भोपालः सूचना अधिकार क्षेत्र में लापरवाही बरतने के मामले में दिल्ली की एक संस्था 'सतर्क नागरिक संगठन' ने कुछ आंकड़े उजागर किए है। इन आंकड़ों से ये पता चला है कि सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी के दौरान अफसर जानकारियों को छिपाने का प्रयास करते हैं। आवेदक को जानकारी उपलब्ध न कराने के कारण आयोग में सुनवाई के दौरान उन पर कार्रवाई की जाती है। हालांकि कई बार वे सूचना आयुक्त की मेहरबानी से बच भी जाते हैं।
संस्था के मुताबिक कुछ सूचना आयुक्त बिना जुर्माने के ऐसे अधिकारियों को नहीं छोड़ते। सूचना अधिकार कानून में यदि किसी आवेदक को जानबूझकर जानकारी नहीं दी जाती है, उसमें अड़चन या बाधा उत्पन्न की जाती है तो अधिनियम की धारा 20(1) के तहत संबंधित अधिकारी पर जुर्माना लगाया जाता है।
सूचना छिपाने को लेकर इस धारा का अफसर करते हैं दुरुपयोग
गौरतलब बात है कि इन दिनों लोक सूचना अधिकारी अधिनियम की एक प्रतिबंधात्मक धारा 8 का काफी दुरुपयोग हो रहा है। इस धारा में कुछ जानकारियों को प्रकट करने से प्रतिबंध लगाया गया है। लेकिन लोक सूचना अधिकारी इस धारा के कुछ उपबंध की गलत व्याख्या कर जानकारी को छुपाने का प्रयास कर रहे हैं। जब भी कोई आवेदक आवेदन प्रस्तुत करता है अधिकारी इस धारा का संदर्भ देकर जानकारी देने से मना कर देते हैं ।
एक साल के भीतर 5 हजार से अधिक अधिकारियों पर लगा जुर्माना
रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में ऐसे मामलों में 1 जुलाई 2021 से 30 जून 2022 तक 5805 अफसरों पर जुर्माना लगाया गया। इसके तहत सूचना अधिकारी से 1 दिन के विलंब पर ₹250 जुर्माना किया जाता है। अधिकतम यह राशि ₹25000 तक की जा सकती है। यह राशि अधिकारी को अपनी जेब से ही जमा कराना होती है।
सतर्क नागरिक संगठन की रिपोर्ट के अनुसार एक वर्ष के भीतर दोषी अधिकारियों से बतौर जुर्माना 3 करोड़ 12 लाख 1 हजार 350 रुपए वसूली गई। देशभर के इन आंकड़ों में झारखंड, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, त्रिपुरा राज्य शामिल हैं। मध्य प्रदेश में 222 अधिकारियों पर जुर्माना लगाया गया जिसके तहत 47 लाख 50, हजार रुपए वसूले गए। सूत्रों के अनुसार मध्य प्रदेश में अफसरों पर सबसे ज्यादा जुर्माना सूचना आयुक्त राहुल सिंह की कोर्ट के द्वारा लगाया गया।