भवानीप्रसाद मिश्र की प्रसिद्ध कविता है- "कुछ लिख के सो, कुछ पढ़ के सो, तू जिस जगह जागा सवेरे, उस जगह से कुछ बढ़ के सो।" इन पंक्तियों की मूल भावना से प्रेरित होकर हम 'किताब कीड़ा' सीरीज शुरू कर रहे हैं। 'किताबी कीड़ा' में हम हिन्दी और अंग्रेजी में उपलब्ध नई-पुरानी किताबों का रिव्यू पेश करेंगे। हमें मालूम है कि किताब पढ़ना एक पुराना पड़ता है शौक है फिर भी हमें भरोसा है कि एक अच्छी ख़ासी हिन्दीभाषी जनता किताबों से बेहद प्यार करती है। उम्मीद है सभी पुस्तक प्रेमी हमारा हौसला बढ़ाएंगे और अपने सुझाव एवं आलोचना से इस सीरीज को बेहतर बनाने में हमारी मदद करेंगे।