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ब्लॉग: एंजल कर भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए चुनौती

By ऋषभ मिश्रा | Published: June 08, 2023 3:02 PM

साल 2012 से पहले भारत में एंजल कर की कोई अवधारणा देखने को नहीं मिल रही थी. लेकिन साल 2012 में सरकार द्वारा आयकर अधिनियम 1961 में संशोधन के बाद धारा 56(2) में एक खंड ‘सात-बी’ जोड़ा गया, जिसमें एंजल कर को शामिल किया गया.

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भारत में पिछले कुछ समय से ‘स्टार्टअप इकोसिस्टम’ का बहुत ज्यादा विकास देखने को मिला है. पिछले दिनों सदन में वित्त विधेयक 2023 पेश किया गया और इसी विधेयक में एंजल कर (टैक्स) पर लगने वाले नए प्रावधानों को सन्निहित किया गया है. जिसके बाद से अर्थशास्त्रियों में भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम पर पड़ने वाले भारी नुकसान को लेकर चिंता बनी हुई है.

दरअसल जब किसी स्टार्टअप का विचार अथवा आइडिया बहुत विशेष एवं अद्वितीय होता है, तब वह स्टार्टअप अपने शुरुआती दौर से ही बहुत बेहतर काम करने लगता है और इससे अधिकांश लाभ भी प्राप्त होने लगता है. तब ऐसे स्टार्टअप पर निवेशक बहुत जल्दी तथा शुरुआती स्तर पर ही निवेश करना चाहते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए स्टार्टअप अपने शेयर को बाजार (मार्केट) में उतारने से पहले ही इन निवेशकों के साथ कुछ समझौता अथवा एग्रीमेंट कर लेते हैं.

इसी समझौते के तहत स्टार्टअप निवेशकों को अपने शेयर बाजार मूल्य से कुछ ज्यादा मूल्य पर बेच देते हैं. इस स्थिति में स्टार्टअप के पास शुरुआती दौर में ही बहुत ज्यादा धनराशि उपलब्ध हो जाती है. इसी ‘अतिरिक्त राशि’ को ट्रैक करने अथवा इसकी निगरानी करने के लिए सरकार द्वारा इस ‘अतिरिक्त राशि’ पर एक ‘कर’ लगाया जाता है. देश की असूचीबद्ध कंपनियों को इसी अतिरिक्त राशि पर सरकार को कर (टैक्स) देना होता है. इसी कर को अर्थशास्त्र की भाषा में ‘एंजल कर’ अथवा ‘एंजल टैक्स’ कहते हैं.

साल 2012 से पहले भारत में एंजल कर की कोई अवधारणा देखने को नहीं मिल रही थी. लेकिन साल 2012 में सरकार द्वारा आयकर अधिनियम 1961 में संशोधन के बाद धारा 56(2) में एक खंड ‘सात-बी’ जोड़ा गया, जिसमें एंजल कर को शामिल किया गया. इस एंजल कर का प्राथमिक उद्देश्य भारत में ‘मनी लॉन्डरिंग’ अथवा कालेधन को वैध करने के तरीकों को रोकना था. वर्तमान समय में भारत में ‘एंजल कर’ की दर 30.9 फीसद के आसपास है.

हालांकि सरकार ने पिछले कुछ समय में जो कदम उठाए हैं उन कदमों के माध्यम से सरकार स्पष्ट तौर पर भारत में व्यापार की सुगमता को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है. लेकिन हाल ही में सरकार जो नई कर व्यवस्था एंजल कर के रूप में लेकर आई है उस व्यवस्था की वजह से भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम बहुत गंभीर स्तर पर प्रभावित हो रहा है, क्योंकि ऐसे में विदेशी निवेशक भारत से स्थानांतरित होकर दूसरे देशों में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं.

साथ ही भारत के स्टार्टअप्स भी अपने कार्यालय को भारत की जगह किसी दूसरे देशों में स्थानांतरित कर सकते हैं जिसकी वजह से भारत को बहुत गंभीर नुकसान उठाना पड़ सकता है.

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