लखनऊ: वाराणसी और मिर्जापुर से सटे चंदौली संसदीय क्षेत्र में अब डा.राम मनोहर लोहिया, कमलापति त्रिपाठी और त्रिभुवन सिंह के किस्से कोई बयां नहीं करता। ये वही नेता थे जिन्होंने राज्य में धान का कटोरा कहे जाने वाले इस समूचे क्षेत्र को अपनी राजनीतिक कर्मभूमि माना और यहां के विकास की खातिर एक बार जुटे तो जीवनपर्यन्त उसे ध्येय बना लिया। परंतु अब कहीं भी उनकी चर्चा नहीं होती। अब यहां चर्चा हो रही हैं, मोदी सरकार के भारी उद्योग मंत्री डा. महेंद्र नाथ पांडे की। वह चुनाव जीतेंगे या नहीं? पूरे मुगलसराय में इसी सवाल का हल खोजने में यहां के लोग जूझ रहे हैं, क्योंकि तीसरी बार इस सीट से चुनाव जीतने की मंशा से चुनाव मैदान में उतरे महेंद्र नाथ पांडे इस बार भारी मुसीबत में फंस गए हैं।
समाजवादी पार्टी (सपा) के वीरेंद्र सिंह उनको कड़ी टक्कर दे रहे हैं। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सतेंद्र मौर्य भी इस सीट के समीकरणों को दिलचस्प बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यहां मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा के बीच ही है। फिलहाल वाराणसी से सटी इस चंदौली सीट पर विकास ही सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा है। सपा उम्मीदवार वीरेंद्र सिंह वाराणसी से सटे चंदौली क्षेत्र में कम विकास कार्य कराए जाने का सवाल उठाकर महेंद्र नाथ पांडे की घेराबंदी किए हुए है। उनका कहना है कि महेंद्र नाथ पांडे ने चंदौली संसदीय क्षेत्र में विकास कार्य कराने में रुचि नहीं ली, जबकि क्षेत्र में विकास की लगन लिए डा.राममनोहर लोहिया, यहां पर 1957 में चुनाव लड़े थे।
यूपी के मुख्यमंत्री रहे कमलापति त्रिपाठी ने भी हमेशा इस क्षेत्र का ख्याल रखा था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र से सटे चंदौली में बड़े उद्योग में महेंद्र नाथ पांडे ने कोई रुचि नहीं ली. इस इलाके में दौली पॉलीटेक्निक की बदहाली आदि को लेकर भी लोग मोदी और योगी सरकार को आड़े हाथों ले रहे हैं. ये कहा जा रहा है कि चंदौली लोकसभा की पांच विधानसभा सीटों में से मुगलसराय, सैयद राजा, अजगरा और शिवपुर पर भाजपा का कब्जा है, इसके बाद भी यह संसदीय क्षेत्र विकास के हर पैमाने पर पिछड़ा है, जबकि चंदौली से सटे वाराणसी में करोड़ों रुपए की सैंकड़ों परियोजनाएं शुरू की गई। इस संसदीय क्षेत्र के लोग बेरोजगारी को लेकर भी महेंद्र पांडे से सवाल पूछ रहे हैं।
कुल मिलाकर मोदी सरकार में भारी उद्योग मंत्री चंदौली में इस बार भारी मुसीबत में फंसे हैं और उन्हे अपनी जीत के लिए पीएम नरेंद्र मोदी के ही करिश्मे का सहारा है। कहा जा रहा है कि पिछले लोकसभा चुनावों में भी यहां के लोगों में नरेंद्र मोदी को फिर पीएम बनाए जाने के लिए ही उन्हे करीब 14 हजार वोटों से जिताया था। इतने कम वोटों से जीतने के बाद भी उन्होंने चंदौली में विकास कार्य कराए जाने के लिए कोई खास प्रयास नहीं किए, जिसके चलते ही यहां के लोग उनसे खफा है।
महेंद्र नाथ पांडे यहां के लोगों की नाराजगी के सवाल को गंभीरता से नहीं लेते हैं। वह कहते हैं कि इस बार भी चंदौली के लोग पीएम मोदी के हाथों को मजबूत करने के लिए उन्हें जिताएंगे और वह तीसरी बार इस सीट से चुनाव जीतकर हैट्रिक लगाएंगे। उनकी इस मंशा के बारे में चंदौली के लोगों का यह कहना है यह तब ही होगा जब बसपा का वोट भाजपा को शिफ्ट होगा। अन्यथा उनकी हार इस बार निश्चित है. भाजपा नेताओं को भी इस अनुमान है, इसलिए बसपा के वोट बैंक को भाजपा में लाने के प्रयास किया जा रहे है।
अब देखना है कि 18 लाख से ज्यादा मतदाता वाले चंदौली लोकसभा क्षेत्र में भाजपा कैसे महेंद्र नाथ पांडे की जीत का रास्ता बनाएगी। चंदौली लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा करीब दो लाख 75 हजार यादव मतदाता हैं। दलित समाज के भी ढाई लाख से अधिक मतदाता हैं। पिछड़ी जाति में आने वाले मोर्या मतदाता करीब 1 लाख 75 हजार हैं और राजपूत, ब्राह्मण, राजभर और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी करीब एक -एक लाख हैं।