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Maharashtra Day 2024: 64वीं वर्षगांठ, चुनावी बयार और महाराष्ट्र दिवस फिर एक बार

By Amitabh Shrivastava | Published: May 01, 2024 11:32 AM

Maharashtra Day 2024: सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 14 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में राज्य सबसे बड़ा योगदानकर्ता बना हुआ है.

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ठळक मुद्देआर्थिक दृष्टिकोण से देश का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज महाराष्ट्र में ही स्थित है. सकल घरेलू उत्पाद 38.79 लाख करोड़ रुपए है, जिसमें दस प्रतिशत वृद्धि की संभावना है. महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था भारत में सबसे बड़ी है. वन क्षेत्र के मामले में महाराष्ट्र भारतीय राज्यों में दूसरे स्थान पर है.

Maharashtra Day 2024: भारत में क्षेत्रफल के हिसाब से तीसरा सबसे बड़ा राज्य महाराष्ट्र अपनी स्थापना की 64वीं वर्षगांठ मनाएगा. देश के पश्चिमी छोर स्थित अरब सागर से जुड़ा, दक्षिण में कर्नाटक व गोवा, दक्षिण-पूर्व में तेलंगाना, पूर्व में छत्तीसगढ़, उत्तर में गुजरात और मध्यप्रदेश तथा दादरा-नगर हवेली से घिरा राज्य अपने इतिहास और वैभव के लिए अलग पहचान रखता है. आधुनिक युग में देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से विश्व में अलग शान और औद्योगिक क्षेत्र में दबदबे से राज्य को नई ऊंचाई मिलती है. राज्य में कुल कृषि योग्य भूमि में से लगभग 60 प्रतिशत का उपयोग दलहन और अन्य फसलों के लिए किया जाता है. सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 14 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में राज्य सबसे बड़ा योगदानकर्ता बना हुआ है.

आर्थिक दृष्टिकोण से देश का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज महाराष्ट्र में ही स्थित है. राज्य का सकल घरेलू उत्पाद 38.79 लाख करोड़ रुपए है, जिसमें दस प्रतिशत वृद्धि की संभावना है. इसके साथ ही महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था भारत में सबसे बड़ी है. वन क्षेत्र के मामले में महाराष्ट्र भारतीय राज्यों में दूसरे स्थान पर है.

राज्य में ‘रिकॉर्डेड वन क्षेत्र’ 61,952 वर्ग किमी है, जिसमें से 50,865 वर्ग किमी आरक्षित वन है, 6,433 वर्ग किमी संरक्षित वन है और 4,654 वर्ग किमी जंगल है. गोदावरी और कृष्णा राज्य की दो प्रमुख नदियां हैं, जो पश्चिमी राज्य को दक्षिण से जोड़ती हैं और सिंचाई तथा पेयजल की सबसे बड़ी स्रोत हैं. संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र की आबादी वर्ष 2023 में करीब 13.6 करोड़ हो गई है.

जनसंख्या के हिसाब से देखा जाए तो दुनिया में महाराष्ट्र 10वां बड़ा राज्य है. जापान की आबादी महाराष्ट्र से कम है. राज्य का जनसंख्या घनत्व वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 365 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है. यहां हर 1000 पुरुषों पर 929 महिला का लिंगानुपात है और इस राज्य में साक्षरता दर 88.4 प्रतिशत है.

राज्य के इतिहास के पन्नों पर सत्रहवीं शताब्दी में छत्रपति शिवाजी महाराज के प्रभावशाली आधुनिक मराठा राज्य की स्थापना से लेकर बिखरी ताकतों को एकजुट कर शक्तिशाली सैन्य बल का संगठित करना और मुगलों को दक्षिण के पठार से आगे बढ़ने से रोकना दर्ज है. सामाजिक आंदोलनों में छत्रपति शाहू महाराज, ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले, डॉ बाबासाहब आंबेडकर के योगदान को हमेशा सर्वोच्च स्तर पर माना गया है. स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बाल गंगाधर तिलक और महात्मा गांधी ने महाराष्ट्र के लोगों को सक्षम नेतृत्व प्रदान किया. साथ ही अपने आंदोलन का केंद्र भी मुंबई और पुणे को बनाया.

