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Suicide In Kota: मैं भी प्री-मेडिकल टेस्ट में फेल हो गया था, कोटा डीएम डॉ. रविंदर गोस्वामी ने छात्र और माता-पिता को पत्र लिखा, पढ़िए

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 01, 2024 1:38 PM

Suicide In Kota: अभिभावकों से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को उनकी गलतियां सुधारने का मौका दें और बच्चों की खुशी को परीक्षा में प्राप्त अंकों से न जोड़ें।

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ठळक मुद्दे पत्र में कहा कि असफलता सुधार करने और उसे सफलता में बदलने का एक अवसर है।विद्यार्थियों को 'प्रिय बच्चों' कहते हुए अपना संबोधन शुरू किया। गलतियों पर काबू पाने और असफलताओं को सफलता में बदलने का अवसर देती हैं।

Suicide In Kota: विद्यार्थियों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों के मद्देनजर कोटा के जिलाधिकारी डॉ. रविंदर गोस्वामी ने राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) और संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) की तैयारी करने वाले छात्रों और उनके माता-पिता को अलग-अलग पत्र लिखा और कई साल पहले प्री-मेडिकल टेस्ट (पीएमटी) में असफल होने का अपना उदाहरण दिया। आईएएस अधिकारी बनने से पहले गोस्वामी एमबीबीएस डॉक्टर (एमबीबीएस) थे। गोस्वामी ने मंगलवार को लिखे पत्र में कहा कि असफलता सुधार करने और उसे सफलता में बदलने का एक अवसर है।

उन्होंने अभिभावकों से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को उनकी गलतियां सुधारने का मौका दें और बच्चों की खुशी को परीक्षा में प्राप्त अंकों से न जोड़ें। उर्दू के शायर साहिर लुधियानवी की एक शायरी का हवाला देते हुए गोस्वामी ने विद्यार्थियों को 'प्रिय बच्चों' कहते हुए अपना संबोधन शुरू किया।

उन्होंने कहा कि असफलताएं व्यक्ति को जीवन में की गई गलतियों पर काबू पाने और असफलताओं को सफलता में बदलने का अवसर देती हैं। जिलाधिकारी ने कहा कि परीक्षा जीवन का केवल एक चरण है। यह अंतिम लक्ष्य नहीं है और यह किसी के जीवन की दिशा निर्धारित नहीं कर सकती।

जिलाधिकारी ने कहा, "मैं इसका उदाहरण हूं। मैं भी पीएमटी में फेल हो गया था,'' उन्होंने छात्रों को लिखे पत्र में कहा, ''हम केवल कड़ी मेहनत कर सकते हैं और यह भगवान पर निर्भर है कि वह हमें फल प्रदान करे। अगर वह हमें सफल बनाता है, तो ठीक है, लेकिन अगर वह हमें असफल बनाता है, तो इसका मतलब है कि वह हमारे लिए दूसरा रास्ता बना रहा है।"

गोस्वामी ने लिखा, "आप महान भारत के महान बच्चे हैं और अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए केवल एक परीक्षा को अंतिम परीक्षा नहीं माना जा सकता।" उन्होंने छात्रों को लिखे अपने पत्र का अंत यह कहते हुए किया कि यदि कोई चलता है, तो गिरता है, लेकिन यह तभी सार्थक है जब कोई गिरकर उठता है और लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ता है।

इसी तरह माता-पिता को एक अलग पत्र में जिलाधिकारी ने अपने बच्चों को सभी सुविधाएं प्रदान करने में उनकी प्रतिबद्धता की सराहना की। उन्होंने माना कि उनकी ख़ुशी उनके बच्चों की ख़ुशी में निहित है, लेकिन उन्होंने कहा कि समस्या तब उत्पन्न होती है जब बच्चों की ख़ुशी परीक्षा में प्राप्त अंकों से जुड़ी होती है।

टॅग्स :KotaMedical Education
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