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एके-203 असॉल्ट राइफल: 800 मीटर रेंज, बेहद हल्का वजन, जानिए और क्या हैं इस घातक हथियार की खासियत

By शिवेंद्र राय | Published: January 28, 2023 2:10 PM

सेना की ताकत को बढ़ाने की कोशिशों के तहत अब एके-203 असॉल्ट राइफल्स जल्द ही जवानों के हाथ में होगी। अमेठी के कोरवा आयुध कारखाने में कलाश्निकोव एके-203 असॉल्ट राइफल का निर्माण शुरू हो चुका है और 5000 एके-203 राइफलों की पहली खेप इस साल मार्च तक सेना को मिल जाएगी।

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ठळक मुद्देअत्याधुनिक एके-203 असॉल्ट राइफल मिलने से बढ़ेगी सेना की ताकतएके- 203, एके सीरीज की सबसे घातक और आधुनिक राइफल हैएके- 203 राइफल में 7.62x39एमएम की गोलियां लगती हैं

नई दिल्ली: भारतीय सेना को लगातार और ज्यादा तकतवार और घातक बनाने की कोशिशें जारी हैं। इसी क्रम में सेना को दुनिया की सबसे आधुनिक और घातक असॉल्ट राइफल एके-203 से लैस करने की योजना बनाई गई थी। भारत और रूस मिलकर इस घातक राइफल का निर्माण उत्तर-प्रदेश के अमेठी में कर रहे हैं और इन राइफलों का उत्पादन भी शुरू हो गया है। रक्षा सूत्रों के अनुसार मार्च 2023 के अंत तक एके-203 असॉल्ट राइफल्स का पहला बैच भारतीय सेना को मिल जाएगा। 

क्या है खासियत

किसी भी सेना की सबसे बड़ी ताकत उसके हथियार होते हैं। एक सैनिक अपनी राइफल को हमेशा अपने साथ रखता है और चाहे सीमा की पहरेदारी हो या युद्धक्षेत्र, सैनिक की राइफल हमेशा शरीर के किसी हिस्से की तरह उसके साथ होती है। अगर किसी सैनिक के हाथ में एके-203 जैसी असॉल्ट राइफल मौजूद हो तो उसका आत्मविशावास कई गुना बढ़ जाता है।

दरअसल एके- 203 राइफल, एके सीरीज की सबसे घातक और आधुनिक राइफल है। इसमें वे सभी खूबियां हैं जिनकी जरूरत युद्धक्षेत्र में एक सैनिक को होती है। एके- 203 का वजन केवल 3.8 किलोग्राम है और सिर्फ 705 मिमी लंबी है। छोटी और हल्की होने के कारण इसे लंबे समय तक उठाया जा सकता है और इससे जवान थकते कम हैं।

एके- 203 राइफल में 7.62x39एमएम की गोलियां लगती हैं और इसकी रेंज 800 मीटर है। इसका मतलब ये है कि अगर एके- 203 में आ गए तो किसी भी दुश्मन का बचना मुश्किल है। ये असाल्ट राइफल एक मिनट में 700 गोलियां दाग सकती है। एके- 203 राइफल में  30 राउंड की बॉक्स मैगजीन लगती है। इतना ही नहीं दुश्मन को दूर से ही दूरबीन से देखने के लिए इसमें आयरन साइट के साथ पिकैटिनी रेल लगी है। यही खासियत इसे और घातक बनाती है। दरअसल बाकी असॉल्ट राइफल्स में किसी खास तरह की दूरबीन ही लगाई जा सकती है लेकिन एके- 203 में दुनिया की कोई भी दूरबीन फिट की जा सकती है।

कौन बना रहा है?

मूल रूप से  एके- 203 रूसी राइफल है जिसे रोसोबोरोनएक्सपोर्ट नाम की कंपनी बनाती है। भारत में इसका निर्माण इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी कर रही है।  उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले के कोरवा में इसकी उक्पादन इकाई है। उत्पादन शुरू होने के बाद 5000 एके-203 राइफलों की पहली खेप इस साल मार्च तक सेना को मिल जाएगी। अगले 32 महीनों में 70 हजार एके- 203 राइफल्स को भारतीय सेना मिलेंगीं। भारत और रूस के बीच हुए करार के अनुसार अगले 10 सालों में 6 लाख 1 हजार 427 राइफल्स बनाई जाएंगी।

टॅग्स :AK-203अमेठीउत्तर प्रदेशभारतीय सेनाArmyरूस
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