Bihar Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव की लड़ाई अब तीसरे चरण में पहुंच चुकी है और बिहार की 5 सीटों पर 7 मई को मतदान होना है। जिन पांच लोकसभा क्षेत्रों में मतदान होना है उनमें तीन सीट झंझारपुर, सुपौल और मधेपुरा पर जदयू के प्रत्याशी हैं। तीनों सीटें जदयू की सीटिंग है। वहीं दो सीट में खगड़िया से लोजपा (रामविलास) तथा अररिया में भाजपा के प्रत्याशी हैं।
इस चरण में महागठबंधन की तुलना में एनडीए के सामने चुनौती ज्यादा है क्योंकि सभी सीटों पर एनडीए का कब्जा है। इस चरण में कहा जाए तो महागठबंधन के पास खोने के लिए कुछ नही है। जबकि एनडीए की प्रतिष्ठा दाव पर है। एनडीए की ओर से खगड़िया को छोड़कर बाकी सीटों पर सिटिंग सांसदों को पर ही भरोसा जताया गया है, सिर्फ लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने खगड़िया के सिटिंग सांसद महबूब अली कैसर की इस बार राजेश वर्मा को मैदान में उतारा है, जिससे महबूब अली कैसर नाराज हो गए और राजद की सदस्यता ग्रहण कर ली है।
ऐसे में पांचों सीटों पर मुकाबला बेहद कड़ा है। एनडीए गठबंधन की तरफ से जदयू ने झंझारपुर से रामप्रीत मंडल को मैदान में उतारा है, जिनके खिलाफ वीआईपी के सुमन महासेठ खड़े हैं। वहीं, सुपौल से दिलेश्वर कामत के खिलाफ चंद्रहास चौपाल और मधेपुरा से दिनेश चंद्र यादव के खिलाफ कुमार चंद्रदीप मैदान में ताल ठोक रहे हैं। खगड़िया सीट से लोजपा(रा) के प्रत्याशी के तौर पर पहली बार लोकसभा का चुनाव राजेश वर्मा लड़ रहे हैं, जिनके खिलाफ माकपा के संजय कुमार मैदान में हैं।
पांच सीटों में से सिर्फ एक सीट अररिया पर भाजपा के प्रदीप सिंह मैदान में हैं, जिनके खिलाफ इसी तरह महागठबंधन की तरफ से राजद से शाहनवाज आलम मैदान में हैं। तीसरे चरण के चुनाव में जीतने के लिए एनडीए की तरफ से कई बड़े नेता चुनाव प्रचार करने आ रहे हैं, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह, नीतीश कुमार सहित बिहार एनडीए के कई बड़े नेता अपना जोर लगाते दिख जा रहे हैं। महागठबंधन की तरफ से तेजस्वी यादव लगातार तूफानी प्रचार कर मोर्चा संभाले हुए हैं।
तीसरे चरण में अति पिछड़ा मतदाता निर्णायक भूमिका में दिख रहे हैं जो किसी भी उम्मीदवार के जीत हार में निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। झंझारपुर, सुपौल और अररिया में अति पिछड़ा मतदाताओं की बड़ी संख्या है, जिस पर एनडीए का मजबूत दावा माना जाता है। वहीं दो सीटों मधेपुरा और खगड़िया में पिछड़ी जाति के मतदाता की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। जिस पर महागठबंधन दावा करता है। लेकिन इन दोनों सीटों पर भी अति पिछड़ा मतदाताओं की संख्या ठीक ठाक है जो महत्वपूर्ण रोल अदा करते हैं।