लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता और जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने 2020 के अपहरण और जबरन वसूली मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट से मिले जमानत के बाद बरेली जेल से रिहा हो गये हैं। जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने केस में खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि वह जौनपुर में अपनी पत्नी और बसपा प्रत्याशी श्रीकला सिंह के लिए प्रचार करेंगे, ताकि वो इस चुनाव में जीत हासिल कर सकें।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार जेल से रिहा होने के बाद धनंजय सिंह ने कहा, ''मेरे खिलाफ 2020 में फर्जी मामला दर्ज किया गया था। नमामि गंगे में भ्रष्टाचार का मामला था। मैं बरेली से सीधा अपने गृहक्षेत्र जौनपुर जाऊंगा, जहां से मेरी पत्नी चुनाव लड़ रही हैं, उनकी जीत के लिए मुझे प्रचार करना है।"
दो बार विधायक रहे धनंजय सिंह ने 2009 में बसपा के टिकट पर जौनपुर लोकसभा सीट जीती थी। हालांकि वह इस बार मैदान में नहीं हैं क्योंकि 27 अप्रैल को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नमामि गंगे परियोजना प्रबंधक अभिनव सिंघल के अपहरण मामले में जौनपुर विशेष अदालत द्वारा दी गई उन्हें सात साल की सजा पर स्टे देने से इनकार कर दिया था।
सजा पर रोक नहीं रहने के कारण धनंजय सिंह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। जौनपुर विशेष अदालत ने धनंजय सिंह को रंगदारी मांगने के आरोप में 7 साल जेल की सजा सुनाई गई है। सजा के ऐलान के बाद से ही वह जौनपुर जेल में बंद थे लेकिन बाद में उन्हें बरेली जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था।
हालांकि, अदालत ने इस मामले में उन्हें जमानत पर रिहा करने की उनकी अर्जी स्वीकार कर ली लेकिन सजा में कोई राहत नहीं दी। यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि बसपा ने अपने उम्मीदवारों की सूची में जौनपुर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला सिंह को टिकट दिया है।
2019 के लोकसभा चुनाव में जौनपुर सीट बसपा के खाते में चली गई थी। इस सीट पर एसपी-बीएसपी गठबंधन के तहत चुनाव लड़ने वाले बीएसपी उम्मीदवार श्याम सिंह यादव ने जीत हासिल की थी। वहीं भारतीय जनता पार्टी ने इस बार जौनपुर से महाराष्ट्र की राजनीति में सक्रिय रहे कृपाशंकर सिंह को मैदान में उतारा है। यहां पर समाजवादी पार्टी ने बाबू सिंह कुशवाहा को टिकट देकर मुकाबले को रोमांचक बना दिया है।