दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने तीन दिन की बैठक के बाद उदयपुर में इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा 48 वर्षीय कन्हैयालाल साहू की बर्बर हत्या पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि मुस्लिम समुदाय को इस कृत्या का कड़ा प्रतिवाद करना चाहिए और उन्हें लोकतांत्रिक तरीके से विरोध जताना सीखना चाहिए।
राजस्थान के झुन्झुनू में आयोजित 'अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक' की तीन दिवसीय बैठक में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत सहित दत्तात्रेय होसबोले, कृष्ण गोपाल, मनमोहन वैद्य, सीआर मुकुन्द, अरुण कुमार और राम दत्त इत्यादि वरिष्ठ नेता शामिल थे।
बैठक के बाद आरएसएस की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि "यदि किसी को कुछ पसन्द नहीं आता है तो उसपर लोकतांत्रिक तरीके से प्रतिक्रिया देनी चाहिए।" आरएसएस ने यह भी कहा कि 'बोलने की आजादी' का प्रयोग करते समय जनभावनाओं का भी ख्याल रखना चाहिए।
कन्हैयालाल साहू हत्या मामला
28 जून को राजस्थान के उदयपुर में दो इस्लामी कट्टरपंथियों मोहम्मद रियाज और मोहम्मद गौस ने एक दर्जी कन्हैयालाल साहू की गला काटकर हत्या कर दी थी। कन्हैयालाल के नाबालिग बेटे ने वाटसेप पर एक स्टेटस शेयर कर दिया था जिसमें नूपुर शर्मा का समर्थन किया गया था।
कन्हैयालाल के स्टेटस से नाराज उसके पड़ोसियों ने पुलिस में उसके खिलाफ शिकायत दर्ज करायी जिसके बाद वो गिरफ्तार हुए और जमानत पर रिहा हुए। जमानत पर रिहा होने के बाद भी कन्हैयालाल को जान से मारने की धमकी मिलती रही।
कन्हैयालाल ने पुलिस से सुरक्षा की माँग की लेकिन उन्हें पुलिस सुरक्षा नहीं मिली। कन्हैयालाल के कुछ पड़ोसियों पर आरोप है कि उन्होंने हत्या में हत्यारों की मदद की। जिस व्यक्ति के नेतृत्व में थाने में कन्हैयालाल के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी थी वह कन्हैयालाल का पारिवारिक मित्र था। पुलिस ने उसे भी हत्यारों की मदद के आरोप में गिरफ्तार किया है।
हत्या के पीछे अंतरराष्ट्रीय साजिश की आशंका उभरने के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (NIA) ने कन्हैयालाल हत्या की जाँच अपने हाथ में ले ली है। मीडिया रपट के अनुसार हत्यारों रियाज और गौस का पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन दावते-इस्लामी से ताल्लुक था। पुलिस के अनुसार एक हत्यारे ने पाकिस्तान जाकर प्रशिक्षण भी लिया था।
आरएसएस के प्रचार प्रमुख का बयान
एनडीटीवी से बातचीत में बैठक में शामिल आरएसएसस प्रचार प्रमुख सुनील आम्बेकर ने हत्या की कड़ी निन्दा करते हुए कहा कि भारत एक लोकतंत्र है और जिन लोगों को कोई बात पसन्द नहीं आती है उनके पास अपनी शिकायत दर्ज कराने के संवैधानिक अधिकार है।
बैठक के बाद आरएसएस द्वारा जारी बयान में कहा गया है, "सभ्य समाज सदैव ऐसे कृत्यों की कड़ी निन्दा करता है। हिन्दू समुदाय अपनी प्रतिक्रिया लोकतांत्रिक तरीके से व्यक्त कर रहा है। मुस्लिम समुदाय को भी ऐसे कृत्य की निन्दा करनी चाहिए। कुछ बुद्धिजीवियों ने इसकी निन्दा की है लेकिन मुस्लिम समुदाय को भी आगे आकर इसके खिलाफ बोलना चाहिए। ऐसी घटनाएँ देश या हमारे समाज के हित में नहीं हैं। हर किसी को इसकी आलोचना करनी चाहिए। "