प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कानून मंत्रियों और कानून सचिवों के अखिल भारतीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए अप्रचलित कानूनों और त्वरित परीक्षणों को दूर करने के लिए कानूनी प्रणाली के निरंतर सुधार पर जोर दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि कानूनी व्यवस्था को मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और विचाराधीन कैदियों के बारे में सहानुभूतिपूर्वक सोचना चाहिए।
पीएम मोदी ने कहा कि अनावश्यक कानूनों को हटाने के लिए सरकार ने पिछले आठ वर्षों में अथक प्रयास किया। उन्होंने कहा कि देश ने डेढ़ हजार से ज्यादा पुराने और अप्रासंगिक कानूनों को रद्द कर दिया है। इनमें से अनेक कानून तो गुलामी के समय से चले आ रहे थे। पीएम ने कहा कि देश के लोगों को सरकार का अभाव भी नहीं लगना चाहिए और देश के लोगों को सरकार का दबाव भी महसूस नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा, स्वस्थ्य समाज के लिए मजबूत न्यायपालिका का होना जरूरी है। ऐसे में जरूरी है कि कानून बनाते हुए हमारा फोकस गरीब से गरीब भी नए बनने वाले कानून को अच्छी तरह समझ पाएं, इसपर होना चाहिए। हमारे समाज की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि वो प्रगति के पथ पर बढ़ते हुए खुद में आंतरिक सुधार भी करता चलता है। हमारा समाज अप्रासंगिक हो चुके कायदे-कानूनों, गलत रिवाजों को हटाता भी चलता है।
पीएम मोदी सम्मेलन को वर्चुअली संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आगे कहा कि आजादी से पहले के कई अनावश्यक कानून लागू थे और अभी भी कई राज्यों में हैं। उन्होंने राज्यों से इन कानूनों की समीक्षा करने और लोगों के जीवन को आसान बनाने और आसानी से न्याय मिलने को सुनिश्चित करने का आग्रह किया।
पीएम मोदी ने कहा, "न्याय में देरी चुनौतियों में से एक है और इस मुद्दे को गंभीरता से लिया जा रहा है। पीएम मोदी ने स्थानीय भाषा के महत्व को जोड़ते हुए कहा कि कानून बनाते समय, ध्यान सरल भाषा पर होना चाहिए ताकि लोग कानूनों को समझ सकें। पीएम मोदी ने कहा, 'कुछ देशों में यह प्रावधान भी है कि जब कोई कानून बन रहा है तो यह भी तय होता है कि कानून कब तक लागू रहेगा। हमें उस दिशा में भी काम करना चाहिए।'