China-Taiwan: चीनी सेना ने शुक्रवार, 24 मई को ताइवान के तट के पास युद्धाभ्यास किया। हालांकि ये अभ्यास कम और ताइवान को धमकाने की रणनीति ज्यादा थी। इस दौरान अभ्यास के हिस्से के रूप में चीन ने असली युद्ध के दौरान किए जाने वाले हमलों की प्रैक्टिस की और असली मिसाइलों से लैस लड़ाकू विमान भेजे।
चीनी राज्य टेलीविजन ने इसकी फुटेज भी जारी की। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के पूर्वी थिएटर कमांड ने इस अभ्यास में हिस्सा लिया। लड़ाकू विमानों ने ताइवान के पूर्वी तट के पास हमले का फार्मेशन बनाया। इस दौरान चीन की नौसेना के युद्धपोत भी अभ्यास में शामिल रहे। नौसेना के जहाजों के साथ समन्वय करते हुए चीनी लड़ाकू विमानों ने नकली हमले किए।
ताइवान ने अपने तट के पास कई चीनी युद्धक विमानों और नौसेना जहाजों को ट्रैक किया। जब भी चीन ऐसे अभ्यास करता है तो ताइवान उस पर नजर रखता है। ये पहली बार नहीं है जब चीन ने ताइवान को धमकाने के लिए ऐसा किया हो। आए दिन चीनी लड़ाकू विमान ताइवान की सीमा में घुसते रहते हैं।
दरअसल चीन इस द्वीप देश को अपना ही हिस्सा मानता है। चीन ने कहा है कि ताइवान को एक दिन चीन का हिस्सा बनना ही होगा और चीन का एकीकरण होकर रहेगा। दूसरी तरफ ताइवान खुद को स्वतंत्र देश मानता है। ताइवान खुद को असली चीन भी कहता है। बीते कुछ सालों में ताइवान ने अमेरिका की मदद से अपनी सैन्य और नौसैनिक ताकत भी बढ़ाई है ताकि किसी हमले के समय चीन को जवाब दिया जा सके।
ताइवान में लगभग 2 करोड़ तीस लाख लोग रहते हैं। 1949 में गृहयुद्ध के बाद से ही ताइवान चीन से अलग है। ताइवान सदियों से समुद्री व्यापार का बड़ा केंद्र रहा है। चीन और जापान के बीच की लड़ाई के बाद जापान ने ताइवान पर 1945 तक करीब 50 साल तक राज किया। जब लंबे गृह युद्ध के बाद 1 अक्टूबर 1949 को माओ त्से तुंग ने बीजिंग में 'पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना' की स्थापना की घोषणा की थी तब चिआंग काई-शेक और कुओमिंतांग पार्टी के करीब 20 लाख लोग भागकर द्वीप पर चले गए जिसे आज ताइवान कहा जाता है। 1970 तक ताइवान को ही असली चीन की मान्यता मिली हुई थी लेकिन 970 के दशक में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को असली चीनी सरकार माना गया। ताइवान को केवल दुनिया के 14 देश ही मान्यता देते हैं।