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5000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिये विनिर्माण मजबूत करने की जरूरत: सुरेश प्रभु

By भाषा | Published: January 05, 2020 4:12 AM

प्रभु ने टेकफेस्ट के 25वें संस्करण में यहां कहा, ‘‘भारत अभी 2,500 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था है और हमने 2025 तक पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य तय किया है। इस लक्ष्य में पचास प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय व्यापार होगा, निर्यात जिसका मुख्य हिस्सा होगा।’’

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ठळक मुद्देपांच हजार अरब डॉलर का लक्ष्य पाने के खाका के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘विनिर्माण क्षमता को मजबूत करने तथा गुणवत्तायुक्त उत्पादों का उत्पादन करने पर ध्यान देने की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आज के समय में हमारी सबसे बड़ी चुनौती गुणवत्ता है। हमें अपना विनिर्माण बेहतर करने की जरूरत है ताकि हम अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा कर सकें।’’

भारत को विनिर्माण क्षमता मजबूत करने तथा गुणवत्तायुक्त उत्पादों का उत्पादन करने पर ध्यान देने की जरूरत है। इससे 2025 तक देश को पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य पाने में मदद मिलेगी। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने शनिवार को यह टिप्पणी की।

उन्होंने कहा कि निर्यात आर्थिक वृद्धि का मुख्य वाहक बनने वाला है। प्रभु ने टेकफेस्ट के 25वें संस्करण में यहां कहा, ‘‘भारत अभी 2,500 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था है और हमने 2025 तक पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य तय किया है। इस लक्ष्य में पचास प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय व्यापार होगा, निर्यात जिसका मुख्य हिस्सा होगा।’’

पांच हजार अरब डॉलर का लक्ष्य पाने के खाका के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘विनिर्माण क्षमता को मजबूत करने तथा गुणवत्तायुक्त उत्पादों का उत्पादन करने पर ध्यान देने की जरूरत है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आज के समय में हमारी सबसे बड़ी चुनौती गुणवत्ता है। हमें अपना विनिर्माण बेहतर करने की जरूरत है ताकि हम अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा कर सकें।’’

उन्होंने कहा कि देश अभी मुख्यत: माल, सेवाओं और कृषि उत्पादों का निर्यात करता है। देश को निर्यात बाजार की जरूरतें तथा इस दिशा में अपेक्षित कार्यों की पहचान करने की जरूरत है।

प्रभु ने कहा, ‘‘हमने विनिर्माण के अलावा सेवा उद्योग में 12 अग्रणी क्षेत्रों की पहचान की है, जिनका हम निर्यात कर सकते हैं। हमारे पास 100 अरब डॉलर के कृषि उत्पादों का निर्यात करने की भी क्षमता है।’’

उन्होंने कहा कि देश को ज्ञान आधारित निर्यात पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें अपनी मस्तिष्क की क्षमता का अधिक लाभ उठाना चाहिये। हमें मांग के मुताबिक प्रौद्योगिकी केंद्रित समाधान सेवाओं का पैकेज तैयार करना चाहिये। ऐसा करने से भारत प्रौद्योगिकी संबंधी समाधानों के निर्यात का बड़ा केंद्र बन जायेगा।’’

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