्यस्त शेड्यूल में शिवपाल सिंह यादव ने लोकमत समाचार के बात करने के लिए समय निकाला , उनसे हुई खास बातचीत के प्रमुख अंश

पांच चरणों का मतदान हो चुका है. इस बार का चुनाव पहले के चुनावों से अलग कैसे है?

इस बार का चुनाव बहुत ही अलग है. यह पहला मौका है जब केंद्र और राज्य की सरकार अपनी उपलब्धियों का जिक्र नहीं कर रही है. भाजपा के सभी बड़े और छोटे नेता गैरजरूरी बातों चुनावी सभाओं में कर रहे हैं. पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर सीएम योगी तक धार्मिक मामलों का उल्लेख चुनावी सभाओं में करते हैं. महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार को लेकर उनकी बोलती बंद है. बीते चुनाव में जो वादे भाजपा के बड़े नेताओं ने जनता से किए थे, उनमें से एक भी वादा पूरा नहीं किया. इस कारण ने जनता उनके खिलाफ चुनाव लड़ रही है. यहीं इस चुनाव की सबसे खास बात है.

आप कह रहे हैं भाजपा बिना मुद्दे पर चुनाव लड़ रही है?

हाँ यहीं कह रहा हूँ. देखिये भाजपा के पास इस चुनाव में कोई मुद्दा नहीं है. वास्तव में भाजपा नेताओं ने जनता से किया एक भी वादा पूरा नहीं किया. ना तो किसानों की आय दूनी हुई, ना ही लोगों के अच्छे दिन आए.  दो करोड़ लोगों को रोजगार देने में भी केंद्र की सरकार असफल रही. देश पर चढ़े कर्ज को कम करने के वाद के साथ सत्ता में आए थे, देश का कर्ज तो कम नहीं कर पाये, पांच गुना कर्ज देश पर और बढ़ा दिया. भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए नोटबंदी की लेकिन भ्रष्टाचार और बढ़ गया. किसानों की आय दोगुनी करने का वादा भी हवा हवाई साबित हुआ. कोरोना के समय लोगों को दवाई देने में असफल रहे और लोगों का ध्यान बताने के लिए थाली पिटवाने का ड्रामा करवाया. कुल मिलाकर भाजपा नेताओं के सारे वादे खोखले निकले तो 400 पार का नारा दिया, ताकि बाबा साहब के संविधान को बदला जा सके. अब सूबे की जनता से भाजपा को सत्ता से बाहर करने की ठानी.

यूपी सरकार के कामकाज को लेकर क्या राय है?

यूपी में भी महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार बढ़ा है. बीते पांच सालों में यूपी की सड़के गड़ड़ा मुक्त होती रही. 40,000 करोड़ रुपए सड़के गड़ड़ा मुक्त करने के नाम पर खर्च किए गए लेकिन सड़को में अभी भी गड्डे हैं. खूब भ्रष्टाचार हुआ. फर्जी पेमेंट हुए. भाजपा के खाते में मुनाफे की रकम गई. केंद्र की सरकार में भी मुनाफे वाली संपत्तियां अपने मित्रों को दे दी. फिर उनके कमीशन लिया गया. बड़े कारोबारियों के 16 लाख करोड़ रुपए का कर्ज माफ किया गया, किसानों का  कर्ज मांफ करने के पहल नहीं की गई.

अब हुए पांच चरणों के मतदान को लेकर आपका क्या आकलन है?

इंडिया गठबंधन ने यूपी में भाजपा का सभी 80 सीटें जीतने का सपना तोड़ दिया हैं. सभी पांचों चरणों में इंडिया गठबंधन ने भाजपा के उम्मीदवारों को तगड़ी चुनौती दी है. हर सीट पर भाजपा के प्रत्याशी संघर्ष करते हुए दिखे. हमें विश्वास है कि यूपी में इंडिया गठबंधन 70 के करीब सीटें जीतेगा.

आपके पुत्र आदित्य यादव पहली बार बदायूं से इस बार चुनाव लड़ रहे हैं? मतदान के दिन बदायूं में क्या हुआ था?

बदायूं में पुलिस और प्रशासन ने मतदान का प्रतिशत कम करने का प्रयास किया था. इसके लिए लोगों को डराया और परेशान किया गया. इसके बाद भी लोग वोट डालने के लिए आगे आए. हम ना सिर्फ बदायूं, बल्कि सँभल और मैनपुरी में भी जीत रहे हैं.

इस चुनाव में बसपा अकेले चुनाव लड़ रही है. इस पार्टी के बारे में क्या कहना है?

मुझे लगता है, बसपा यह चुनाव गंभीरता से नहीं लड़ रही हैं. बीते विधानसभा की तर्ज पर ही बसपा यह चुनाव लड़ रही है और वह एक भी सीट जीतने की स्थिति में नहीं है. यह चर्चा है कि बसपा ने भाजपा के अनुसार चुनाव मैदान में अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं. ऐसे में उसके चुनाव जीतने के कोई उम्मीद नहीं है.

बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अखिलेश यादव की सभाओं में आए लोगों के हुड़दंग मचाने पर तंज़ किया?

हमने भी पढ़ा. देखिये भाजपा की सभाओं में लोग बसों में भरकर लाये जाते हैं. और भाजपा हर अनुचित साधनों का उपयोग करती है. समाजवादी लोग अपने संसाधनों से आते हैं. बेहतर हो भाजपा नेता अपनी सभाओं में अखिलेश यादव की सभाओं में जितनी भीड़ आती है, उतनी भीड़ लाने का प्रयास करें.

अब आखिरी सवाल. पूर्वांचल की 27 सीटों पर होने वाले मतदान को लेकर क्या आंदोलन है?

पूर्वांचल में इंडिया गठबंधन पूरी तरह से भाजपा पर हावी है. भाजपा अफसरों पर दबाव बनाकर चुनाव लड़ने में जुटी है, लेकिन पूर्वांचल की जनता भाजपा के मसूबों पर पानी फेर देगी. इडिया गठबंधन आजमगढ़, गाजीपुर, घोसी, सलेमपुर, बलिया, चंदौली, श्रीवस्ती, अंबेडकरनगर, जौनपुर, मछलीशहर और भदोही आदि सीटें जीतने का जा रहा है. हमें उम्मीद है कि केंद्र में इंडिया गठबंधन की सरकार बनेगी और जो वादे इंडिया गठबंधन ने देश की जनता से किए हैं, उन्हे सरकार बनते ही फटाफट पूरा किया जाएगा.

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