वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: कोरोना संकट आपातकाल से भी बड़ा आफतकाल

By वेद प्रताप वैदिक | Published: April 26, 2021 12:58 PM2021-04-26T12:58:25+5:302021-04-26T12:58:25+5:30

भारत में कोरोना संक्रमण ने हालात बिगाड़ के रख दिए हैं. श्मशान घाटों और कब्रिस्तानों में लाशों के अंबार को देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं. ऐसे में एक बड़ी चुनौती हमारे सामने खड़ी है.

Vedapratap Vedic blog: Coronavirus bigger challenge than emergency for India | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: कोरोना संकट आपातकाल से भी बड़ा आफतकाल

भारत में कोरोना संक्रमण का विकराल रूप (फाइल फोटो)

कोरोना महामारी ने इतना विकराल रूप धारण कर लिया है कि सर्वोच्च न्यायालय को वह काम करना पड़ गया है, जो किसी भी लोकतांत्रिक देश में संसद को करना होता है. सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वह उसे एक राष्ट्रीय नीति तुरंत बनाकर दे, जो कोरोना से लड़ सके. 

मरीजों को ऑक्सीजन, इंजेक्शन, दवाइयां आदि समय पर उपलब्ध करवाने की वह व्यवस्था करे. न्यायपालिका को यह क्यों करना पड़ा? इसीलिए कि लाखों लोग रोज बीमार पड़ रहे हैं और हजारों लोगों की जान जा रही है. रोगियों को न दवा मिल रही है, न ऑक्सीजन मिल रही है, न पलंग मिल रहे हैं. 

इनके अभाव में बेबस लोग दम तोड़ रहे हैं. टीवी चैनलों पर श्मशान घाटों और कब्रिस्तानों में लाशों के अंबार को देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं. कोरोना की दवाइयों, इंजेक्शनों और अस्पताल के पलंगों के लिए जो कालाबाजारी चल रही है, वह मानवता के माथे पर कलंक है.

अभी तक एक भी कालाबाजारी करने वाले को चौराहे पर सरेआम नहीं लटकाया गया है. क्या यह शर्म की बात नहीं है? होना तो यह चाहिए कि इस आपातकाल में, जो भारत का आफतकाल बन गया है, कोरोना के टीके और उसका इलाज बिल्कुल मुफ्त कर दिया जाए. 

पिछले बजट में जो राशि रखी गई थी और प्रधानमंत्री परवाह-कोष में जो अरबों रु. जमा हैं, वे कब काम आएंगे? निजी अस्पताल भी यदि दो-चार महीने की कमाई नहीं करेंगे तो बंद नहीं हो जाएंगे. यह अच्छी बात है कि हमारी फौज और पुलिस के जवान भी कोरोना की लड़ाई में अपना योगदान कर रहे हैं. 

बंगाल की चुनावी सभाओं और कुंभ के मेले पर सरकार ने जो ढिलाई दिखाई है, उसी का नतीजा है कि अब भारत को दूसरे देशों के सामने दवाइयों के लिए झोली पसारनी पड़ रही है. यदि महामारी इसी तरह बढ़ती रही तो कोई आश्चर्य नहीं कि अर्थव्यवस्था का भी भट्ठा बैठ जाए और करोड़ों बेरोजगार लोगों के दाना-पानी के इंतजाम के लिए भी संपन्न राष्ट्रों के आगे हमें गिड़गिड़ाना पड़े. 

चीन ने तो हमें दवाइयां दान करने की पहल कर ही दी है. इस नाजुक मौके पर यह जरूरी है कि हमारे विभिन्न राजनीतिक दल आपस में सहयोग करें और केंद्र तथा राज्यों की विपक्षी सरकारें भी साझी रणनीति बनाएं. किसान नेताओं के प्रति पूर्ण सहानुभूति रखते हुए भी उनसे अनुरोध है कि फिलहाल वे अपने धरने स्थगित करें. 

राजनीतिक दलों के करोड़ों कार्यकर्ता मैदान में आएं और आफत में फंसे लोगों की मदद करें. यह काल आपातकाल से भी बड़ी आफत का काल है. आपातकाल में सिर्फ विपक्षी नेता तंग थे लेकिन इस आफतकाल में हर भारतीय सांसत में है.

Web Title: Vedapratap Vedic blog: Coronavirus bigger challenge than emergency for India

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