Ranchi parliamentary constituency 2024 Lok Sabha Elections: झारखंड के महत्वपूर्ण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक रांची संसदीय क्षेत्र भी है। झारखंड का तीसरा सबसे प्रसिद्ध यह शहर यहां की राजधानी भी है। इस संसदीय क्षेत्र को सरायकेला, खरसावन और रांची जिलों के कुछ हिस्सों को मिलाकर बनाया गया है। रांची लोकसभा क्षेत्र के भीतर 6 विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र आते हैं, जिनके नाम हैं इचागढ़ , सिल्ली, खिजरी, रांची, हटिया और कांके। इनमे से खिजरी विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है और कांके विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। 28,35,532 की जनसंख्या वाले इस क्षेत्र में 46.71 फीसदी ग्रामीण और 53.29 फीसदी शहरी जनता है। रांची को झरनों का शहर भी कहा जाता है।
इस क्षेत्र को भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का गृहनगर होने के लिए जाना जाता है। गोंडा हिल और रॉक गार्डन, मछली घर, बिरसा जैविक उद्यान, टैगोर हिल, मैक क्लुस्कीगंज और आदिवासी संग्रहालय इसके प्रमुख पर्यटक स्थल हैं। भाजपा सांसद संजय सेठ इस सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं।
भाजपा ने संजय सेठ को ही मैदान में उतारा
संजय सेठ साल 2019 के चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार के रूप में चुनाव में उतरे थे और वहां के लोगों ने भारी बहुमत के साथ उन्हें संसद में पहुंचाया था। 2019 चुनाव में संजय सेठ ने अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस उम्मीदवार सुबोधकांत सहाय को दो लाख से ज्यादा वोटो के अंतर से हराया था। इस बार भी भाजपा ने संजय सेठ को ही मैदान में उतारा है।
पिछले 2 चुनावों में रांची की लोकसभा सीट पर भाजपा की जीत होती रही है। इसलिए कहा जा सकता है कि इस क्षेत्र में बीजेपी का दबदबा रहा है। 2014 के लोकसभा चुनावों में रांची की लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी राम टहल चौधरी को जहां 4,48,729 वोट मिले थे, वहीं कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय 2,49,426 वोट ही जुटा सके थे।
1952 में यह लोकसभा सीट अस्तित्व में आई
इस तरह कांग्रेस प्रत्याशी को लगभग 2 लाख मतों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। रांची की विधानसभा सीट पर जातिवाद का फैक्टर कभी भी हावी देखने को नहीं मिला। इस सीट पर हुए कुल 17 लोकसभा चुनावों में विभिन्न जातियों एवं धर्मों के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है। इस सीट पर जीत दर्ज करने वाले नेताओं में कुर्मी से लेकर कायस्थ और मुस्लिम से लेकर पारसी तक रहे हैं।
इसलिए कहा जा सकता है कि रांची के मतदाताओं ने जातिवाद जैसी चीजों में बहुत ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई है। अविभाजित बिहार में रांची गर्मियों की राजधानी हुआ करती थी। रांची में बीआईटी मेसरा, आईआईएम, एनआईएफएफटी, एनयूएरआरएल, सीआईपी जैसे प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान भी हैं। 1952 में यह लोकसभा सीट अस्तित्व में आई थी।
1952 में हुए पहले ही चुनाव में मुस्लिम सांसद चुना गया था
इस सीट पर मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होता रहा है। लेकिन गैर भाजपा और गैर कांग्रेसी दलों को भी मौका मिल चुका है। मौजूदा दौर में भले ही महतो और गैर महतो का सवाल उठता हो, लेकिन शुरू में मुस्लिम और पारसी प्रत्याशी भी जीत दर्ज चुके हैं। 1952 में हुए पहले ही चुनाव में मुस्लिम सांसद चुना गया था।
उस वक्त कांग्रेस की टिकट अब्दुल इब्राहिम चुने गए थे। तो वहीं अगले ही चुनाव यानी 1957 में झारखंड पार्टी की टिकट पर पारसी प्रत्याशी एमआर मसानी को जीत मिली थी। 1962 से 1971 तक बंगाली नेता प्रशांत कुमार घोष इसी सीट से लगातार तीन बार जीत करके दिल्ली पहुंचे थे। भाजपा के राम टहल चौधरी इस सीट से 5 बार सांसद रह चुके हैं। जिसमें 4 बार तो लगातार दिल्ली पहुंचे थे।
2004 और 2009 का चुनाव कांग्रेस की टिकट पर जीते
इसके बाद कांग्रेस के प्रशांत कुमार घोष का नंबर आता है, वे लगातार 3 बार सांसद बने थे। पहली बार वह स्वतंत्र पार्टी की टिकट से चुनाव जीते थे। बाकी दोनों बार कांग्रेस की टिकट पर सांसद बने थे। कांग्रेस के सुबोध कांत सहाय भी तीन बार सांसद रह चुके हैं। सुबोध कांत पहली बार 1989 में जनता दल से चुनाव जीते थे। इसके बाद 2004 और 2009 का चुनाव कांग्रेस की टिकट पर जीते थे।
झामुमो, आजसू, जेवीएम और कांग्रेस के पास एक-एक सीट
2014 से इस सीट पर भाजपा का कब्जा है। 2014 में सुबोध कांत को भाजपा के रामटहल ने तो 2019 में संजय सेठ ने हराया था। विधानसभा सीटों की बात करें तो इस जिले की 7 विधानसभा सीटों में से 3 पर भाजपा का कब्जा है, तो वहीं झामुमो, आजसू, जेवीएम और कांग्रेस के पास एक-एक सीट है।
रांची के सांसद के रूप में संजय सेठ के कामकाज और संसद में उनकी भागीदारी को लेकर किए गए एक सर्वे के मुताबिक 73 फीसदी लोगों ने उनके नाम पर वोट देने की बात कही थी। वहीं 25 प्रतिशत लोगों ने नहीं में उत्तर दिया था। जबकि, 2 फीसदी ने नहीं पता में जवाब दिया था। इसके मद्देनजर भाजपा ने उन्हें इस बार भी मैदान में उतार दिया है।