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लॉकडाउन बढ़ने से बेकाबू प्रवासी मजदूर मुंबई में सड़कों पर उतरे

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 14, 2020 10:17 PM

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21 दिनों से जारी लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ाने की पीएम मोदी के एलान के कुछ ही घंटों बाद बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर मंगलवार को सड़कों पर उतर गये. फिलहाल पुलिस उन्हें मदद करने का वादा करके वापस घरों में भेजने की कोशिश कर रही है. इसकी वजह से इलाके में तनाव पैदा हो गया है. प्रवासी कामगार मांग कर रहे हैं कि उन्हें गांव भेजने के इंतज़ाम किये जाएं. मजदूरों के सड़कों पर उतरने के बाद  महाराष्ट्र सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे ने मोदी सरकार पर दोष मढ़ते हुए कहाकि बांद्रा के हालात के लिए केंद्र जिम्मेदार हैं. केंद्र सरकार ने इन प्रवासी मजदूरों के घर वापसी के इंतज़ाम नहीं किये. वो अब खाना या कुछ और नहीं चाहते वो बस घर जाना चाहते हैं. बांद्रा में जमा  लोगों में अधिकतर लोगों दिहाड़ी मजदूर हैं.  पिछले महीने जारी लॉकडाउन लागू होने के बाद से ही दिहाड़ी मजदूर बेरोजगार हो गए हैं.  पहले चरण के लॉकडाउन के एलान के बाद से ही उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था. उन्हें उम्मीद थी कि आज खत्म हो रहे लॉकडाउन के बाद वो अपने मूल स्थानों पर वापस जा पाएंगे.  सरकार और एनजीओ का दाावा है कि प्रवासी कामगारों के भोजन की व्यवस्था की है, लेकिन उनमें से अधिकतर पाबंदियों से परेशान होने के कारण अपने गांव लौटना चाहते हैं. मुंबई पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार हजारों की संख्या में दिहाड़ी मजदूर दोपहर 1 बजे रेलवे स्टेशन के पास बांद्रा पश्चिम बस डिपो पर जमा होकर सड़क पर बैठ गए. बताया जा रहा है कि ये दिहाड़ी मजदूर पास के पटेल नगरी इलाके में झुग्गी बस्तियों में किराए पर रहते हैं. अब ये मजदूर गाड़ियों के इंतज़ाम की मांग कर रहे हैं. इन कामगारों में अधिकांश मूल रूप से पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं.  एक मजदूर ने बताया कि भले ही एनजीओ और लोकल लोग उन लोगों को खाना दे रहे हैं लेकिन वे लॉकडाउन के दौरान अपने घर वापस जाना चाहते हैं. इनका कहना है कि इस लॉकडाउन की वजह से उनकी रोजी रोटी बुरी तरह प्रभावित हुई है. प्रवासी मजदूर कहते है कि वो अब, भोजन नहीं चाहते हैं वो अपने मूल स्थान वापस जाना चाहते हैं. मजदूर कहते हैं कि हम लॉकडाउन बढ़ाने के एलान से खुश नहीं हैं. पश्चिम बंगाल के मालदा निवासी असदुल्लाह शेख कहते हैं  उन लोगों ने 21 दिनों के लॉकडाउन में अपनी बचत पहले ही खर्च कर दी है. अब उनके पास पास खाने को कुछ नहीं है, अब वो हम बस अपने गांव वापस जाना चाहते हैं और सरकार को इसका इंतज़ाम करना चाहिए. दूसरे मजदूर अब्दुल कय्युन ने कहाकि वो पिछले कई  सालों से मुंबई में हैं लेकिन ऐसी हालत कभी नहीं देखी. ये मजदूर मांग कर रहे हैं कि सरकार को उन्हें उनके मूल स्थान पर भेजने के लिए ट्रेनें शुरू करनी चाहिए. बस अड्डों और रेलवे स्टेशन पर किसी अनहोनी से  निपटने के लिए भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है. हालात काबू में करने के लिए दूसरे पुलिस थानों से भी पुलिस कर्मियों को बुलाया गया है. 
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