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ब्लॉग: नगा फाइनल डील में अलगाव की मांग सबसे बड़ा रोड़ा

By शशिधर खान | Published: August 25, 2023 10:34 AM

स्वतंत्र संप्रभु ग्रेटर नगालिम’ की मांग पर अड़े नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड के नेता टी मुइवा ने कहा है कि अलग झंडा और संविधान पर कोई समझौता नहीं होगा।

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ठळक मुद्देसंप्रभु ग्रेटर नगालिम’ की मांग पर अड़े टी मुइवा ने फिर से दोहराई अलगाववाद की मांगमुइवा ने कहा है कि एनएससीएन-आईएम अलग झंडे और संविधान से कोई समझौता नहीं करेगा एनएससीएन-आईएम नेता टी मुइवा की यही मांग नगा फाइनल डील में सबसे बड़ी बाधा है

‘स्वतंत्र संप्रभु ग्रेटर नगालिम’ की मांग पर अड़े उत्तर पूर्व के सबसे दबंग उग्रवादी गुट नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (एनएससीएन-आईएम) नेता टी मुइवा ने कहा है कि ‘अलग झंडा और संविधान’ पर कोई समझौता नहीं होगा, जिसे नगा फाइनल डील में रोड़ा बताया जा रहा है।

सभी जानते हैं कि भारत सरकार के साथ लुढ़कती-अटकती शांति वार्ता चला रहे इस नगा गुट एनएससीएन की फाइनल डील में यही हठ सबसे बड़ा रोड़ा है। एनएससीएन सुप्रीमो टी. मुइवा ने साफ-साफ कह दिया है कि इस मुद्दे पर कोई संशय या भ्रम की स्थिति नहीं है।

एनएससीएन का दावा है कि नगाओं ने 1947 में भारत की आजादी से पहले ही अपनी आजादी का ऐलान कर दिया था और अलग ‘स्वतंत्र संप्रभु नगालिम राष्ट्र’ की स्थापना हो गई थी इसलिए हर साल अगस्त में एनएससीएन भारतीय स्वतंत्रता दिवस समारोह से अलग ‘नगा स्वतंत्रता दिवस’ समारोह मनाता है।

एनएससीएन (आईएम) नेता ने एक प्रकार से यह मान लिया है कि अगस्त, 2015 फ्रेमवर्क डील के फाइनल डील तक पहुंचने के रास्ते में ‘अलग झंडा और संविधान’ का हठ सबसे बड़ा रोड़ा है, मगर उनके दावे से जाहिर है कि इस रोड़े को रास्ते से हटाना नहीं चाहते।

मुइवा ने दावा किया कि भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर माना है कि नगाओं के अधिकार फाइनल डील में शामिल किए जाएंगे। एनएससीएन जिस अधिकार की बात करता है, उसमें उसका मानना है कि समूचे उत्तर-पूर्व और पड़ोसी म्यांमार के सारे नगा आबादी वाले इलाके ‘ग्रेटर नगालिम’ के प्रशासनिक नियंत्रण में आ जाएं तथा संचालक मुइवा हों।

एनएससीएन की यह पुरानी मांग है, जिसे भारत सरकार से पूरी करवाने में वे एक स्वतंत्र संप्रभु राष्ट्र की तरह अलग झंडा और संविधान पर जोर देता है। यह ऐसी मांग है, जो भारत सरकार कभी पूरा नहीं कर सकती क्योंकि भारत के संवैधानिक ढांचे के अंतर्गत दूसरे संविधान और राष्ट्रीय झंडे को मान्यता देने का प्रावधान नहीं है।

धारा-370 समाप्त करके कश्मीर का अलग झंडा और संविधान हटाकर इस राज्य को पूरी तरह भारतीय संघ में शामिल होते देखने के बावजूद नगा गुट अलगाव के हठ से मुक्त नहीं हो पा रहे हैं। एनएससीएन (आईएम) के अलावा सात अन्य नगा गुटों के साथ भी केंद्र सरकार का संघर्षविराम समझौता चल रहा है।

इन गुटों का संयुक्त मंच एनएनपीजी (नगा नेशनल पॉलिटिक्स ग्रुप) अलग झंडा और संविधान के मुद्दे पर लचीला रवैया अपनाने के पक्ष में है, ताकि नगा राजनीतिक मसले का फाइनल हल निकालने में यह शर्त बाधक न बने लेकिन सबसे पुराना और दबंग गुट होने के कारण एनएससीएन (आईएम) की जिद के आगे अन्य गुटों की चल नहीं पा रही है, जिसके चलते वार्ता का हर दौर बेनतीजा साबित हो रहा है।

टॅग्स :नागालैंडमोदी सरकारCentral Governmentनागा पीपुल्स फ्रंट
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