"मिलिंद देवड़ा एनसीपी में शामिल होकर राज्यसभा जाना चाहते थे, लेकिन पार्टी ने इनकार कर दिया था", एनसीपी के एक नेता ने कहा
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: January 16, 2024 12:29 PM2024-01-16T12:29:42+5:302024-01-16T12:32:59+5:30
मिलिंद देवड़ा ने एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना में शामिल होने से पहले एनसीपी में जाने का प्रयास किया था लेकिन वहां उनकी बात नहीं बन पाई।
मुंबई: कांग्रेस को तगड़ा झटका देने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री और दिग्गज कांग्रेस नेता मुरली देवड़ा के बेटे मिलिंद देवड़ा ने एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना में शामिल होने से पहले एनसीपी में जाने का प्रयास किया था लेकिन जब एनसीपी की ओर से यह कहा गया कि वो उन्हें राज्यसभा के जरिये संसद में नहीं भेज पाएंगे तो उन्होंने अपना इरादा बदला और सीएम शिंदे की शिवसेना का दामन थाम लिया।
समाचार वेबसाइट टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार एनसीपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि जब पार्टी ने देवड़ा से कहा कि वो उन्हें राज्यसभा नहीं भेज पाएंगे तो उन्होंने एनसीपी में शामिल होने का विचार छोड़ दिया। मिलिंद देवड़ा बीते रविवार को कांग्रेस छोड़कर एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल हो गए। देवड़ा ने खुद इसका ऐलान करते हुए कहा कि वो कांग्रेस के साथ अपने 55 साल पुराने पारिवारिक नाते को खत्म कर रहे हैं।
इस संबंध में एनसीपी नेता ने कहा, “मिलिंद देवड़ा ने शिवसेना में शामिल होने का अच्छा निर्णय लिया है। कांग्रेस और एनसीपी की समान विचारधारा को देखते हुए वह पार्टी में शामिल होने की योजना बना रहे थे। इसके लिए मिलिंद देवड़ा ने एनसीपी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक भी की थी लेकिन उन्हें बताया गया कि मौजूदा हालात में उन्हें राज्यसभा में नहीं भेजा जा सकता है, उसके बाद उन्होंने एनसीपी में शामिल होने का विचार छोड़ दिया।''
उन्होंने कहा कि मिलिंद देवड़ा को एनसीपी में शामिल कराने की बात तभी चल रही थी, जब अजित पवार अपने चाचा शरद पवार के नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह का झंडा उठाया था और पार्टी और चुनाव चिन्ह पर दावा किया था।
इस संबंध में प्रतिक्रिया देते हुए मिलिंद देवड़ा ने कहा, "क्या यह आगे का या वास्तविक सवाल है। मैं एक हास्यास्पद मामले पर कैसे टिप्पणी कर सकता हूं।"
मालूम हो कि मिलिंद देवड़ा उस वक्त से परेशान थे जब कांग्रेस की सहयोगी पार्टी शिवसेना (यूबीटी) ने मुंबई दक्षिण लोकसभा सीट कांग्रेस को देने से इनकार कर दिया था, जिसका प्रतिनिधित्व मिलिंद देवड़ा के पिता मुरली देवड़ा ने लगातार तीन बार किया था और खुद मिलिंद ने भी दो बार साल 2004 और साल 2009 में उसी सीट से सांसद बने थे।
यह मामला तब उलझा, जब शिवसेना के एक नेता ने कहा महाविकास अघाड़ी की बैठकों के दौरान पार्टी की ओर से कांग्रेस को स्पष्ट सूचित कर दिया गया था कि उसके लिए मिलिंद देवड़ा को मुंबई दक्षिण लोकसभा सीट आवंटित करना असंभव है।
वहीं कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “अगर मिलिंद देवड़ा अजीत पवार गुट से दूर रहते तो शायद पार्टी के लिए मुंबई दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र के लिए उनके नामांकन पर विचार करना संभव होता। देवड़ा ने अजित पवार और प्रफुल्ल पटेल के साथ भी एक बैठक की थी, लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला।"
कांग्रेस नेता ने कहा कि जब देवड़ा को पता चला कि उन्हें न तो कांग्रेस के टिकट पर मुंबई दक्षिण लोकसभा सीट से नामांकन मिलेगा और न ही एसीपी में जगह मिलेगी तो उनके पास एकमात्र विकल्प शिवसेना में शामिल होना था।
उन्होंने कहा, "हालांकि मिलिंद देवड़ा न तो संसद के सदस्य थे और न ही कांग्रेस में कोई आधिकारिक पद संभाल रहे थे, फिर भी शिंदे के लिए वह एक बेशकीमती उपलब्धि थे क्योंकि वह दिग्गज नेता मुरली देवड़ा के बेटे हैं।"