Chhath Puja 2023: क्यों मनाया जाता है छठ महापर्व, क्या है इसके पीछे की कहानी, पढ़ें पूरी जानकारी
By आकाश चौरसिया | Published: November 16, 2023 01:41 PM2023-11-16T13:41:10+5:302023-11-16T13:44:52+5:30
छठ पूजा को अगले चार दिनों तक धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार त्योहार 17 से 20 नवंबर को मनाया जाएगा। खास बात यहा है कि इसे वैदिक काल से मनाया जाता रहा है।
नई दिल्ली: छठ पूजा एक हिंदू त्योहार है, जो सूर्य भगवान को मानता है। इस दिन लोग सूर्य भगवान से अपने जीवन में सुख-शांति बने रहने के लिए प्रार्थना करते हैं। इसके साथ ही सभी लोग सूर्य भगवान को उनकी सर्वव्यापी रोशनी और पृथ्वी पर जीवन की उपलब्ध संभावनाओं के लिए उनका धन्यवाद करते हैं। वहीं, पर्व को मुख्य तौर पर बिहार, यूपी, झारखंड, नेपाल और दुनिया भर में इसी तरह से उत्साह पूर्वक मनाया जाता है।
छठ पूजा को अगले चार दिनों तक धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार त्योहार 17 से 20 नवंबर को मनाया जाएगा। खास बात यहा है कि इसे वैदिक काल से मनाया जाता रहा है और पर्व की शुरुआत के संबंध में समय-समय पर कई कहानियां साझा की जाती रही हैं। वहीं, इस अवसर पर पटना के एक डॉक्टर श्रीपति त्रिपाठी ने लोकल 18 से बात करते हुए कुछ मूल कहानियों के बारे में बताया है।
सूर्यपुत्र कर्ण ने की सूर्य पूजा
डॉक्टर ने कहा कि मान्यताओं के अनुसार, त्योहार महाभारत के समय से मनाया जा रहा है, तब सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य भगवान की पूजा कर इसकी शुरुआत की थी। करना सूर्य भगवान के बहुत बड़े भक्त थे। उन्होंने उन दिनों सुबह में जल में काफी घंटे में बिताने के साथ ही भगवान सूर्य की पूजी भी की थी। कर्ण इस बाबत एक बहुत बड़े योद्धा के रूप में सामने आएं और तब से यह सिलसिला जारी है, जिसके तहत महिलाएं सूर्य निकलने से पहले जल में जाकर उगते सूर्य को जल आचमन करती हैं।
डॉक्टर त्रिपाठी ने एक और कहानी बताई जों पांड्वा और द्रोपदी के इर्द-गिर्द घूमती है। उन्होंने कहा कि छठ पूजा वे लोग इसलिए भी करते थे क्योंकि उस समय उन्होंने अपनी संपत्ति, राज्य और सम्मान खो दिया था, जिसे वे किसी भी कीमत पर पाना चाहते थे। इसके बाद वे हस्तिनापुर लौट आए और कुरुक्षेत्र युद्ध के बाद उन्हें अपना राज्य वापस मिल गया।
राजसूय यज्ञ के जरिए भगवान राम ने ऐसा क्या किया
डॉ. श्रीपति ने बताया कि छठ पर्व की उत्पत्ति भी रामायण काल में हुई है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे, तो उन्होंने रावण को मारने के पाप से मुक्त होने के लिए राजसूय यज्ञ करने का फैसला किया। उनकी परिषद में ऋषियों ने उन्हें इसको पूरा करने का आदेश दिया।
इस दौरान मुग्दल ऋषि ने माता सीता पर गंगा जल छिड़क कर उन्हें पवित्र किया। उन्होंने माता सीता को कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को सूर्य देव की पूजा करने का भी निर्देश दिया। इसके बाद मां सीता ने छह दिनों तक सूर्य देव की पूजा की। ऐसा माना जाता है कि छठ पहली बार बिहार के पुराने गया जिले के देव शहर में मनाया गया था, जो अब औरंगाबाद में स्थित है।