Maharashtra: देश के पहले न्याय कौशल केंद्र का उद्घाटन, कहीं से ऑनलाइन याचिका, see pics By सतीश कुमार सिंह | Published: October 31, 2020 3:42 PMOpen in App1 / 8भारत के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबड़े ने नागपुर में न्यायिक अधिकारी प्रशिक्षण संस्थान में भारत के पहले ई-संसाधन केंद्र न्याय कौशल का उद्घाटन किया। देश भर के किसी भी उच्च न्यायालय और जिला न्यायालयों में न्याय के मामलों को ई-फिल करने की सुविधा प्रदान करेगा।2 / 8प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एस ए बोबडे ने शनिवार को कहा कि कोरोना वायरस महामारी के चलते अदालतें डिजिटल माध्यमों से संचालित हुई, हालांकि इससे गैर इरादतन असमानता भी पैदा हुई क्योंकि कुछ लोगों की डिजिटल प्रौद्योगिकी तक पहुंच नहीं थी।3 / 8उन्होंने कहा कि हालांकि उन्हें इस बात को लेकर गर्व है कि देश में अदालतों का कामकाज महामारी के बीच भी जारी रहा। 4 / 8सीजेआई ने यहां न्यायिक अधिकारी प्रशिक्षण संस्थान में न्याय कौशल ई रिसोर्स सेंटर और महाराष्ट्र परिवहन विभाग के लिए एक वर्चुअल अदालत के उद्घाटन के बाद यह कहा। 5 / 8अधिकारियों ने बताया कि देश की किसी भी अदालत में मामलों की ‘ई-फाइलिंग’ के लिए न्याय कौशल केंद्र अपनी तरह के प्रथम ई संसाधन केंद्र हैं। सीजेआई ने कहा कि महामारी का प्रसार होने के बाद भी अदालतों का कामकाज जारी रहा, लेकिन न्याय तक पहुंच प्रौद्योगिकी पर निर्भर हो गई।6 / 8उन्होंने कहा कि इससे दो तबकों के बीच स्पष्ट अंतर पैदा हो गया, एक तबका वह जो प्रौद्योगिकी का खर्च वहन कर सकता है और दूसरा तबका वह जो इसे वहन नहीं कर सकता। इस तरह इससे गैर इरादतन असमानता पैदा हुई। 7 / 8उन्होंने बताया, ‘‘मुझसे बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों ने कहा कि कुछ अधिवक्ताओं की यह हालत हो गई कि उन्हें सब्जी बेचने को मजबूर होना पड़ा तथा ऐसी भी खबरें आई कि कुछ अधिवक्ता अब वकालत का पेशा छोड़ देना चाहते हैं, जबकि कुछ अब जीना ही नही चाहते। ’’ सीजेआई ने कहा कि इसलिए यह जरूरी है कि प्रौद्योगिकी को हर जगह उपलब्ध कराया जाए।8 / 8उन्होंने कहा, ‘‘हमें अवश्य ही इन असमानताओं को हटाना होगा और इसलिए मेरा मानना है कि अब इस पर हमारा जोर होना चाहिए। ’’ अदालतों के ऑलनाइन कामकाज करने के दौरान एक अन्य समस्या पेश आने का जिक्र करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि जूनियर वकीलों का कहना है कि पहले जब अदालतों में जाना होता था तब उन्हें काम मिल सकता था, लेकिन अदालतों के ऑनलाइन काम करने के कारण ऐसा नहीं हो सका। सीजेआई ने मोटर वाहन दुर्घटना दावों के निस्तारण के बारे में भी चिंता जताई। उनहोंने कहा कि सभी उच्च न्यायालय में लंबित करीब 30 प्रतिशत मामले मोटर दुर्घटना दावों के हैं। और पढ़ें Subscribe to Notifications