देश में आज (15 मई) को शहीद सुखदेव थापर की 112वीं जयंती मनाई जा रही है। सुखदेव थापर सबसे चर्चित क्रांतिकारियों में से एक रहे हैं, जिन्हें अंग्रेजों ने 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, शिवराम राजगुरु के साथ लाहौर के जेल में फांसी दे दी गई थी। सुखदेव थापर ने लाला लाजपत राय की मौत के खिलाफ प्रदर्शन किया था और ऑफिसर सॉन्डर्स की हत्या में हिस्सेदार भी रहे थे। आइए जानते हैं सुखदेव थापर के जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें...
कौन थे सुखदेव थापर?
सुखदेव थापर का जन्म 15 मई 1907 को लुधियाना के नौगढ़ा मोहल्ले में रामलाल थापर और राली देवी के घर में हुआ था। सुखदेव के बचपन में ही उनके पिता का निधन हो गया था। उनका लालन-पालन उनके चाचा लाला अचिंतराम ने किया था। सुखदेव बचपन से ही ब्रिटिश शासन की ज्यादतियों के प्रति जागरूक हो चुके थे। लाहौर नेशनल कॉलेज में छात्र जीवन के दौरान ही उनकी भगत सिंह से दोस्ती हुई। दोनों ही स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय और इतिहासकार जय चंद विद्यालंकार से प्रभावित थे। लाहौर कॉलेज के छात्रों ने आजादी की लड़ाई में युवाओं को जोड़ने के लिए नौजवान भारत सभा का गठन किया था। भगत सिंह और सुखदेव इस संगठन के सक्रिय सदस्य थे। ये सभा कई प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों को कॉलेज में निमंत्रित करती थी।
वैचारिक रूप से सर्वाधिक प्रखर माने जाते थे सुखदेव
रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाकुल्लाह खान और रोशन सिंह, चंद्रशेखर आजाद इत्यादि ने जब हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचएसआरए) का गठन किया तो भगत सिंह और सुखदेव उसमें भी साथ-साथ थे। बिस्मिल, रोशन और अशफाक को फांसी हो जाने के बाद एसएसआरए में सर्वप्रमुख नेता चंद्रशेखर आजाद थे और उनके बाद भगत सिंह और सुखदेव ही वैचारिक रूप से सर्वाधिक प्रखर माने जाते थे।
भगत सिंह और सुखदेव के बीच प्रगाढ़ मित्रता थी
भगत सिंह और सुखदेव केवल क्रांति की राह के साथ नहीं थे। दोनों के बीच प्रगाढ़ मित्रता थी और दोनों ही दुनिया के तमाम मसलों पर एक दूसरे से तीखी बहसें करते रहते थे। लाहौर षडयंत्र केस में गिरफ्तार होने के बाद भी दोनों के बीच जारी रहीं बहसों का संकेत भगत सिंह के पत्रों से मिलता है। इनमें से एक पत्र काफी प्रसिद्ध है जिसमें भगत सिंह ने प्रेम पर दोनों के परस्पर विपरीत विचारों और फिर बाद में दोनों के विचार के बदल जाने का जिक्र किया है।