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नीरा राडिया को सीबीआई ने टेप केस में दी क्लीन चिट, जानिए क्या था पूरा मामला

By शिवेंद्र राय | Published: September 21, 2022 3:15 PM

नीरा राडिया टेप केस देश के सबसे चर्चित मामलों में से एक था। 21 सितंबर को हुई सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने भी कहा कि निजता को सुप्रीम कोर्ट मौलिक अधिकार का दर्जा दे चुका है, इसलिए अब इस मामले में कुछ नहीं बचा।

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ठळक मुद्देरतन टाटा ने 2011 में दायर की थी निजता के हनन की याचिकासर्वोच्च न्यायालय में हुई मामले की सुनवाईसीबीआई ने बताया, राडिया के खिलाफ आपराधिक गतिविधि के सबूत नहीं

नई दिल्ली: सीबीआई ने बहुचर्चित राडिया टेप विवाद में नीरा राडिया को क्लीन चिट दे दी है। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उसने नीरा राडिया की नेताओ, उद्योगपतियों और अन्य प्रभावशाली लोगों से की गई बातचीत की फोन रिकॉर्डिंग की जांच की है और उसे इसमें किसी भी तरह की आपराधिक गतिविधि के सबूत नहीं मिले हैं। 21 सितंबर को इस केस जुड़ी सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि उसे लगभग 5,800 टेप की जांच में अपराध का कोई मामला नहीं मिला था। इसलिए, मामले में दर्ज शुरू की 14 प्राथमिक जांच को बंद कर दिया गया।

 पूरा केस क्या है

एक समय में नीरा राडिया टेप केस देश के सबसे चर्चित मामलों में से एक था।  इस मामले में टाटा समूह के तत्कालीन मुखिया रतन टाटा तक का नाम उछाला गया था। साल 2008-09 के दौरान सामने आए इस बहुचर्चित केस में नीरा राडिया की उद्योगपतियों, पत्रकारों, सरकारी अधिकारियों और प्रमुख पदों पर बैठे अन्य लोगों के साथ फोन पर हुई बातचीत को आयकर विभाग ने टेप कर लिया था। जिन लोगों से नीरा राडिया की बातचीत हुई थी उनमें रतन टाटा और मुकेश अंबानी भी शामिल थे।

तब नीरा राडिया टाटा समूह और रिलायंस इंडस्ट्रीज के लिए जनसंपर्क का काम किया करती थीं। जब नीरा राडिया के प्रभावशाली लोगों के साथ बातचीत का मामला सामने आया तब यह भी उजागर हुआ कि दरअसल वह  इन कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट ब्रोकर का काम कर रही थीं। करीब 940 टेप मीडिया में लीक होने के बाद नीरा राडिया पर आरोप लगे कि वह अपनी ग्राहक कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए  राजनेताओं और प्रभावशाली लोगों  का इस्तेमाल कर रही थीं।

जब ये मामला काफी ज्यादा विवादों में आ गया तब केंद्र की तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने सारे टेप अपने कब्जे में लेकर सुप्रीम कोर्ट में जमा करा दिए थे। सरकार ने सर्वोच्च न्यायलय में दाखिल अपने शपथ पत्र में कहा था कि नीरा राडिया की बातचीत आयकर महानिदेशालय के निर्देश पर टेप की गई थी। मनमोहन सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया कि वित्त मंत्रालय को मिली एक शिकायत के बाद ऐसा किया गया था।

इन टेपों के लीक होने से नाराज रतन टाटा ने साल 2011 में अपनी निजता के हनन का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी और इन टेपों को लीक करने में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। इस केस में आखिरी सुनवाई साल 2014 में हुई थी। लंबे समय बाद 21 सितंबर को हुई सुनवाई के दौरान  केंद्र सरकार की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने भी कहा कि निजता को सुप्रीम कोर्ट मौलिक अधिकार का दर्जा दे चुका है, इसलिए अब इस मामले में कुछ नहीं बचा।

हालांकि राडिया टेप विवाद को लेकर एक एनजीओ 'सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन' ने भी याचिका दाखिल करते हुए सुप्रीम कोर्ट से जांच की मांग की थी। 21 सितंबर को हुई सुनवाई के दौरान सीपीआईएल के वकील प्रशांत भूषण दूसरी कोर्ट में व्यस्त होने के चलते जिरह के लिए पेश नहीं हो सके। उनके अनुरोध पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा की बेंच ने सुनवाई अगले हफ्ते के लिए टाल दी है।

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