"मूड फूड" और "बैक टू बेसिक्‍स" फिलॉसफी के जरिए मानसिक और शारीरिक सेहत का ख्याल रखा जा सकता है

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 10, 2023 05:02 PM2023-11-10T17:02:53+5:302023-11-10T17:06:02+5:30

ठोलुआ प्रतिष्ठान के को-फाउंडर त्रैलुक्य दत्ता ने अपनी निजी यात्रा के बारे में बताया कि मेरी यात्रा शहरी जिंदगी और प्रकृति के साथ हमारे सहज जुड़ाव के बीच के अंतर को कम करने वाले पुल की तलाश की रही है।

Mood Food and Back to Basics philosophy can be taken care Mental and physical health | "मूड फूड" और "बैक टू बेसिक्‍स" फिलॉसफी के जरिए मानसिक और शारीरिक सेहत का ख्याल रखा जा सकता है

त्रैलुक्य दत्ता, ठोलुआ प्रतिष्ठान के को-फाउंडर

Highlightsठोलुआ प्रतिष्ठान के को-फाउंडर त्रैलुक्य दत्ता ने बताया जिसकी वजह से “बैक टू बेसिक्स” और “मूड फूड” कॉन्‍सेप्ट सामने आयामेरा जन्म और पालन-पोषण असम के डिब्रूगढ़ जिले में हरे-भरे और खूबसूरत चाय बागानों के बीच हुआबेहद छोटी उम्र में मैं प्रकृति के साथ मिल-जुलकर रहने की बात को समझने लगा था

ठोलुआ प्रतिष्ठान के को-फाउंडर त्रैलुक्य दत्ता ने बताया कि उन्हें ठोलुआ प्रतिष्ठान प्राइवेट लिमिटेड शुरू करने की प्रेरणा कहां से मिली। उन्होंने इस दौरान अपनी निजी यात्रा के बारे में भी बताया। जिसकी वजह से “बैक टू बेसिक्स” और “मूड फूड” कॉन्‍सेप्ट सामने आया। उन्होंने कहा कि मेरी यात्रा शहरी जिंदगी और प्रकृति के साथ हमारे सहज जुड़ाव के बीच के अंतर को कम करने वाले पुल की तलाश की रही है। यह तेजी से भागती दुनिया में हमारे शरीर और दिमाग को सुकून देने के तरीकों की खोज के बारे में है।

साथ ही यह हमें याद दिलाता है कि हम अपनी जड़ों से जुड़कर और घरेलू एवं प्राकृतिक भोजन की सादगी को अपना कर सबसे संतोषजनक एवं आनंददायक अनुभव हासिल कर सकते हैं। मेरा जन्म और पालन-पोषण असम के डिब्रूगढ़ जिले में हरे-भरे और खूबसूरत चाय बागानों के बीच हुआ। प्रकृति की असीम सुंदरता से घिरा हुआ, मैं प्राकृतिक दुनिया के आश्चर्यों से मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रह सका।

लेकिन जब बाद में हमारे परिवार को हमारी बेहतर शिक्षा के लिए अर्द्ध शहरी इलाकों में बसना पड़ा, तब मुझे पहली बार जीवनशैली के बीच के बड़े अंतर को देखने का मौका मिला। बेहद छोटी उम्र में मैं प्रकृति के साथ मिल-जुलकर रहने की बात को समझने लगा था। एक दशक बाद, मैं इंटरनैशनल बिजनस में उच्च शिक्षा की पढ़ाई के लिए दिल्ली आ गया। यहां से मेरी जिंदगी के नए अध्याय की शुरुआत हुई, जिसने तेज गति से भागती जिदंगी, शहरों में कंक्रीट के जंगल और दुनिया के महानगरों से मेरा परिचय कराया।

इसके बाद मेरी जिंदगी का एक दशक कॉरपोरेट कैरियर में बीता और फिर मैंने लोगों और प्राकृतिक दुनिया के बीच की लगातार बढ़ती दूरी को महसूस किया। मैंने यह महसूस करना शुरू किया कि माइक्रोन्यूट्रिएंट्स जो हमारी प्रतिरोधक क्षमता के लिए जरूरी है और कैसे हमारी नौकरी की जरूरतों को पूरा करने के लिए हमारा कॉग्निटिव फंक्शन बेहद अहम था। जिस बात ने मुझे सोचने के लिए मजबूर किया, वह शरीर के लिए जरूरी भोजन को प्राप्त करने की चुनौती थी, जिसकी जरूरत हमारे शरीर को बुनियादी तौर पर एक ईंधन की तरह होती है।

कई बार इस समस्या को दूर करने के लिए मैंने अपने घर से कुरियर की मदद से मंगाए गए सामानों का सहारा लिया, जिसका मैं अक्सर लुत्फ उठाया करता था। इसके अलावा, मैंने यह देखा कि जब लोग अपने घरों को लौटे और उन पौष्टिक घरेलू खाने-पीने के सामानों का आनंद उठाया, जिसे खाते हुए वे बड़े हुए थे, तो उनकी संतुष्टि के स्तर में खूब बढ़ोतरी हुई। इन बातों ने मुझे हमारी आधुनिक शहरी जीवनशैली और प्रकृति के साथ हमारे जरूरी संबंध के बीच बढ़ती दूरी पर सोचने के लिए प्रेरित किया।

