UP Lok Sabha Elections 2024: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव का छठा चरण भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं का पसीना छुड़ाने वाला साबित हो रहा है. इस छठे चरण में यूपी की 14 सीटों पर 162 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. 25 मई को होने वाले मतदान में इन सबकी किस्मत का फैसला होगा. बीते लोकसभा चुनावों में इन 14 सीटों में से नौ सीटों पर भाजपा को जीत हासिल हुई थी, लेकिन इस बार माहौल बदला हुआ है. कहा जा रहा है कि यह छठा चरण भाजपा के लिए सबसे कठिन चरण है. इस बार भी विपक्ष से भाजपा को हर सीट पर कांटे की टक्कर मिल रही है.
इसकी वजह है इंडिया गठबंधन द्वारा हर सीट पर जातीय समीकरणों के आधार पर चुनाव मैदान में खड़े किए गए उम्मीदवार. राजनीति के जानकारों के मुताबिक समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव ने छठे चरण में गैर-यादव ओबीसी का दांव चला है. वही दूसरी तरह भाजपा ने फिर बीते लोकसभा चुनावों की तर्ज पर स्वर्ण कार्ड खेला है. जिसके चलते दोनों ने ही एक दूसरे के खिलाफ दीवार खड़ी की है, जिस जो उम्मीदवार अपने मतदाताओं के बल पर फादने में सफल होगा, वही जीतेगा.
अखिलेश का सियासी दांव
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिनवा के अनुसार, छठे चरण सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, फूलपुर, इलाहाबाद, अंबेडकरनगर, श्रावस्ती,बस्ती, डुमरियागंज, संतकबीरनगर, लालगंज, आजमगढ़, जौनपुर, मछलीशहर और भदोही सीट पर शनिवार 25 मई को मतदान होना है. बीते लोकसभा चुनावों में इस चरण की 14 सीटों में से भाजपा को 9 सीटों पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को चार सीटों श्रावस्ती, अंबेडकरनगर, लालगंज और जौनपुर तथा सपा को एक सीट आजमगढ़ में जीत हासिल हुई थी. बीते लोकसभा चुनावों में सपा-बसपा मिलकर चुनाव लड़ी थी, लेकिन इस बार दोनों अलग-अलग हैं.
इस बार इंडिया गठबंधन में कांग्रेस और सपा मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं. सपा ने इस चरण की 12 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. सपा ने भदोही की सीट तृणमूल कांग्रेस को दी है, जिस पर ललितेश त्रिपाठी चुनाव लड़ रहे हैं. इलाहाबाद सीट पर कांग्रेस के उज्जवल रमण सिंह चुनाव मैदान में हैं. इस छठे चरण की अधिकतर सीटों पर अखिलेश यादव ने गैर-यादव ओबीसी प्रत्याशी उतारकर भाजपा के लिए मुसीबत खड़ी की है. जिसके चलते ही सपा ने श्रावस्ती, बस्ती, प्रतापगढ़, अंबेडकरनगर सीट पर कुर्मी समुदाय के प्रत्याशी खड़े किए हैं.
जबकि संतकबीरनगर और सुल्तानपुर सीट पर निषाद जाति के कैंडिडेट हैं. इसी प्रकार फूलपुर और जौनपुर में मौर्य समाज के उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतरकर अखिलेश यादव ने भाजपा उम्मीदवारों के सामने दीवार खड़ी की है. आजमगढ़ में अखिलेश ने अपने चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव चुनाव मैदान में उतार कर उप चुनाव में हुई हार का हिसाब बराबर करना चाहते हैं.
भाजपा की रणनीति
फिलहाल सपा की इस सोशल इंजीनियरिंग की काट के लिए भाजपा ने सवर्णों पर दांव खेला है. जिसके चलते इस चरण की अधिकांश सीटों पर अगड़ी जातियों से प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा है. सुल्तानपुर, अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, इलाहाबाद और बस्ती सीट पर ब्राह्मण कैंडिडेट दिए हैं जबकि जौनपुर और डुमरियागंज सीट पर ठाकुर बिरादरी के प्रत्याशी उतारे हैं.
आजमगढ़ में यादव, प्रतापगढ़ में तेली, फूलपुर में कुर्मी जबकि संत कबीर नगर और भदोही में मल्लाह समुदाय के प्रत्याशी दिया है. फूलपुर सीट से निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद को भाजपा के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में उतारा गया है. इस चरण में भाजपा अपने सवर्ण वोट बैंक को साधे रखते हुए ओबीसी और दलित वोटों को जोड़ने की रणनीति पर काम कर रही है.
इनकी किस्मत का होगा फैसला
बसपा इस चरण की किसी भी सीट पर अपना प्रभाव छोड़ने में सफल नहीं हुई है, जिसके चलते उंसके उम्मीदवार चुनावी लड़ाई में नहीं है. इस छठे में मेनका गांधी, महेंद्र नाथ पांडेय, जगदंबिका पाल, भीष्म शंकर तिवारी, संगम लाल गुप्ता, रितेश पांडे, साकेत मिश्रा, कृपाशंकर सिंह, बाबू सिंह कुशवाहा, धर्मेन्द्र यादव, दिनेश लाल यादव निरहुआ, आदि की किस्मत दांव पर लगी है. अब देखना यह है कि 25 मई को भाजपा और सपा द्वारा बिछाई गई सियासी बिसात में किसका पलड़ा भारी रहेगा.