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उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने लोगों से की नेत्रदान करने की अपील, इसे श्रेष्ठ दान बताया

By भाषा | Published: September 08, 2020 9:05 PM

उप राष्ट्रपति ने दृष्टि बाधिता को सबसे बड़ी चुनौतियों में एक बताते हुए इस बात का जिक्र किया कि करीब 46 लाख लोग भारत में दृष्टिहीन हैं और उनमें से ज्यादातर लोग 50 वर्ष से अधिक आयु के हैं।

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ठळक मुद्देउपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने लोगों से नेत्रदान करने की अपील की उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि इसके करीब 20,000 नये मामले हर साल आते हैं।

नयी दिल्ली: उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने लोगों से नेत्रदान करने और इसके लिये अन्य लोगों को भी प्रेरित करने की मंगलवार को अपील करते हुए इसे ‘‘श्रेष्ठ दान’’ बताया। उन्होंने राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा पर यहां एक डिजिटल कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह कहा। एक आधिकारिक बयान के मुताबिक उप राष्ट्रपति ने दृष्टि बाधिता को सबसे बड़ी चुनौतियों में एक बताते हुए इस बात का जिक्र किया कि करीब 46 लाख लोग भारत में दृष्टिहीन हैं और उनमें से ज्यादातर लोग 50 वर्ष से अधिक आयु के हैं।

उन्होंने दृष्टिहीनता के लिये कॉर्निया संबंधी समस्याओं को मोतियाबिंद के बाद दूसरा सर्वाधिक बड़ा कारण बताते हुए कहा कि इसके करीब 20,000 नये मामले हर साल आते हैं। उन्होंने इसे लेकर चिंता जताई कि इस श्रेणी (कॉर्निया संबंधी) में प्रभावित ज्यादातर लोग वयस्क और बच्चे हैं। उपराष्ट्रपति ने देश में कम संख्या में लोगों के अंगदान करने की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए जागरूकता फैला कर और जिला स्तर पर अंग प्रतिरोपण के लिये पर्याप्त बुनियादी ढांचा तैयार कर मानसिकता में बदलाव लाने की अपील की।

उन्होंने राजा शिबि और ऋषि दधीचि के उदाहरण दिये, जिन्होंने दूसरों के कल्याण के लिये अपना शरीर दान कर दिया था। उन्होंने लोगों को प्रेरित करने और अंगदान को बढ़ावा देने के लिये आधुनिक संदर्भ में इन मूल्यों एवं विमर्शों को फिर से परिभाषित करने की अपील की। नायडू ने कहा कि अंगदान कर कोई व्यक्ति समाज की व्यापक भलाई की दिशा में अन्य लोगों के लिये एक उदाहरण स्थापित करता है। उन्होंने प्रत्येक नागरिक से, विशेष रूप से युवाओं से अपनी आशंकाओं को पीछे छोड़ते हुए अंगदान करने का संकल्प लेने की अपील की।

उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों को कुछ वक्त निकाल कर दूर दराज के इलाकों में जाना चाहिए और ग्रामीण लोगों की नेत्र चिकित्सा करनी चाहिए। उन्होंने राष्ट्रीय दृष्टिहीनता सर्वेक्षण (2015-19) का हवाला देते हुए कहा कि 2006-07 के राष्ट्रीय सर्वेक्षण की तुलना में दृष्टिहीनता में 0.36 प्रतिशत कमी आई है।

आंकड़ों से यह जाहिर होता है कि 2019-20 में एक कार्यक्रम के तहत मोतियाबिंद के 64 लाख से अधिक ऑपरेशन हुए, प्रतिरोपण के लिये कुल 65,000 नेत्रदान किये गये। स्कूली बच्चों को 8.57 लाख मुफ्त चश्मे दिये गये। 

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