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Facebook, Google को अब Australia में लोकल न्यूज कंटेंट के लिए देना होगा पैसा, पास हुआ नया कानून

By प्रतीक्षा कुकरेती | Published: February 25, 2021 2:04 PM

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लम्बें वक़्त से ऑस्ट्रेलिया और फेसबुक के बीच विवाद चल रहा है. क ऑस्ट्रेलिया ने दुनिया का पहला ऐसा ऐतिहासिक कानून पारित किया है जिसके तहत डिजिटल कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म पर खबरों के लिए भुगतान करना होगा. यानी ऑस्ट्रेलिया में फेसबुक और गूगल को अपने प्लेटफॉर्म  पर खबरें दिखाने के लिए पैसे देने होंगे.  ऑस्ट्रेलिया के इस कदम की काफी चर्चा हो रही थी और दुनियाभर की इसपर नजरें भी टिकी हुई थी. फेसबुक और गूगल ने सीमा तय करने वाले नियमों का विरोध किया था. पिछले हफ्ते फ़ेसबुक ने खबरों को ऑस्ट्रेलियाई लोगों के लिए अपने प्लेटफॉर्म पर ब्लॉक कर दिया था. साथ ही फ़ेसबुक पर ख़बरें शेयर करने पर भी रोक लगा दी गई थी  लेकिन आखिरी वक्त में ऑस्ट्रेलिया की तरफ से इन नियमों में कुछ ढील दी गई है, जिसके बाद दोनों कंपनियां लोकल मीडिया कंपनियों को पैसे चुकाने को तैयार हो गई हैं. दरअसल ऑस्ट्रेलिया सरकार ने कानून बनाया है कि किसी भी वेबसाइट पर दिखाई जाने वाली उसके देश की न्यूज़ कंटेंट के लिए उस सोशल मीडिया वेबसाइट को भुगतान करना होगा. इसे लेकर सरकार और फेसबुक के बीच टकराव चला था, लेकिन फेसबुक को झुकना पड़ा.इस क़ानून में क्या ख़ास है?इस प्रस्तावित क़ानून में ये व्यवस्था की गई है कि टेक कंपनियां न्यूज़ सामग्री के लिए भुगतान करें. हालांकि, अब तक ये स्पष्ट नहीं किया गया है कि उन्हें कितना भुगतान करना होगा.ये क़ानून एक संगठन के रूप में मीडिया संस्थाओं को टेक कंपनियों से नेगोशिएट करने की ताकत देगा ताकि उस सामग्री की कीमत तय हो सके जो कि टेक कंपनियों की न्यूज़ फीड और सर्च रिज़ल्ट्स में नज़र आती है.आस्ट्रेलिया सरकार का मान न है टेक कंपनियों को न्यूज़ रूम को उनकी पत्रकारिता के लिए उचित कीमत अदा करनी चाहिए. इसके साथ ही ये तर्क भी दिया गया है कि ऑस्ट्रेलिया की न्यूज़ इंडस्ट्री के लिए आर्थिक मदद की ज़रूरत है क्योंकि मज़बूत मीडिया लोकतंत्र की ज़रूरत है.आपको बता दें ऐसे समय जब मीडिया कंपनियों की कमाई में कमी आ रही है तब गूगल की कमाई में बढ़त देखी जा रही है. साल 2019 में वैश्विक स्तर पर गूगल ने 160 बिलियन डॉलर से ज़्यादा की कमाई की है.गूगल को अब उन न्यूज कंटेंट के लिए पैसे देने होंगे, जो इसके "Showcase" प्रॉडक्ट पर दिखाई देंगे, वहीं फेसबुक को अपने "News" प्रॉडक्ट में दिखाई देने वाले न्यूज कंटेंटे के पैसे चुकाने होंगे. नियामक संस्थाओं ने ऑनलाइन एडवर्टाइजिंग पर दबदबा रखने वाली इन कंपनियों पर आरोप लगाया था कि उन्होंने पारंपरिक न्यूज संस्थाओं की ओर आने वाले कैश फ्लो को प्रभावित किया है, जबकि ये कंपनियां उन्हीं का कंटेंट फ्री में इस्तेमाल करती हैं. भारत में भी फेसबुक और गूगल जैसी कंपनियां न्यूज वेबसाइट की खबरों को दिखाती हैं. इसके बदले ये कंपनियां खुद तो अरबों रुपए कमाती हैं, लेकिन उसे वेबसाइट के साथ शेयर नहीं करतीं. साथ ही न्यूंज कंपनियो का दावा है कि उनकी खबरों से फेसबुक जैसी कंपनियों की विश्वसनीयता बढ़ती है. अब इन कंपनियों के लिए रेवेनुए शेयर करने वाले नियम की मांग हो रही है. 
टॅग्स :फेसबुकगूगल
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