इतिहास में पहली बार आदि शंकराचार्य द्वारा एक महा उत्सव की स्थापना की गई थी, जिसे आज महाकुंभ या कुंभ के नाम से जाना जाता है। इस पर्व के आयोजन के लिए उन्होंने चार मुख्य तीर्थों को कुंभ मेले के चार पीठ के रूप में स्थापित किया था। इसके अलावा मेले में साधुओं की विशेष भादीगारी होना भी सुनिश्चित कराया गया।