राज्य में नासिक, सोलापुर, कोल्हापुर, छत्रपति संभाजीनगर, पुणे, नांदेड़ जिलों में धार्मिक आस्था के अनेक बड़े केंद्र हैं. क्षेत्रवार भी देखा जाए तो मराठवाड़ा संतों की भूमि के रूप में पहचान रखता है. जहां सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंहजी, संत नामदेव के चरणों से धरा पावन हुई, वहीं विदर्भ में संत तुकड़ोजी महाराज, शेगांव में गजानन महाराज जैसे महान संतों ने लाखों लोगों को अपना अनुयायी बनाया.

कुल मिलाकर ऐतिहासिक, पौराणिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से महाराष्ट्र की अपनी अलग शान है, जिसके चलते देश के हर क्षेत्र में राज्य का अपना हस्तक्षेप बना रहता है. यही वजह है कि राज्य की संस्कृति और इतिहास को हमेशा संदर्भों में लिया जाता है. चालू वर्ष महाराष्ट्र के लिए चुनावों का साल है, जिसमें लोकसभा चुनाव तो तीसरे चरण में पहुंचने जा रहा है.

इसके बाद विधानसभा चुनाव की गतिविधियां जोर पकड़ेंगी. उसके पश्चात अनेक स्थानीय निकायों के चुनाव की बारी आएगी. यूं देखा जाए तो सभी दावों के बीच पिछले पांच साल में महाराष्ट्र ने दलों के बिखराव के बीच राजनीतिक अस्थिरता का अनुभव किया. हालांकि राज्य में दलों में टूट-फूट कभी नई बात नहीं थी.

मगर इस बार जिस तरह के परिवर्तन हुए, वे राज्य की संस्कृति से सीधे मेल नहीं खाते थे. दलीय फूट परिवारों के स्तर पर हुई. आपसी रिश्ते-नातों को भुलाकर अलगाव हुआ. स्वाभाविक रूप से इसका असर राज्य की प्रगति पर पड़ा. हमेशा किए जाने वाले दावे उस समय कमजोर दिखने लगे, जब सरकारों का कोई ठिकाना नहीं रहा.

ढाई साल तक चली एक सरकार देखते-देखते गिर गई और जोड़-तोड़ से नई सरकार काबिज हो गई. महाराष्ट्र के भौगोलिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और औद्योगिक परिदृश्यों को सम्मिलित तौर पर देखा जाए तो अटूट संभावनाओं का राज्य नजर आता है. विविध संस्कृतियों के साथ विकास करता राज्य अपना अलग स्थान बनाता दिखता है, किंतु राजनीतिक अस्थिरता राज्य की बड़ी समस्या बनती जा रही है.

राजनीतिक दलों की बढ़ती महत्वाकांक्षा विकास की राह में परेशानी का कारण है. यह बात अब स्पष्ट रूप से दिखाई देती है, जबकि राजनीति उसे दबाने का भरसक प्रयास करती है. अब जरूरत इस बात की है कि राज्य की आकांक्षा को अपनी महत्वाकांक्षा बनाया जाए. व्यक्तिगत लक्ष्यों को राज्य के विकास की कीमत पर पाने का प्रयास नहीं किया जाए.

अन्यथा बड़े क्षेत्रफल का राज्य, अनेक परिस्थिति से गुजर कर अपने आदर्श लक्ष्यों तक पहुंचने में समर्थ नहीं हो पाएगा. इसका दोष किसी और को नहीं, बल्कि राजनीति को ही दिया जाएगा. इसलिए आवश्यक यही है कि चुनावी बयार में राज्य के हित नहीं सिमट जाएं किसी एक पार.

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