कांवड़ यात्रा पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने कहा- 'भगवान भी नहीं चाहेंगे कि किसी की जान जाए'
By दीप्ती कुमारी | Published: July 12, 2021 08:45 AM2021-07-12T08:45:40+5:302021-07-12T08:45:40+5:30
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि कावड़ यात्रा श्रद्धा और आस्था का विषय है लेकिन श्रद्धा और आस्था का विषय भगवान से जुड़ा हुआ होता है और भगवान भी नहीं चाहेंगे कि किसी की जान जाए।
देहरादून: कोरोना संकट के बीच इस साल कांवड़ यात्रा को लेकर सस्पेंस बरकरार है। वहीं, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को कहा कि कांवड़ यात्रा श्रद्धा और आस्था का विषय है और भगवान भी नहीं चाहेंगे किसी की जान जाए।
दरअसल कांवड़ यात्रा में उत्तर प्रदेश , हरियाणा, दिल्ली, मध्यप्रदेश , राजस्थान और हिमाचल प्रदेश समेत कई राज्यों से श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं और गांगाजल लेने के लिए हरिद्वार और ऋषिकेश जाते हैं। ऐसे में कोरोना महामारी को लेकर संशय है कि इस साल यात्रा निकाली की जाएगी या नहीं।
उत्तराखंड सरकार पहले रद्द कर चुकी है कांवड़ यात्रा
हालांकि, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के नेतृत्व वाली सरकार ने इस साल के लिए कांवड़ यात्रा रद्द करने का फैसला किया था लेकिन पुष्कर धामी के मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद सरकार ने इस कदम के बारे में पुनर्विचार करने का फैसला किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ वार्षिक तीर्थयात्रा पर चर्चा करने के बाद मीडिया से बात करते हुए धामी ने कहा 'मुझसे पहले राज्य मंत्रिमंडल द्वारा 30 जून को यह निर्णय लिया जा चुका था कि इस साल कांवड़ यात्रा नहीं होगी लेकिन फिर भी हमने सोचा कि यह श्रद्धा और आस्था का विषय है लेकिन श्रद्धा और आस्था का विषय भगवान से जुड़ा हुआ होता है और भगवान भी नहीं चाहेंगे कि किसी की जान जाए ।'
धामी ने कहा कांवड़ यात्रा को लेकर दो तीन राज्यों के अधिकारियों की बैठक हो चुकी है । उन्होंने कहा कि 'हमारी पहली प्राथमिकता यह है कि लोगों को जान को खतरा ना हो । उनका जीवन सुरक्षित रहे और किसी की मृत्यु ना हो ।'
वहीं, वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान अप्रैल में कुंभ मेले की अनुमति देने के लिए सरकार की काफी आलोचना हुई थी । उसके मद्देनजर राज्य सरकार ने कावड़ यात्रा की अनुमति देने से पहले सर्तकता बरती है । आपको बताते दें कि अप्रैल महीने में दूसरी लहर के दौरान कुंभ मेला में भारी मात्रा में लोगों की भीड़ इकट्ठा होने की वजह से कोरोना को कई मामले सामने आए थे और लोगों ने इसे सुपरस्प्रेडर बताया था।