नई दिल्ली: कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने शनिवार को जनता दल-सेक्युलर के बीजेपी में विलय की अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो जेडीएस के बीजेपी में शामिल होने का कोई सवाल ही नहीं है, दोनों पार्टियां साथ में मिलकर काम करेंगी।
समाचार एजेंसी एएनआई को दिये इंटरव्यू में कुमारस्वामी ने जेडीएस के बीजेपी में शामिल होने के सवाल पर कहा, "हमारी पार्टी का किसी अन्य पार्टी में विलय का कोई सवाल ही नहीं है। यह मैं स्पष्ट रूप से बता रहा हूं। इस तरह का कोई सवाल ही नहीं है। अगर बीजेपी हमारे साथ अच्छा व्यवहार करती है और सब कुछ सुचारू रूप से चलता है तो कोई सवाल ही नहीं है। हम साथ मिलकर काम करेंगे।''
उन्होंने कहा, "मैं कांग्रेस नेता और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से कहना चाहूंगा कि अगर 100 सिद्धारमैया भी हमारे खिलाफ आएं, तो वे हमारी पार्टी को कुछ नहीं कर सकते। वे जेडीएस को नुकसान नहीं पहुंचा सकते।"
उनसे पूछा गया था कि क्या देवगौड़ा को ''प्राण प्रतिष्ठा'' समारोह में आमंत्रित करना पीएम मोदी और देवगौड़ा के बीच व्यक्तिगत संबंध माना जा सकता है, जिसके कारण भाजपा-जद(एस) गठबंधन हुआ। कुमारस्वामी ने कहा, "जब नरेंद्र मोदी जी ने राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश किया, उस समय देवेगौड़ा मोदी के राष्ट्रीय प्रवेश के मुख्य आलोचकों में से एक थे।"
उन्होंने कहा, "उस समय देवेगौड़ा ने जो कुछ भी कहा, उसके बाद मोदी जी प्रधानमंत्री बने और वे उनसे मिलने आये। देवेगौड़ा जी अपने सांसद क्षेत्र से इस्तीफा देना चाहते थे, लेकिन नरेंद्र मोदी जी ने उन्हें सलाह दी कि संसद में बने रहना चाहिए। प्रधानमंत्री की भूमिका संभालने के बाद मोदी कई बार देवेगौड़ा से मिले और हर बार उन्होंने देवेगौड़ा जी के प्रति सम्मान दिखाया।"
कुमारस्वामी ने कहा, "साल 2018 में देवेगौड़ा जी ने कांग्रेस से हाथ मिला लिया। अपने 60-62 साल के करियर में उन्होंने हमेशा धर्मनिरपेक्ष ताकतों के साथ गठबंधन किया है। क्षेत्रीय दलों का इस्तेमाल करके कांग्रेस ने कई क्षेत्रीय दलों को नष्ट कर दिया है। कांग्रेस ने देवेगौड़ा जी को कई तरह से अपमानित किया है।"
उन्होंने कहा, "साल 1995 में जब इस संयुक्त मोर्चे ने पीएम उम्मीदवार के रूप में देवगोड़ा जी का समर्थन किया, तो कांग्रेस ने नहीं किया। जब उन्होंने उन्हें हटाया तो उनके पास कोई कारण नहीं था। उस समय भी उन्होंने इंद्र कुमार गुजराल का भी समर्थन किया था। 2004 में उस समय भी उन्होंने देवेगौड़ा जी को धोखा दिया, उन्होंने कांग्रेस का सम्मान किया। हालांकि, उस समय अरुण जेटली ने बीजेपी से हाथ मिलाने के लिए उनसे मुलाकात की, उन्होंने भी कांग्रेस से हाथ मिला लिया और शामिल होने के बाद उन्होंने देखा कि उन्होंने 20 महीने तक उनके साथ कैसा व्यवहार किया, उस समय भी देवेगौड़ा जी का स्वास्थ्य खराब हो गया था।''
कु्मारस्वामी ने कहा, "फिर, 2009 में उन्होंने तीसरे मोर्चे के साथ हाथ मिलाया। वह एक अलग मुद्दा है। फिर जब देवेगौड़ा जी ने उस समय फिर से भाजपा को सत्ता सौंपी, तब भी उनके कांग्रेसी मित्र हमारी पार्टी को तोड़ना चाहते थे।"