इस मामले में और गहराई तक जाने के लिए, मैंने कंज्यूमर न्यूरोसाइंस और न्यूरोमार्केटिंग के क्षेत्र में कदम रखा और कोपेनहेगन बिजनस क्लू जैसे संस्थानों में पढ़ाई की। साथ ही आईआईएम कोझिकोड में फ्यूचर सीएमओ प्रोग्राम जैसे कार्यक्रमों को भी एक्स्प्लोर किया। इन अध्ययनों ने मुझे भविष्य की सोच, भोजन, स्वास्थ्य और सचेत रहने जैसी गतिविधियो के साथ हमारे संबंधों की जटिलताओं को समझने में मदद की।

यही वह समय था, जब मैंने हमारी और आने वाली पीढ़ियों की जिंदगी को स्थायी तरीके से प्रभावित करने वाली यात्रा को शुरू करने के बारे में सोचना शुरू किया। ठोलुआ प्रतिष्ठान के को-फाउंडर त्रैलुक्य दत्ता ने बताया कि हमारी पूरी यात्रा लोगों के जीवन में देसी और प्राकृतिक पहलुओं को वापस लाने से जुड़ी है। ठोलुआ नाम भी असमिया भाषा में मूल निवासी के बारे में है।

हमें यह समझना चाहिए कि तेज शहरीकरण संपत्ति की खोज और औद्योगिकीकरण का ही नतीजा है। मनुष्य के तौर पर संयोग कहें या भाग्य, हम खुद को शहरी जाल में उलझा हुआ पाते हैं। हालांकि, इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि हम अपनी जड़ों से कितनी दूर चले गए हैं, क्योंकि एक ऐसी ताकत है जो हमेशा हमें हमारी जड़ों की ओर खींचती है।

गुरुत्वाकर्षण जैसी यह ताकत हमारे दिल और दिमाग को तब तक खींचती है जब तक हम अपना संतुलन हासिल नहीं कर लेते और संतुलन की यह स्थिति हमारे भीतर या आंतों में रहने वाले सूक्ष्मजीवी, हमारे जेनेटिक कोड, टेस्ट एवं टेक्सचर के प्रति हमारी प्रतिक्रियाओं और हमारे मस्तिष्क की संरचना आदि जैसे विभिन्न कारकों से आकार लेती है। एक स्टार्टअप के रूप में, हमारा मिशन इस दूरी को कम करना है और उपभोक्ताओं को उन चीजों तक पहुंचने में सहायता करना है जो उन्हें माइंडफुलनेस यानी शरीर, दिमाग और भावनाओं के प्रति पूर्ण सचेत रहने के योग्य बनाने में मदद करे।

हम यहां मूल जड़ों से जुड़ने, अपने भीतर मौजूद प्राकृतिक संतुलन को फिर से खोजने में मदद करने और अधिक जागरूक और संपूर्ण जीवन की यात्रा में सहायता करने के लिए हैं। हम हमारी इस यात्रा में शामिल होने वालों के प्रति आभार प्रकट करते हैं। अपने प्रॉडक्ट्स के बारे में उन्होंने बताया कि स्वस्थ गट माइक्रोबायोम शारीरिक और मानसिक दोनों की सेहत के लिए अहम है और जब हम रेसिपी को तैयार करते हैं तो हम इस पर सबसे ज्यादा ध्यान देते हैं।

हम प्राकृतिक रूप से प्रॉसेस्ड, फरमंटेटेड और प्रोबायोटिक वाले खाद्य पदार्थों को शामिल करते हैं, जो आंत की सेहत में इजाफा करते हैं। हम प्राकृतिक मसालों का इस्तेमाल करते हैं, जो न केवल स्वादिष्ट होते हैं बल्कि संतुष्टि को बढ़ाते हुए कॉग्निटिव सेहत को दुरुस्त करते हैं। हमारे मूड फूड के पोषण गुणों में शरीर के हैप्पी हार्मोन को प्रभावित करने और रिफ्रेशिंग मूड को बनाने की क्षमता होती है।

कल्पना करें कि कोई व्यक्ति निराश है या उसे सुस्ती या थकान महसूस हो रही है और ऐसे में मूड फूड का खाना माइक्रोन्यूट्रिएंट्स देकर उसकी उदासी को खत्म कर सकता है और यह उसके गट फ्लोरा को भी नुकसान नहीं पहुंचाएगा। उन्होंने उस चुनौती के बारे में भी बताया जहां भारत में कई लोगों के लिए नैचुरल वेलनेस प्रॉडक्ट्स तक पहुंचना एक बड़ी चुनौती है।

उन्होंने कहा कि देश में लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर में तेजी से सुधार होने के साथ उपभोक्ताओं तक नैचुरल वेलनेस प्रॉडक्ट्स पहुंचने के समय में वैश्विक स्तर पर कमी आई है। ई-कॉमर्स मोड के जरिए खरीदारी की संभावना बढ़ रही है और यह ग्राहकों तक सस्ता और सीधे पहुंचने का अच्छा तरीका है। हम विभिन्न ई-कॉमर्स प्लेटफार्म्स पर उपलब्ध हो रहे हैं, और अपनी वेबसाइट www.tholua.com  के माध्यम से भी अपने प्रॉडक्ट्स को उपलब्ध करा रहे हैं।

Web Title: Mood Food and Back to Basics philosophy can be taken care Mental and physical health

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