गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि धर्म के आधार पर आरक्षण असंवैधानिक है और भारतीय जनता पार्टी मुस्लिमों को दिये जाने वाले किसी भी प्रकार के आरक्षण की खिलाफत करेगी।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार सीएम योगी ने कहा, "धर्म के आधार पर आरक्षण असंवैधानिक है। बाबा साहेब अंबेडकर ने भी इसका कड़ा विरोध किया था लेकिन कांग्रेस और इंडिया गठबंधन की पार्टियां मुस्लिम आरक्षण देने के लिए आपस में प्रतियोगित कर रही हैं।"
तृणमूल कांग्रेस पर हमला करते हुए सीएम योगी ने कहा कि वो 2010 के बाद पश्चिम बंगाल में जारी किए गए सभी ओबीसी प्रमाणपत्रों को रद्द करने के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट को ध्यवाद देते हैं।
उन्होंने कहा, "पश्चिम बंगाल में तृणमूल ने 2010 में 118 मुस्लिम जातियों को ओबीसी श्रेणी में शामिल करके पिछले 14 वर्षों से ओबीसी के आरक्षण अधिकारों पर पूरी तरह से डकैती की है। हम कलकत्ता उच्च न्यायालय को धन्यवाद देना चाहते हैं जिसने इस प्रकार की कड़ी सजा दी है। यह तृणमूल का असंवैधानिक कृत्य है।”
सीएम योगी ने कहा, "इसी तरह बिहार में लालू यादव बिहार में पहले कह चुके हैं कि मुसलमानों को आरक्षण मिलना चाहिए, ये आरक्षण कहां से मिलेगा, क्या वो ओबीसी, एससी, एसटी का आरक्षण छीनकर मुसलमानों को देना चाहते हैं।"
उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी एससी, एसटी और ओबीसी के आरक्षण की रक्षा के लिए किसी भी तरह के मुस्लिम आरक्षण के खिलाफ है। योगी आदित्यनाथ ने कहा, "बीजेपी एससी, एसटी और ओबीसी के आरक्षण की रक्षा के लिए किसी भी तरह के मुस्लिम आरक्षण का विरोध करती है और दूसरी बात मुस्लिम आरक्षण असंवैधानिक है और अगर इस तरह की कुप्रथा थोपने की कोशिश की गई तो देश की अखंडता प्रभावित होगी।"
मालूम हो कि 22 मई को जारी कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश में पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग को 1993 अधिनियम के अनुसार ओबीसी की एक नई सूची तैयार करने का निर्देश दिया गया है, जो व्यक्ति 2010 से पहले ओबीसी सूची में शामिल थे। उनका दर्जा बरकरार रहेगा, जबकि 2010 के बाद जारी किये गए प्रमाण पत्र रद्द माना जाएगा।
अनुमान है कि इस फैसले से करीब पांच लाख ओबीसी प्रमाणपत्र अमान्य हो जायेंगे। हालांकि, जिन व्यक्तियों ने ओबीसी कोटा के तहत नौकरियां हासिल कर ली हैं या उन्हें प्राप्त करने की प्रक्रिया में हैं, वे प्रभावित नहीं होंगे, क्योंकि उन्हें कोटा से बाहर नहीं किया जा सकता है।
कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा 2010 के बाद पश्चिम बंगाल में जारी किए गए ओबीसी प्रमाणपत्रों को रद्द करने के कुछ घंटों बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि वह फैसले को स्वीकार नहीं करेंगी और उनकी ओर से ओबीसी आरक्षण जारी है और हमेशा जारी रहेगा।