रांचीः बिहार में नाटकीय सियासी घटनाक्रम के बाद अब झारखंड में भी बड़ा सियासी बदलाव होने की संभावना है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जल्द ही अपना पद छोड़ सकते हैं। राजनीतिक गलियारे में हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन का नाम की चर्चा है। लेकिन इससे सोरेन परिवार में विवाद पैदा हो सकता है।
खनन लीज आवंटन मामले में चुनाव आयोग में सुनवाई पूरी
हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन पार्टी की विधायक हैं। फिलहाल उन्होंने अपने तेवर नरम कर रखे हैं, लेकिन हेमंत द्वारा अपनी पत्नी को आगे किए जाने की स्थिति में वह आपत्ति जता सकती हैं। दरअसल, खनन लीज आवंटन मामले में चुनाव आयोग में सुनवाई पूरी हो चुकी है। कभी भी आयोग फैसला दे सकता है। यदि प्रतिकूल फैसला आता है तो सोरेन को अयोग्य घोषित किया जा सकता है।
ऐसे में प्रदेश की राजनीति में सरगर्मी बढ़ गई है। आज मुख्यमंत्री ने सत्तारूढ़ दलों के विधायकों की बैठक बुलाई, जिसमें महागठबंधन दल के विधायकों को एकजुट रखने की कोशिश की गई। वैसे हेमंत सोरेन के नेतृत्व में चल रही सरकार को विधानसभा में पर्याप्त बहुमत है, लेकिन उनकी विधानसभा की सदस्यता समाप्त होने की स्थिति में विकल्प खुले हैं।
वरिष्ठ मंत्री चंपई सोरेन और जोबा मांझी भी विकल्प हो सकते हैं
ऐसे में झामुमो के अध्यक्ष शिबू सोरेन स्वाभाविक पसंद हो सकते हैं। उनके नाम पर झामुमो के साथ-साथ कांग्रेस को भी कोई आपत्ति नहीं होगी। फिलहाल वे राज्यसभा के सदस्य हैं। लेकिन छह माह के भीतर उन्हें विधानसभा की सदस्यता हासिल करनी होगी। वहीं, सोरेन परिवार से इतर देखा जाए तो वरिष्ठ मंत्री चंपई सोरेन और जोबा मांझी भी विकल्प हो सकते हैं।
भाजपा सांसद ने बरहेट और दुमका विधानसभा में उपचुनाव होने का दावा किया
इसबीच, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने दावा किया है कि झारखंड में ’भाभी’ की ताजपोशी कराई जाएगी। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि झारखंड में भाभी जी के ताजपोशी की तैयारी, परिवारवादी पार्टी का बेहतरीन नुस्खा गरीब के लिए। इससे पहले भाजपा सांसद ने बरहेट और दुमका विधानसभा में उपचुनाव होने का दावा किया था।
उन्होंने कहा था कि झारखंड मुक्ति मोर्चा औरो कांग्रेस दिल्ली- रांची क्यों दौड़ रहा है रे भाई। हम बोले बरहेट, दुमका विधानसभा में उपचुनाव होगा तो हमको कांके भेज रहे थे? अब तो विधानसभा अध्यक्ष को कनाडा जाने से रोक दिए? इस्तीफे विकल्प है, दैइए दीजिए। उधर, हेमंत सोरेन के अयोग्य घोषित किए जाने पर बरहेट विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव की नौबत आएगी।
हेमंत सोरेन के भाई दुमका के विधायक बसंत सोरेन की भी मुश्किलें बढ़ेगी
वहीं, प्रतिकूल फैसला आने पर हेमंत सोरेन के भाई दुमका के विधायक बसंत सोरेन की भी मुश्किलें बढ़ेगी। ऐसे में यहां भी उपचुनाव की नौबत आएगी। बता दें कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पद पर रहते हुए अपने नाम पर माइनिंग लीज आवंटित करवाई थी। इसकी शिकायत भाजपा ने राज्यपाल से भी की थी।
वहीं, राजनीति के जानकारों की मानें तो हेमंत सोरेन के खिलाफ प्रतिकूल फैसला आने के बाद कांग्रेस भी दबाव बढ़ा सकती है। कांग्रेस के 18 विधायक हैं, जो भीतर ही भीतर घुटन महसूस कर रहे हैं, वे खुलकर सामने आ सकते हैं। हाल ही में तीन विधायकों के नकदी के साथ कोलकाता में पकड़े जाने के बाद भीतर ही भीतर विधायक नाराज बताए जाते हैं।
हेमंत सोरेन ने ढाई वर्ष से अधिक समय तक कांग्रेस के सहयोग से सरकार चलाई
उनकी नाराजगी कई बातों को लेकर है। विधायक सत्ता में सीधी भागीदारी की फिराक में हैं। एक खेमा ऐसा भी है जो कांग्रेस के लिए मुख्यमंत्री पद की दावेदारी कर सकता है। इसके पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि हेमंत सोरेन ने ढाई वर्ष से अधिक समय तक कांग्रेस के सहयोग से सरकार चलाई। अब वे कमान कांग्रेस को सौंपकर सत्ता संचालन में सहयोग करें।
हालांकि ये तमाम बातें राजनीतिक परिस्थितियों पर निर्भर करती है। बता दें कि राज्य में कांग्रेस के पास फिलहाल 18 विधायक हैं, जिनमें तीन अभी बंगाल में हैं। कोर्ट ने उन्हे जमानत तो दी है, लेकिन अगले तीन महीने बंगाल में ही रहने का निर्देश भी दिया है। इसके अलावा झामुमो के पास 30 विधायक हैं। राजद के पास एक विधायक है।
भाकपा-माले के पास एक और एनसीपी के पास एक विधायक है। वहीं निर्दलीय सरयू राय का भी सरकार को समर्थन है। सरकार को 81 में से 52 विधायकों का समर्थन है। इधर, सरकार के विपक्ष में कुल 29 विधायक है, जिनमें भाजपा के 26 विधायक है जिनमें एक बीमार है, वहीं आजसू के पास दो विधायक है, निर्दलीय अमित मंडल भी विपक्षी खेमे के साथ है।